आशा विनय सिंह बैस की कलम से : कोई मंदिर शहर, कस्बे के कोलाहल से बहुत दूर
आशा विनय सिंह बैस। कल्पना करिए कि कोई मंदिर शहर, कस्बे के कोलाहल से बहुत
बैसवारा की कतकी/कार्तिक पूर्णिमा
करवा हैं करवाली, उनके बरहें दिन दिवाली। उसके तेरहें दिन जेठुआन, और फिर चुटिया-पुटिया बांध
बैसवारा का जेठुआन!!
रायबरेली। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को ‘देवउठनी एकादशी’ या ‘हरिप्रबोधिनी एकादशी’ कहते
आशा विनय सिंह बैस की कलम से…भगवान जगन्नाथ स्वामी की पूजा
आशा विनय सिंह बैस, बैसवारा, यूपी। हमारे यहां बैसवारा में चैत्र मास के सोमवार को
महरूल : बैसवारा की लोकसंस्कृति
विनय सिंह बैस, रायबरेली, उत्तर प्रदेश । महरूल का शाब्दिक अर्थ :- महरूल एक उर्दू