जलम फेस्टीवल में उमड़े कलाप्रेमी

रामचंद्रन के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर आधारित दो पुस्तकों का विमोचन
देशभर से आए 240 कला विद्यार्थियों के द्वारा दर्शनीय कला प्रदर्शन
देश भर से आए 25 विशिष्ट कलाकारों का सम्मान।
ज्योति चौधरी का नल तरंग वादन और गायिका कलापिनी कोमकली के सुरों भरी शाम

जबलपुर। जलम का मुख्य उद्देश्य है कि शहर में कला, साहित्य और संगीत के तमाम विधाओं से लोगों को जोड़ना और उन्हें इसकी महत्ता से अवगत कराना। संस्कार के इसी उद्देश्य के साथ हर वर्ष की भांति इस वर्ष जलम के नौवें संस्करण का आयोजन कल्चरल स्ट्रीट के संस्कृति थिएटर में किया जा रहा है। इस शहर को संस्कारधानी के रूप में भी जाना जाता है। इस बार जलम के उत्सव केंद्र प्रख्यात कलाकार ए. रामचंद्रन हैं। सभी कार्यक्रम ए. रामचंद्रन को ही केंद्रित करते हुए कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है।

जलम फेस्टीवल के मीडिया प्रभारी भूपेन्द्र अस्थाना ने बताया कि कार्यक्रम के दूसरे दिन देश के अनेक प्रांतों से आये कलाकारों को जबलपुर के प्रसिद्ध स्थल धुआंधार, भेड़ाघाट जैसे रमणीय पर्यटन स्थल को दिखाया गया। उसके बाद नगर के कल्चर स्ट्रीट में आयोजन स्थल पर बहुरूपी ऑडिटोरियम में शांतिनिकेतन से आए कुमार जसाकीया द्वारा ए. रामचंद्रन पर एक स्लाइड शो “ए. रामचंद्रन : पुनरावलोकन” प्रस्तुत किया गया। इस स्लाइड शो में जसाकिया ने रामचंद्रन के कलाकृतियों पर विस्तृत जानकारी दी। उनके कृतियों में मुख्य मुख्य बिंदुओं पर विस्तार में चर्चा की।

उसके बाद ए. रामचंद्रन पर दो प्रमुख पुस्तकों का विमोचन किया गया। जिसमे से पहली पुस्तक हिंदी में ‘ए. रामचंद्रन’ जिसके लेखक प्रसिद्ध कला आलोचक विनोद भारद्वाज हैं। यह पुस्तक रविंद्र नाथ टैगोर विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित की गई है। पुस्तक विमोचन में के दौरान नई दिल्ली से लेखक विनोद भारद्वाज, भोपाल से डॉ अर्जुन सिंह भी मौजूद रहे और दूसरी पुस्तक “ए. रामचंद्रन – अंडर स्टोरीज बिहाइंड लोटस पोंड” जो की अंग्रेजी भाषा में है। यह इत्यादि संस्था द्वारा प्रकाशित की गई है।

इस पुस्तक की लेखिका डॉ. सुप्रिया अंबर और संपादक जॉनी एम.एल. (प्रसिद्ध कला समीक्षक, क्यूरेटर) हैं। इसके बाद विषय “जबलपुर का पुरातात्विक स्वरूप” पर बातचीत और प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम हुआ। जिसपर मुख्य वक्ता डॉ. शिवकांत बाजपेयी ने पुरातत्व के अनेक महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा डॉ. हिमांशु श्रीवास्तव के साथ की। साथ ही अनेकों दर्शकों ने पुरातत्व से जुड़े अनेक प्रश्न बाजपेई से भी रखे जिसका उत्तर भी उन्होंने दिया।

कार्यक्रम के अगले सत्र में कला के अनेक छात्रों के लिए जलम सृजन कार्यशाला टेराकोटा, कैनवस में अयोजित किया गया। इस कार्यशाला में अनेक स्थानों से आए बड़ी संख्या में कला के छात्र छात्राओं ने भाग लिया।

कार्यक्रम के अगली कड़ी में राष्ट्रीय कला शिविर में देश भर से आए 25 कलाकारों को सम्मानित भी किया गया। इसी सम्मान समारोह के कड़ी में श्री ब्रह्मस्वरूप केला स्मृति इत्यादि सम्मान से ज्योति चौधरी को भी सम्मानित किया गया। अंत में सांस्कृतिक कार्यक्रम में नलतरंग वादन में वादिका ज्योति चौधरी एवं समूह मैहर द्वारा कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया इसी कड़ी में गायिका कलापिनी कोमकली एवं संगतकार देवास द्वारा शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति हुई।

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