किशन सनमुखदास भावनानी की व्यंग कविता : सट्टेबाजी
।।सट्टेबाजी।। किशन सनमुखदास भावनानी मैं हूं बहुत बड़ा काम काजी मेरा घर परिवार है मुझसे
भावनानी के व्यंग्यात्मक भाव : एक राज की बात बताता हूं
।।एक राज की बात बतलाता हूं।। किशन सनमुखदास भावनानी एक राज की बात बतलाता हूं
भावनानी के व्यंग्यात्मक भाव : अभी भी बिंदास गुलाबी लेता हूं
।।अभी भी बिंदास गुलाबी लेता हूं।। किशन सनमुखदास भावनानी जांबाजी और जज्बा दिखाकर बहुत दिलेरी
भावनानी के व्यंग्यात्मक भाव : उई मां मैं तो अब मर गया
।।उई मां मैं तो अब मर गया।। किशन सनमुख़दास भावनानी बड़ी मुश्किल से ईडी, सीबीआई
डॉ लोक सेतिया की व्यंग्य कविता : आज हैं अपराधी बनेंगे कल नेता
“आज हैं अपराधी बनेंगे कल नेता” हर बात को देखने का होता है सबका अपना
डीपी सिंह की रचनाएं
आते ही चुनाव गाँव-गाँव में है काँव-काँव आतिशी प्रपंच कहीं खेड़ा का बखेड़ा है आम
किशन सनमुख़दास भावनानी की व्यंग कविता- मैं खुद पर अमल नहीं करता हूं
व्यंग्य कविता ।।मैं खुद पर अमल नहीं करता हूं।। किशन सनमुख़दास भावनानी मैं लोगों को