पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री, वाराणसी । शिवलिंग को सोना, चांदी, तांबा, पारद आदि विभिन्न पदार्थों से बनाकर इसकी पूजन-अर्चना की जाती है, लेकिन इनमें से पारद शिवलिंग को विशेष महत्ता प्राप्त है। शास्त्रों में पारद शिवलिंग की अपार महिमा का वर्णन है। कहा गया है कि करोड़ों शिवलिंगों के पूजन से जो फल प्राप्त होता है, उससे भी करोड़ों गुना अधिक फल पारद शिवलिंग की पूजा-दर्शन से ही प्राप्त हो जाता है। इसके स्पर्श से जहां मोक्ष की प्राप्ति होती है, वहीं इसकी पूजा-अर्चना से दैहिक, दैविक और भौतिक प्रगति होती है। यहां हम आपको बता रहे हैं ऐसे ही चमत्कारी पारद शिवलिंग के कुछ प्रमुख प्रयोग।
1. पारद शिवलिंग पर तीर्थ जल द्वारा नमक-चमक रुद्राभिषेक कराकर उस जल से लकवा के रोगी को स्नान कराने तथा वही जल पिलाने से कुछ ही दिनों में रोग दूर हो जाता है।
2. पारद शिवलिंग के रुद्राभिषिक्त जल द्वारा ब्लड कैंसर के रोगी को स्नान कराने तथा वही जल पिलाने और नित्य महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से काफी लाभ होता है।
3. पारद शिवलिंग के रुद्राभिषिक्त जल से क्षय रोगी को नहलाएं, वही जल पिलाएं तथा 40 दिनों तक भगवान पारदेश्वर को 4-4 अमरूद चढ़ाकर रोगी को खिलाएं। क्षय रोग दूर हो जाएगा।
4. सालम मिश्री (कुंजे वाली) 3 माशा और मूसली 13 मासा दोनों को पीसकर आधा किलो दूध में डालकर खीर बनाएं। फिर पारद शिवलिंग को भोग लगाकर इसका सेवन करने से नपुंसकता का निवारण होता है।
5. जिस घर में पारद शिवलिंग होता है, उस घर की अनेक पीढिय़ों को ऋद्धि-सिद्धि और स्थायी लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
6. जो साधक अपने घर में पारद शिवलिंग का नित्य दर्शन-पूजन करता है, वह सभी पापों से मुक्त होकर अनेक सिद्धियां और धन-धान्य प्राप्त कर पूर्ण सुख भोगता है।
7. ‘ब्रह्मवैवर्त पुराण’ के अनुसार विधि- विधानपूर्वक पारद शिवलिंग का एक बार भी पूजन करने से जब तक सूर्य और चंद्र रहते हैं, तब तक पूर्ण सुख प्राप्त होता है। ऐसे व्यक्ति के जीवन में धन, यश, मान, पद-प्रतिष्ठा तथा पुत्र-पौत्र आदि का अभाव नहीं होता।
8. पारद शिवलिंग की पूजा करने से आयु, आरोग्य, ऐश्वर्य तथा अन्य मनोवांछित वस्तुओं की प्राप्ति सहज ही हो जाती है।
9. चार किलो रुद्राभिषिक्त जल में 250 ग्राम नमक डालकर उबालें। जब पानी चौथाई रह जाए तो उससे पीड़ायुक्त हाथ-पैरों को धोएं। कुछ ही दिनों में हाथ-पैरों का दर्द दूर हो जाएगा।
10 प्रतिदिन प्रात:काल खाली पेट सवा किलो रुद्राभिषिक्त जल के साथ दो चम्मच त्रिफला चूर्ण खाने से स्त्रियों को प्रदर रोग, गर्भ संबंधी विकार तथा मासिक धर्म में गड़बड़ी आदि से छुटकारा मिल जाता है।
11. गर्भावस्था के आठवें एवं नौवें माह में स्त्री को प्रतिदिन रुद्राभिषिक्त जल पिलाने से सुखपूर्वक प्रसव होता है।
12. हृदय रोगी को रुद्राभिषिक्त जल पिलाने तथा उसके सीने पर वही जल लगाने से हृदयाघात की संभावना दूर हो जाती है।
13. ‘रसार्णव तंत्र’ में कहा गया है कि जो व्यक्ति पारद शिवलिंग की एक बार भी पूजा कर लेता है, उसे इस जीवन में ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों प्रकार के पुरुषार्थों की प्राप्ति हो जाती है।
14. ‘रत्न समुच्चय’ के अनुसार पारद शिवलिंग की नियमित रूप से आराधना करने पर समस्त रोगादि का नाश होता है।
15. ‘रसेंद्र चूड़ामणि’ में कहा गया है कि रसलिंग (पारद शिवलिंग) के स्थान पर मात्र ‘रस-रस’ कहने से ही मनुष्य समस्त पापों से मुक्त हो जाता है।
16. विशुद्ध तथा प्रबल ऊर्जावान पारद शिवलिंग का मात्र दर्शन करने वाला व्यक्ति कल्याणप्रद धर्म को प्राप्त होता है।
17. विशेष शास्त्रीय तथा तंत्रोक्त विधियों से बद्ध पारद द्वारा निर्मित शिवलिंग की नियमित पूजा-अर्चना करने वाला मनुष्य इस भौतिक जगत में प्रत्येक मनोवांछित वस्तु प्राप्त कर लेता है।
इस शिवलिंग की महिमा जितनी कही जाये उतनी कम है, सुख, धन, विद्या चाहने वालों को इसकी जरुर पूजा करनी चाहिए।
जोतिर्विद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
9993874848