Animal lovers will vote to NOTA, कोलकाता। पश्चिम बंगाल में रास्ते घूमने वाले कुत्ते, बिल्लियों और अन्य जानवरों पर हो रहे अत्याचार के विरोध में पशु प्रेमियों ने नोटा में वोट देने का ऐलान किया है। उनका कहना है कि चुकी ये जानवर किसी पार्टी या नेता को वोट नहीं देते हैं, इसलिए कोई भी पार्टी है या सरकार इन जानवरों पर ध्यान नहीं देती है।
इन जानवरों पर विभिन्न प्रकार से अत्याचार किया जाता है जबकि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त निर्देश दिए हुए हैं लेकिन इन निर्देशों का पालन नहीं किया जाता है। इसलिए हम लोगों ने नोटा में वोट देने का ऐलान किया है ताकि सरकार इन जानवरों की सुरक्षा के लिए आगे आए।
कोलकाता प्रेस क्लब में एक पत्रकार सम्मेलन में इंडिया यूनाइट फॉर एनिमल्स वेस्ट बंगाल चेप्टर के सदस्यों ने कहा कि भारतीय संविधान ने प्रत्येक प्राणी को सौहार्दपूर्वक जीने का अधिकार दिया है।
माननीय न्यायालय ने सड़क पर रहने वाले जानवरों की नई श्रेणी जोड़ी है, इसके तहत वे अब “सामुदायिक पशु” हैं, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इस समाज का एक बड़ा वर्ग कभी इन पशुओं को जहर दे देता है, तो कभी पिटाई की जाती है, कभी इन जानवरों पर गर्म पानी, एसिड फेंक दिया जाता है।
कभी-कभी दुधमुंहे जानवरों के बच्चों को जिंदा जला दिया जाता है। सरकार द्वारा उनके लिए कोई अच्छी गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवा नहीं है। उनसे सहानुभूति रखने वाले लोगों पर भी समाज उन्हें अपराधियों के तौर पर देखता है। पश्चिम बंगाल के अलग-अलग हिस्सों में जानवरों पर हमले हो रहे हैं।
हाल ही में दमदम के छटाकल में एक झुग्गी और झुग्गी से सटे एक बिस्तर में आग लग गई, हालांकि इसमें कोई घायल नहीं हुआ, लेकिन आग में बंधी गायें (50) जलकर मर गईं।
भारतीय पशु कल्याण बोर्ड की ओर से इन सामुदायिक पशुओं के हितों और उनके जीने के अधिकार की रक्षा के लिए पश्चिम बंगाल सरकार के विभिन्न अधिकारियों को कई निर्देश दिए गए है, लेकिन इनका पालन नहीं किया जाता है। जानवरों पर हो रहे अत्याचार का विरोध जताने के लिए ही हम लोगों ने नोटा में वोट डालने का निर्णय लिया है।
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