जलवायु जागरूकता पर एमिटी छात्रों की फिल्म ‘दी नेक्स्ट लेसन’ को मिला प्रथम पुरस्कार

Climateकहानी, कोलकाता। धरती के वातावरण में पर्यावरण प्रदूषण और प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन के करण होने वाले बदलाव अब खतरनाक रूप लेते जा रहे हैं। धरती पर जीवन फलता-फूलता रहे इसके लिए त्वरित प्रभावी प्रयास करने होंगे। क्लाइमेट चेंज पर जनजागरूकता के लिए प्रमुख जन संचार संस्थानों में से एक एमिटी स्कूल ऑफ कम्युनिकेशन (एएससीओ) और क्लाइमेट ट्रेंड्स, नई दिल्ली ने संयुक्त प्रयास के तहत एक छात्र फिल्म निर्माण प्रतियोगिता आयोजित की गई।

प्रतियोगिता जलवायु प्रभाव, ऊर्जा दक्षता, इलेक्ट्रिक मोबीलिटी, वायु गुणवत्ता, रिन्यूएबल एनर्जी, स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था, मिशन लाइफ, कार्बन फुटप्रिंट, रिड्यूसड कन्जम्सन, लोकल सोर्सिंग और जीरो वेस्ट सहित महत्वपूर्ण विषयों पर केंद्रित थी।

प्रतियोगिता में 12 फिल्मों की प्रविष्टियां शामिल हुईं जिनमें विजेता फिल्मों की स्क्रीनिंग और पुरस्कार वितरण के लिए आज एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ परिसर में ‘फिल्म फेस्टिवल अवार्ड सेरेमनी’ का आयोजन किया गया।

इस आयोजन में कार्यक्रम का शुभारम्भ आमंत्रित अतिथि सचिव राजस्व और राहत आयुक्त श्री जी.एस. नवीन कुमार (आईएएस) और प्रख्यात थिएटर कलाकार और फिल्म अभिनेता डॉ. अनिल कुमार रस्तोगी, उप-प्रति कुलपति एमिटी विवि लखनऊ परिसर सेवानिवृत्त विंग कमांडर डा. अनिल कुमार, निदेशक एमिटी स्कूल ऑफ कम्युनिकेशन (एएससीओ) प्रोफेसर संजय मोहन जौहरी और रणनीतिक सलाहकार, क्लाइमेट ट्रेंड्स, निशांत सक्सेना ने दीप प्रज्जवलन की पारम्परिक रस्म के साथ किया।

आयोजन में निशान्त सक्सेना की दो किताबों का विमोचन भी हुआ।

Nishant Ji

पहली किताब जलवायु परिवर्तन पर इनकी अंग्रेज़ी कविताओं का संकलन है और दूसरी किताब, एक शब्दकोश है जो हिन्दी पत्रकारों के लिए जलवायु परिवर्तन के कवरेज को सुगम बनाने के इरादे से लिखी गई है।

अतिथियों का स्वागत करते हुए उप प्रति कुलपति विंग कमांडर डा. अनिल कुमार ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण आज का सबसे ज्वलंत मुद्दा है जिसपर बिना समय गंवाए काम करने की आवश्यकता है।

मुख्य अतिथि श्री जी.एस. नवीन कुमार (आईएएस) ने कहा कि हम शिक्षा के एक सेट पैटर्न पर एजूकेट तो हो जाते हैं पर जीवन के लिए मूल जीवन कौशलों से अनभिज्ञ ही रह जाते हैं। उन्हांेने कहा कि पहले तो हमें पर्यावरण की रक्षा और सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे साथ ही क्लाइमेट चेंज के कारण आने वाली आपदाओं के दौरान जीवन रक्षा के लिए जरूरी कौशल भी सीखने होंगे।

 

श्री जी.एस. नवीन कुमार ने बताया कि उत्तर प्रदेश में मुख्य रूप से चार कारणों बाढ़, आसमानी बिजली, सर्पदंश और पानी में डूबने के कारण मृत्यु होती हैं। यदि इनसे बचाव के तरीकों को अपनाया जाए तो इनमें कमी आ सकती है। उन्होने कहा कि सरकार इस दिशा में क्या कदम उठा रही है इसके बारे में भी लोगों तक जानकारी पहुंचनी चाहिए।

उन्हानें सरकार के डिजास्टर रिलीफ विभाग के टोल फ्री नम्बर 1070 के बारे में बताते हुए कहा कि किसी भी आपदा के समय इस नम्बर पर फोन करके सहायता पाई जा सकती है। आग, बिजली और पानी से बचने के तारीकों के बारे में, जीवन उपयोगी सीपीआर तकनीकि जैसे कौशल सीखने के लिए युवाओं को आगे आन चाहिए।

प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता डा. अनिल रस्तोगी ने विद्यार्थियों द्वारा बनाई गई फिल्मों पर चर्चा करते हुए कहा कि जनजागरूकता के लिए फिल्में एक बड़ा औजार हैं क्यूकि आडियो विजुअल माध्यम द्वारा कही गई बात मन पर देरतक बनीं रहतीं हैं। उन्होने कहा कि फिल्म की मूल समाग्री है आईडिया या विचार जो कि इन छात्र फिल्मों में नजर आता है। उन्होने कहा कि सभी फिल्में बहुत ही शिक्षाप्रद बनीं है।

Amity students' film 'The Next Lesson' on climate awareness gets first prize

निदेशक एमिटी स्कूल ऑफ कम्युनिकेशन (एएससीओ) प्रोफेसर संजय मोहन जौहरी ने बताया कि विद्यार्थियों द्वारा छह महीने की अवधि में बनाई गईं फिल्मों का मूल्यांकन रोहित वत्स, राहुल मित्रा, जया भट्टाचार्य, पीपल बाबा, मिनस मृणाल और डॉ. अनिल रस्तोगी की जूरी द्वारा किया गया।

रणनीतिक सलाहकार क्लाइमेट ट्रेंड्स, निशांत सक्सेना ने 12 फिल्में प्रदर्शित होने के बाद उपस्थित लोगों से कहा कि लोगों के बीच सहानुभूति और व्यवहार में बदलाव लाना बेहद जरूरी है ताकि जलवायु परिवर्तन के जटिल मुद्दे के बारे में जागरूकता पैदा की जा सके। उन्होंने कहा कि ये फिल्में विषय के बारे में समझ पैदा करने में योगदान देंगी।

प्रतियोगित में शीर्ष स्थान पाने वाली फ़िल्मों में प्रथम विजेता ‘द नेक्स्ट लेसन’ जिसे 15,000 रुपये का प्रथम पुरस्कार मिला, प्रथम रनर अप लिटिल इज़ मोर रही जिसे 10,000 रुपये का पुरस्कार मिला, द्वितीय रनर अप हॉरर्स ऑफ़ टुमॉरो थी, जिसे 7,500 रुपये मिले और सांत्वना पुरस्कार रीथिंक द बैग को मिला, जिसे 2,500 रुपये का पुरस्कर दिया गया।

एएससीओ के छह संकाय सदस्यों, शिवांशु पाठक, नमिता पाठक, डॉ. नीलू शर्मा, मोहित शर्मा, अलीशा सैयदैन और अमित मैसी के मार्गदर्शन में साठ छात्रों ने फिल्म निर्माण प्रक्रिया में भाग लिया।

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