सत्ता का हम्माम सभी एक समान ( व्यंग्य ) : डॉ. लोक सेतिया

हमारे ही देश की नहीं दुनिया भर की आम जनता की तकदीर यही है। उसको

कोरोना ज्ञान का संदेश है ( व्यंग्य ) : डॉ. लोक सेतिया

शायद अभी नहीं पहचानोगे समझोगे तभी जानोगे कभी कोरोना की कथा लिखोगे उसका संदेश मानोगे।

गधों का अखिल भारतीय सम्मेलन ( व्यंग्य ) : डॉ लोक सेतिया

सभी गधे ख़ुशी से झूम रहे हैं गा रहे हैं , अपना  राग सुना रहे

समझ नहीं आती लगती खूबसूरत ( व्यंग्य ) : डॉ. लोक सेतिया 

आपने महाभारत सीरियल देखा या नहीं , कुछ देखते हैं कुछ नहीं देखते हैं जो

मंगू की व्यथा… (व्यंग्य कथा) : विनय कुमार

सुबह-सुबह अखबार में खबर छपी थी, जिसमें सरकार ने घोषणा की है कि लॉकडाउन के

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मौत से डर के जीना छोड़ दोगे ( व्यंग्य कथा ) : डॉ. लोक सेतिया

शीर्षक से समझ सकते हैं ” करो- ना ” का उल्टा है ना करो। कुछ