विनय सिंह बैस की कलम से : अगहन बरसे हून, पूस बरसे दून
अम्मा कहती थी – “कातिक बात कहातिक, अगहन हांड़ी अदहन, पूस काना टूस। माघ तिले-तिल
हिंदू पंचांग का नवां मास अगहन
आशा विनय सिंह बैस, नई दिल्ली। देवशयनी एकादशी’ से शुरू होकर ‘देवोत्थान एकादशी’ को समाप्त