एक पदयात्रा भाषा शहीदों की याद में….!!

तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर : 19 मई के भाषा शहीदों की याद में मेदिनीपुर क्विज सेंटर की पहल पर रविवार की सुबह मेदिनीपुर शहर में पदयात्रा व सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया I 19 मई, 1961 को असम की बराक घाटी में बांग्ला भाषा की स्थिति की रक्षा के लिए आंदोलन कर रहे लोगों पर पुलिस ने अंधाधुंध गोलीबारी की थी।

पुलिस फायरिंग में भाषा आंदोलन के 11 जवान शहीद हो गए थे I उस दिन को याद करते हुए मेदिनीपुर क्विज सेंटर सोशल वेलफेयर सोसाइटी की पहल पर रविवार सुबह मेदिनीपुर शहर में भाषा शहीदों का स्मारक मार्च और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया।

सुबह कार्यक्रम की शुरुआत मेदिनीपुर शहर के विद्यासागर मेमोरियल मंदिर परिसर के सामने काजी नजरूल इस्लाम की आदमकद प्रतिमा के नीचे भाषा शहीदों के चित्रों पर माला चढ़ाने और उनके चरणों में पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई।

A march in memory of language martyrs...!!

सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद जुलूस शुरू हुआ औ रगांधी मोड़ से गुजरते हुए पदयात्रा पंचूर चौक स्थित रवीन्द्र मूर्ति के चरणों तक पहुंची। वहां रवीन्द्र मूर्ति पर माल्यार्पण और सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए।

दोनों स्थानों पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों में प्रख्यात वक्ता, इनसाइक्लोपीडिया ऑफ मेदिनीपुर नंददुलाल भट्टाचार्य, प्रख्यात चिकित्सक एवं साहित्यकार डॉ. बिमल गुरिया ने इस दिवस के महत्व पर चर्चा की।

रथिन दास, मतुआर मल्लिक, डॉ. अमितेश चौधरी, आवृत्ति शिक्षिका स्वागता पांडे, कौस्ताब बनर्जी, अर्नब बेरा, शिक्षक मणिकंचन रॉय आदि ने भाषा शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए संगीत प्रस्तुत किया।

इसके अलावा विद्यासागर शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. विश्वजीत सेन, खाकुड़दा भगवती देवी शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय के प्राचार्य डॉसिद्धार्थ मिश्रा, प्रख्यात नृत्यांगना सोमा चटराज, तरुण थिएटर के सचिव विश्वजीत कुंडू, नाटककार और निर्देशक इंद्रदीप सिन्हा, केशपुर कॉलेज के प्रोफेसर डॉ..शांतनु पांडा,

हेडमास्टर सुरेश कुमार पाडिया, शिक्षक सुरजीत घोष, रक्तदान कार्यकर्ता घनश्याम घोराई, शिक्षक गुलाम नबी और अन्य गणमान्य व्यक्ति सहित मेदिनीपुर लाफिंग क्लब के सदस्य उपस्थित थे। मेदिनीपुर क्विज सेंटर की ओर से अल्पना देबनाथ बसु, गौतम बसु,

डॉ. प्रसून कुमार पाडिया, स्नेहाशीष चौधरी, शबरी बसु, सुदीप कुमार खांडा, सौनक साहू, डॉ. शुभ्रशु शेखर सामंत, नरसिंह दास, सूर्यशिखा घोष, मृत्युंजय सामंत और अन्य भी उपस्थित थे।

A march in memory of language martyrs...!!

कार्यक्रम की मेजबानी स्नेहाशीष चौधरी और सुदीप कुमार खांडा ने की। ज्ञात हो कि 1961 की 19 तारीख को असम की बराक घाटी के सिलचर में बंगाली भाषा की स्थिति की रक्षा के लिए विरोध प्रदर्शन करते समय 11 भाषा सैनिक कमला भट्टाचार्य,

हितेश विश्वास, कनाईलाल नियोगी, सुनील सरकार, सुकोमल पुरकायस्थ, तारणी देबनाथ, सचिन्द्र पाल, कुमुदरंजन दास, सत्येन्द्र देव, वीरेन्द्र सूत्रधर, चंडीचरण सूत्रधर शहीद हो गये थे।

कमला भट्टाचार्य दुनिया की पहली महिला भाषा शहीद हैं। उनकी मुख्य मांग बांग्ला को असम की आधिकारिक भाषा का दर्जा देना था। अंततः बांग्ला को असम की दूसरी आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी गई।

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