कूचबिहार। मौसम बदलने के साथ बुखार, सर्दी और खांसी का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है. बुखार, सर्दी व खांसी से ज्यादातर छोटे बच्चे बीमार पड़ रहे हैं पीड़ित। अस्पतालों पर मरीनों की भीड़ बढ़ती जा रही है। इस बीच कूचबिहार मेडिकल कॉलेज में छह बच्चों के एडिनो वायरस से संक्रमित होने से आम लोग व उनके अभिभावक चिंतित हैं. इसी महीने कूचबिहार जिला स्वास्थ्य विभाग ने एडिनोवायरस संक्रमण की जांच के लिए 25 बच्चों के नमूने भेजे थे। इन 25 में से कूचबिहार मेडिकल कॉलेज से 10 बच्चों के सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे।
10 में से 6 बच्चे एडिनोवायरस से संक्रमित पाए गए। नतीजतन, जिला स्वास्थ्य विभाग से लेकर कूचबिहार मेडिकल कॉलेज के अधिकारी सकते में हैं। इस बात के मद्देनजर जिला स्वास्थ्य विभाग बच्चों पर अतिरिक्त निगरानी कर रहा है। कूचबिहार जिले ही नहीं बल्कि कूचबिहार जिले के साथ-साथ पड़ोसी जिलों और पड़ोसी राज्यों में भी जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा निगरानी की जा रही है।
स्वास्थ्य विभाग हर दिन जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार और असम के बच्चों का डाटा जुटा रहा है। स्वास्थ्य विभाग किसी भी तरह से स्वास्थ्य सेवा ठप न हो इसके लिए जिले भर में बुखार, सर्दी-खांसी से पीड़ित बच्चों का आंकड़ा लगातार जुटा रहा है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन के मुताबिक कूचबिहार मेडिकल कॉलेज में 24 घंटे एक शिशु रोग विशेषज्ञ को रखा गया है. साथ ही बच्चों के आउट पेशेंट विभाग को पूरी तरह से अलग कर दिया गया है ताकि आउट डोर में डॉक्टर को देखने में परेशानी न हो।
कूचबिहार मेडिकल कॉलेज पेशेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष पार्थ प्रतिम राय ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन के अनुरूप सभी व्यवस्थाएं हैं. बच्चों के लिए अलग से ओपीडी खोली गई है। बाल रोग विशेषज्ञ सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक यहां रहते हैं। इमरजेंसी में शाम 4 बजे से अगले दिन सुबह 8 बजे तक एक बाल रोग विशेषज्ञ भी रहता है। बाल रोग विशेषज्ञों का 24 घंटे परामर्श उपलब्ध है।
प्रतिदिन करीब 200 से 250 बच्चे इलाज के लिए आ रहे हैं। सभी को बुखार सर्दी खांसी जैसे लक्षण आ रहे हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि हर कोई एडिनोवायरस से संक्रमित है। डॉक्टरों ने कई बच्चों के लक्षण देखकर एडिनोवायरस के लक्षण के मद्देनजर इनके सैंपल जांच के लिए भेजे थे। वह रिपोर्ट अब आ गई है। कूचबिहार मेडिकल कॉलेज से 10 लोगों का सैंपल भेजा गया था।
उन 10 में से 6 एडिनोवायरस से संक्रमित हैं। लेकिन अब वे ठीक हैं। हर मरीज को स्वस्थ सेवाएं मिले, इसके लिए लगातार मॉनिटरिंग की जाती है। यह भी निर्णय लिया गया है कि किसी भी मरीज को वास्तव में इलाज के लिए वापस नहीं भेजा जा सकता है। और न ही किसी मरीज को रेफर किया जा सकता है। जिनका यहीं इलाज होगा।