नयी दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ (संशोधन) विधेयक 2021 लाने का मकसद सिर्फ इसके एक खंड की विसंगतियों को दूर करना है जिसका संज्ञान उच्च न्यायालयों ने लिया था। सीतारमण ने लोकसभा में इस विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि बंबई उच्च न्यायालय की गोवा पीठ ने 2014 में संबंधित कानून में हुए संशोधन में विसंगति की ओर इशारा किया था। उन्होंने कहा कि यही मामला त्रिपुरा उच्च न्यायालय में भी आया और उसने विसंगति को तत्काल सुधारने की बात कही, इसलिए विसंगति को दूर करने के लिए अध्यादेश लाया गया। विधेयक के संशोधन में उस सुधार के अलावा और कुछ नहीं है।
उन्होंने कहा कि अध्यादेश इसलिए जरूरी था क्योंकि अदालत का आदेश था और संशोधन विधेयक की विषय वस्तु अदालत के आदेश के अनुरूप है। इस संशोधन विधेयक का दायरा कम है लेकिन चर्चा चार घंटे तक हुई यह अच्छी बात है। इस विधेयक का विषय इतना लंबा नहीं है। यह तो अध्यादेश को हटाकर विधेयक लाया जा रहा है। अदालत द्वारा जो विसंगतियां इंगित की गयी हैं, उसे दूर करने के लिए लाया गया है। अदालत ने जिस समय विसंगति की बात की थी, उस समय संसद का सत्र नहीं चल रहा था, इसलिए अध्यादेश लाया गया था।
इस कानून के बारे में एक मई 2014 को जो अधिसूचना आयी थी, उसके बाद अप्रैल 2017 में गोवा पीठ का आदेश आया लेकिन त्रिपुरा उच्च न्यायालय द्वारा जून 2020 में संशोधन करने के लिए कहा गया। इस विधेयक से अनुच्छेद 20 में जो अधिकार दिया गया है, उसका कोई उल्लंघन नहीं है। किसी भी तरह से अनुच्छेद 20 में प्रदत्त अधिकार कम नहीं होगा। कुछ सदस्यों द्वारा गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह से बड़ी मात्रा में मादक पदार्थ के जब्त करने के मामले में कहा कि यह राष्ट्रीय बंदरगाह है।
वहां बड़ी मात्रा में मादक पदार्थ जब्त किया गया, तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। तीन सप्ताह के अन्दर यह मामला एनआईए को सौंप दिया गया। इसमें किसी प्रकार की देरी नहीं की गयी। इसी प्रकार 16.1 किलोग्राम हेरोइन दिल्ली के हवाई अड्डे पर जब्त की गयी और दो अफगानी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया। इस मामले को भी सीबीआई को सौैंप दिया गया। किसी भी देश से आने वाले मादक पदार्थों के मामले में त्वरित कार्रवाई करने में डीआरआई की प्रशंसा की जानी चाहिए। डीआरआई ने बिना समय गवांये मादक पदार्थों की खेप को पकड़ने में कामयाबी हासिल की।
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि हाल ही में एक निर्णय में त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने कहा था कि स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम (एनडीपीएस) की धारा 27 का संशोधन करके जब तक समुचित विधायी परिवर्तन नहीं होता है और उसके स्थान पर एनडीपीएस अधिनियम की धारा 2 के खंड 8ख के उपखंड 1 से उपखंड 5 रख नहीं दिये जाते हैं तब तक एनडीपीएस अधिनियम की धारा 2 के खंड 8ख के उपखंड 1 से उपखंड 5 लोप या निरस्तता के प्रभाव से प्रभावित होते रहेंगे। इसमें कहा गया है कि एनडीपीएस की धारा 27क की विसंगति को ठीक करने के लिये धारा 27क के खंड 8क के स्थान पर 8ख प्रतिस्थापित करने का निर्णय किया गया है ताकि इसके विधायी आशय को पूरा किया जा सके।