टीमलीज़ स्किल्स युनिवर्सिटी के अनुसार नियोक्ता कौशल विकास के लिए एप्रेन्सिशिप को दे रहे हैं सबसे ज़्यादा महत्व

76 फीसदी नियोक्ताओं के अनुसार एप्रेन्टिसशिप एट्रिशन को कम करने में मदद करती है।
60 फीसदी नियोक्ताओं के अनुसार इससे उत्पादकता बढ़ती है।

मुम्बई : भारत में 500 मिलियन से अधिक कार्यबल हैं लेकिन उत्पादकता एक बड़ी चुनौती बनी हई है क्योंकि भारत में 56 फीसदी कार्यबल के पास बाज़ार की मांग को पूरा करने के लिए उचित कौशल नहीं हैं। 12 दिसम्बर को भारत में एप्रेन्टिसशिप अधिनियम के 60 साल पूरे हो गए, इस अवसर पर टीमलीज़ युनिवर्सिटी के नेशनल एम्प्लॉयबिलिटी थ्रू एप्रेन्टिसशिप प्रोग्राम (NETAP) के अध्ययन के बताया कि कर्मचारियों के कौशल विकास के लिए एप्रेन्टिसेज़ प्राइमरी टूल के रूप में उभर रहे हैं।

अध्ययन के मुताबिक 60 फीसदी नियोक्ताओं का मानना है कि एप्रेन्टिसशिप से उत्पादकता में सुधार होता है। 76 फीसदी का मानना है कि इससे एट्रिशन की समस्या हल होती है। अध्ययन के अनुसार एप्रेन्टिसशिप से उत्पादकता में 22 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है (पिछले साल 16 फीसदी से 5 फीसदी बढ़ोतरी)। साथ ही अन्य चैनलों के माध्यम से भर्ती किए गए लोगों की तुलना में एप्रेन्टिसेज़ की उत्पादकता अधिक होती है और एप्रेन्टिसशिप से भर्ती की लागत में 19 फीसदी कमी आती है।

इस अध्ययन ‘आरओआई ऑन एप्रेन्टिसशिप’ को आज राजेश अग्रवाल, सचिव, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय तथा मनीष सब्रवाल, वाईस चेयरमैन, टीमलीज़ सर्विसेज़ की मौजूदगी में जारी किया गया। यह अध्ययन इस बात पर रोशनी डालता है कि एप्रेन्टिसशिप में निवेश करने से नियोक्ताओं को लाभ हो रहा है, साथ ही भारत में एप्रेन्टिसेज़ सिस्टम को बढ़ावा देने पर ज़ोर देता है।

इस अवसर पर सुमित कुमार, वाईस प्रेज़ीडेन्ट एण्ड बिज़नेस हैड- छम्ज्।च्ए ने कहा, ”एप्रेन्टिस प्रोग्राम नियोक्ताओं के लिए फायदेमंद साबित हो रहे हैं, क्योंकि ये प्रोग्राम अपनी लागत से ज़्यादा रिटर्न देते हैं, उत्पादकता बढ़ाते हैं, कम एट्रिशन, भर्तियों की कम लागत को सुनिश्चित करते हैं और खाली पदों को जल्द से जल्द भरने में कारगर होते हैं। यह रिपोर्ट बताती है कि एप्रेन्टिसशिप आज के दौर में एक शक्तिशाली उपकरण है।’

‘एप्रेन्टिसेज़ अधिनियम को 1961 में पारित किया गया और यह 1975 के 20 बिंदुओं के प्रोग्राम में 20वां बिन्दु था। भारतीय श्रम बल के सिर्फ 4 फीसदी हिस्से को ही संरचित एप्रेन्टिसशिप मिल पाती है और 0.5 फीसदी से भी कम उद्यमों को औपचारिक एप्रेन्टिसशिप प्रोग्राम मिलते हैं। एप्रेन्टिसशिप का दायरा बढ़ाने और इसकी सही क्षमता का उपयोग करने के लिए नीतिगत परिप्रेक्ष्य से संरचित सुधारों की आवश्यकता है। इसके अलावा संगठनों की सोच और काम करने के तरीकों में भी बदलाव लाने की ज़रूरत है।’ श्री कुमार ने कहा।

इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए श्री राजेश अग्रवाल, सचिव, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय ने कहा, ”एप्रेन्टिसशिप कौशल की दृष्टि से मौजूद खामियों को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हम सिस्टम को सरल बनाने तथा देश में एप्रेन्टिसशिप को बढ़ावा देने के लिए हर ज़रूरी प्रयास कर रहे हैं। युवाओं को ब्लेंडेड लर्निंग, ऑन-द-जॉब ट्रेनिंग तथा सही कौशल देकर उन्हें उद्योग जगत के अनुसार तैयार किया जा रहा है। आने वाले सालों में सभी हितधारकों जैसे अकादमिक जगत, उद्योग जगत और सरकार को मिलकर काम करना होगा ताकि उम्मीदवारों एवं नियोक्ताओं में एप्रेन्टिसशिप को बढ़ावा दिया जा सके।’

यह रिपोर्ट तीन सुझावों और कारोबारों के पांच मंत्रों को भी बताती है, जो सिस्टम में सुधार लाने में मददगार हो सकते हैं। नीतिगत परिप्रेक्ष्य से देखा जाए तो कारोबार के अनुकूल वातावरण के द्वारा बड़े उद्यमों में सुधार लाया जा सकता है क्योंकि उनके कार्यबल में 2.5 फीसदी एप्रेन्टिसेज़ होते हैं। रिपोर्ट एनईपी के सुझाव के अनुसार क्रेडिट आधारित एप्रेन्टिसशिप डिग्री प्रोग्राम के महत्व पर भी ज़ोर देती है। इसके अलावा यह लर्निंग सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए एप्रेन्टिसेज़, अकादमिक एवं उद्योग जगत के बीच साझेदारी पर ज़ोर देती है।

संगठन के दृष्टिकोण से देखा जाए तो ‘आरओआई ऑन एप्रेन्टिसशिप’ के अनुसार कार्यबल की योजना में एप्रेन्टिसशिप सबसे मुख्य केन्द्रबिन्दु है। इसके अलावा इसमें उद्योग जगत की भागीदारी बढ़ाना, एप्रेन्टिसेज़ के लिए प्रत्यास्थ भत्ते को सुनिश्चित करना तथा एक समान मैनेजमेन्ट प्रथाओं को बढ़ावा देने भी महत्वपूर्ण है।

यह पहल 10 सालों में 10 मिलियन एप्रेन्टिसेज़ तक पहुंचने के भारत के दृष्टिकोण को साकार करने में मदद करेगी और ब्राण्ड इंडिया के लिए फायदेमंद होगी क्योंकि आज बड़ी संख्या में विश्वस्तरीय नियोक्ता नए बाज़ारों, उत्पादन आधार एवं मानव पूंजी पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं।

नियोक्ता सर्वेक्षण के मुख्य परिणाम :
* सर्वेक्षण किए गए 61 फीसदी नियोक्ताओं के अनुसार एप्रेन्टिसशिप में शुद्ध सकारात्मक मूल्य है।
* 53 फीसदी नियोक्ताओं के अनुसार भर्तियों की कम लागत और दीर्घकालिक परफोर्मेन्स इसके दो बड़े फायदे हैं।
* तकरीबन 50 फीसदी नियोक्ताओं के अनुसार बेहतर परफोर्मेन्स और / या ज़्यादा रीटेंशन इसके दीर्घकालिक फायदे हैं।
* 60 फीसदी नियोक्ताओं के अनुसार उत्पादकता में सुधार हुआ है। कुल मिलाकर एप्रेन्टिसशिप की अवधि के आधार पर नियोक्ता एप्रेन्टिसेज़ के बेहतर कौशल से लाभान्वित हो रहे हैं, क्योंकि प्रशिक्षण पूरा होने के बाद उनकी उत्पादकता में सुधार होता है।
* 76 फीसदी नियोक्ताओं का कहना है कि एप्रेन्टिसशिप से एट्रिशन में कमी आती है क्योंकि कंपनी और कर्मचारी के बीच रिश्ते मजबूत होते हैं।
* 63 फीसदी नियोक्ताओं के अनुसार एप्रेन्टिसशिप से उनके कुल परफोर्मेन्स में सुधार हुआ है और वे अन्य फर्मों की तुलना में बेहतर काम कर पा रहे हैं।

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