उज्जैन। महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ, स्वराज संस्थान संचालनालय, मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित विक्रमोत्सव 2024 के अंतर्गत विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा संयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी दिनांक 5 मार्च 2024 को मध्याह्न में अर्थशास्त्र अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में सम्पन्न हुई। यह संगोष्ठी सम्राट विक्रमादित्य कालीन अर्थव्यवस्था विषय पर केंद्रित थी। अध्यक्षता रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के अर्थशास्त्र विभागध्यक्ष प्रो. शैलेश चौबे ने की। संगोष्ठी में विशिष्ट वक्ता डॉ. विश्वजीत सिंह परमार, कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा, विभागाध्यक्ष प्रो. सत्येंद्र किशोर मिश्रा आदि ने विषय के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों के प्राध्यापकों और शोध अध्येताओं ने शोधपत्रों का वाचन किया।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए विशेषज्ञ वक्ता प्रो. शैलेश चौबे जबलपुर ने अपने उद्बोधन में कहा कि सम्राट विक्रमादित्य के काल में मालवा सहित भारत के विभिन्न भागों में उत्पादित वस्तुओं का व्यापार-व्यवसाय विदेशों में किया जाता था। उस दौर में मालवा में उत्पादित वस्तुएँ श्रेष्ठ गुणवत्ता वाली मानी जाती थीं, जिन्हें विदेशों तक जलमार्ग से पहुंचाया जाता था। प्रमुख अतिथि वक्ता डॉ. विश्वजीत सिंह परमार ने विक्रमादित्य काल की सामाजिक-आर्थिक तथा प्रशासनिक दशाओं को वर्णन प्रस्तुत किया।
इस महत्वपूर्ण संगोष्ठी में विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि राजा विक्रमादित्य कालीन व्यापार-व्यवसाय नैतिक मूल्यों से परिपूर्ण था। इसलिए राजा के द्वारा अपनी प्रजा के विभिन्न प्रकार के हितों का संरक्षण किया जाता था। सम्राट विक्रमादित्य ने अकाल के समय मनुष्य ही नहीं, पक्षियों की पीड़ा को देखकर स्वयं अभावमय जीवन को अंगीकार कर लिया था। उस दौर की अर्थ व्यवस्था त्यागपूर्वक भोग की अवधारणा के अनुरूप थी। प्रो. शर्मा ने उज्जैन में नव स्थापित विक्रमादित्य वैदिक घड़ी की विशेषताओं से उपस्थित अध्येताओं और विद्यार्थियों को परिचित करवाया।
राष्ट्रीय संगोष्ठी में राजा विक्रमादित्य कालीन अर्थ तंत्र से सम्बंधित विभिन्न शोधपत्र वाणिज्य अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्र भारल, डॉ. नेहा माथुर, डॉ. अंजना गौड़, डॉ. दीपा द्विवेदी डॉ. धर्मेंद्र सिंह तथा स्वाति तिवारी द्वारा प्रस्तुत किए गए। अर्थशास्त्र के विद्यार्थियों तनिष्का सिंह, निधि नाडकर्णी, राजेश्वरी चौहान तथा चेतन जयंत ने राजा विक्रमादित्य के काल की परिस्थितियों का पावर पाईंट प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया।
संगोष्ठी के प्रारंभ में स्वागत भाषण प्रो. एस.के. मिश्रा द्वारा दिया गया। अर्थशास्त्र अध्ययनशाला में आयोजित इस संगोष्ठी में डॉ. संग्राम भूषण, डॉ. आशीष मेहता, डॉ. जितेश पोरवाल, डॉ. मनु गोराहा, डॉ. प्रीति पांडे विशेष रूप से उपस्थित रहीं। विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा विक्रमोत्सव के संदर्भ में अर्थशास्त्र एवं वाणिज्य अध्ययनशाला द्वारा विक्रमादित्य कालीन अर्थव्यवस्था विषय पर आयोजित संगोष्ठी में बड़ी संख्या में वाणिज्य, अर्थशास्त्र, मैनेजमेंट आदि के शिक्षकों और विद्यार्थियों ने सहभागिता की। संचालन डॉ. धर्मेंद्र सिंह तथा आभार राजेश्वरी चौहान द्वारा प्रस्तुत किया गया।
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