- मेडिक्स ग्लोबल, यूके की फाउंडर और सीईओ ने आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी में विचार-विमर्श के दौरान साझा किया अपना विजन
- ‘द फ्यूचर ऑफ हेल्थकेयर – द रोल डिजिटल हेल्थ विल प्ले इन द पोस्ट पेंडेमिक हेल्थकेयर लैंडस्केप’ थीम पर आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी में वेबिनार का आयोजन
- स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में होने वाले अविश्वसनीय बदलावों की जानकारी डेटा शेयरिंग द्वारा जुटाना संभव
जयपुर : – प्रमुख हेल्थकेयर इंस्टीट्यूट आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी ने ‘द फ्यूचर ऑफ हेल्थकेयर – द रोल डिजिटल हेल्थ विल प्ले इन द पोस्ट पेंडेमिक हेल्थकेयर लैंडस्केप’ थीम पर वेबिनार का आयोजन किया। वेबिनार की शुरुआत आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेंट डॉ पी आर सोडानी के स्वागत भाषण के साथ हुई। आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर, मार्केटिंग एंड चेयर, सेंटर फॉर इनोवेशन, इनक्यूबेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप (सीआईआईई) डॉ. शीनू जैन ने इस कार्यक्रम का संचालन किया।
मुख्य वक्ता के तौर पर सुश्री सिगल एट्जमोन, फाउंडर और सीईओ, मेडिक्स मेडिक्स ग्लोबल, यूके ने उद्बोधन दिया। वेबिनार के दौरान स्वास्थ्य के क्षेत्र में टैक्नोलाॅजी को अपनाने, स्वास्थ्य क्षेत्र पर कोविड-19 का प्रभाव, स्वास्थ्य सेवा वितरण के प्रमुख हिस्से के रूप में वर्चुअल केयर और न्यू नाॅर्मल के दौर में डिजिटल स्वास्थ्य जैसे विषयों पर विचार-विमर्श किया गया।
आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेंट डॉ. पी. आर. सोडानी ने इस अवसर पर कहा, ”आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी ने भारत और विदेशों दोनों में 36 वर्षों से अधिक समय से स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में एक विशिष्ट जगह बनाई है और विभिन्न प्रोजेक्ट्स के माध्यम से प्रसिद्ध संस्थानों के साथ सहयोग किया है, जैसे डब्ल्यूएचओ, बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और कई अन्य। हाल के दौर में हर इंसान के जीवन में महामारी ने जो भारी तबाही मचाई है, उसके साथ अब हम डेटा शेयरिंग द्वारा डिजिटल ईकोसिस्टम के साथ हो रहे स्वास्थ्य सेवा में अविश्वसनीय बदलावों को महसूस कर सकते हैं। हमने देखा है कि कोविड से पहले और कोविड के बाद फार्मा क्षेत्र में कितना जबरदस्त बदलाव आया है।
इस वेबिनार के माध्यम से हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि कैसे कोविड-19 ने डेटा इंटरऑपरेबिलिटी और एनालिटिक्स, डेटा शेयरिंग, डिजिटल स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में टैक्नोलाॅजी को अपनाने के लिए हमें प्रेरित किया है। हमें खुशी है कि मेडिक्स ग्लोबल, यूके हमारे पैनल में है जो गुणवत्ता देखभाल के कार्यान्वयन और देखभाल की असमानता को कम करने की दिशा में उत्कृष्ट कार्य कर रहा है। यह संगठन बीमा कंपनियों, कॉरपोरेट और सरकार से संबंधित संस्थाओं को उनकी स्वास्थ्य संबंधी रणनीतियों को बढ़ाने के लिए अपना समर्थन दे रहा है।”
2020 की पहली तिमाही में आईबीईएफ की रिपोर्ट के अनुसार, स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में वॉल्यूम में 50 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जहां इसका मूल्य 452 मिलियन अमरीकी डालर था, जबकि 2019 में यह राशि 398 मिलियन अमरीकी डालर थी।
सुश्री सिगल एट्जमोन, फाउंडर और सीईओ, मेडिक्स मेडिक्स ग्लोबल, यूके ने एक उद्यमी के रूप में अपनी यात्रा की चर्चा करते हुए कहा, ”हेल्थकेयर की दुनिया न सिर्फ भारत में, बल्कि दुनिया भर में एक वास्तविक क्रांति के दौर से गुजर रही है। इस तरह हम कह सकते हैं कि उन लोगों के लिए जबरदस्त अवसर मौजूद हैं, जिन्होंने हेल्थ एंटरप्रेन्योरशिप में पीजी डिप्लोमा जैसे कार्यक्रमों में दाखिला लिया है। स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में कई बदलाव हुए हैं, क्योंकि इस महामारी के दौरान अनेक नए विचार सामने आए हैं।
यह वह समय है जब कई युवा स्टार्ट-अप को नवाचार के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में बदलाव लाने और लोगों की पहुंच और सामथ्र्य में सुधार करने का अवसर मिलेगा। हर स्टार्ट-अप यूनिकॉर्न है, उन्हें हार नहीं माननी चाहिए और दृढ़ संकल्प, अनुशासन के साथ कड़ी मेहनत करनी चाहिए और हमेशा प्रेरित रहना चाहिए।” महामारी के बाद स्वास्थ्य सेवा में व्यापक बदलाव नजर आ रहे हैं और टीकों, एंटीबायोटिक दवाओं, स्वच्छता और पोषण जैसे क्षेत्रों में भी सुधार हुआ है। बढ़ती चिकित्सा लागत पर दुनिया भर की सरकारों ने चिंता व्यक्त की है। लोग बेहतर चिकित्सा सेवाओं के लिए अपनी जेब से भुगतान करते हैं, हालांकि, इन्हें और अधिक किफायती और दीर्घकालिक बनाना महत्वपूर्ण है।
सुश्री सिगल एट्जमोन ने आगे कहा, ”नई तकनीकों, डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों को अपनाने से सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा की पहुंच में सुधार हुआ है। डिजिटल हेल्थ सॉल्यूशंस ने उस अंतराल को कम कर दिया है जहां वैश्विक विशेषज्ञता वाले डॉक्टरों के माध्यम से रोगियों की पहुंच में आसानी के कारण निदान अब अधिक सटीक तरीके से हो रहा है। आज जरूरत इस बात की है कि दुनिया भर की सरकारें स्वास्थ्य सेवाओं को किफायती और सुलभ बनाएं, ताकि इलाज पर होने वाले खर्च को कम किया जा सके।
हम जानते हैं कि हम आपस में सहयोग कर सकते हैं, एक दूसरे से डेटा साझा कर सकते हैं, हम जानते हैं कि हमारे पास ऐसे अलग-अलग तरीके हैं, जो पूरे माहौल को बदलने की क्षमता रखते हैं, जैसे एआई, जीनोमिक्स इत्यादि। डेटा साझा करने और नैदानिक परीक्षण, डिजिटल स्वास्थ्य और सूचना के सामुदायिक आदान-प्रदान के कारण ही यह संभव हो सका कि हम वैक्सीन को एक वर्ष से भी कम समय में विकसित कर सके और जल्द ही हम टीकाकरण अभियान को शुरू कर सके। एआई और मशीन लर्निंग बड़े पैमाने पर डेटा का मिलान कर रहे हैं और व्यक्तिगत स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में उपयोगी रहे हैं। भारत में सरकार उन स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहन दे रही है जो होम केयर में सक्रिय रहे हैं और सभी के लिए डिजिटल हेल्थ प्लेटफॉर्म की गुणवत्ता-संचालित स्वास्थ्य सेवा को और बढ़ावा दे रहे हैं।”
सुश्री सिगल एट्जमोन ने कहा, ”डेटा शेयरिंग, क्लीनिकल ट्रायल्स और डिजिटल हेल्थ के माध्यम से हम जटिलताओं, साइड इफेक्ट्स, डाइग्नोसिस और यहां तक कि रोगियों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए सही निदान को लेकर जरूरी कार्रवाई कर सकते हैं। महामारी पूरी तरह से समाप्त होने के बाद डिजिटल स्वास्थ्य हमारे जीने, काम करने, सीखने और आराम करने के तरीके को बदल देगा, इस बात की पूरी संभावना है। इसके साथ ही बायोमेट्रिक सेंसिंग और रोबोट सर्जनों के साथ हम इनोवेशंस के बेहतर परिणाम भी देख सकेंगे।”
आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर, मार्केटिंग एंड चेयर, सेंटर फॉर इनोवेशन, इनक्यूबेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप (सीआईआईई) डॉ. शीनू जैन ने चर्चा का हिस्सा बनने के लिए सुश्री सिगल एट्जमोन को धन्यवाद दिया। उन्होंने आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप (सीआईआईई) की शुरुआत की, जिसमें टीचिंग एंड ट्रेनिंग, रिसर्च एंड केस राइटिंग, मेंटरिंग, इवेंट/आउटरीच और एंटरप्रेन्योरशिप इको सिस्टम और सभी स्टार्ट-अप्स को इम्प्लीमेंटेशन सपोर्ट जैसे पांच प्रमुख क्षेत्र हैं।
डॉ. शीनू ने हेल्थ एंटरप्रेन्योरशिप में पीजी डिप्लोमा की शुरुआत की, जो भारत में अपनी तरह का एक अनूठा प्रोगग्राम है, जिसे नेशनल स्किल्स क्वालिटी फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) के तहत यूजीसी द्वारा अनुमोदित किया गया है। इस अवसर पर डॉ. शीनू ने कहा, ”आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी एक ग्रैंड हेल्थ इनोवेशन चैलेंज की मेजबानी करेगा, जो 17 जुलाई 2021 को आयोजित किया जाएगा। इसके लिए आवेदन की अंतिम तिथि 10 जुलाई, 2021 है। इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य संबंधी सभी नए विचारों को आमंत्रित किया जा रहा है, जिनका आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर इनोवेशन, इनक्यूबेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप (सीआईआईई) में मार्गदर्शन किया जाएगा।” इस वेबिनार में 250 से अधिक लोगों ने भाग लिया। नेपाल, सऊदी अरब, ऑस्ट्रेलिया सिंगापुर, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और देश के कई अन्य हिस्सों से भी लोग इस वेबिनार में शामिल हुए।