झूलेलाल जयंती महोत्सव चेट्रीचंड्र व सिंधी भाषा दिवस 10 अप्रैल 2024 पर्व का शुभ योग एक साथ

आयोलाल सभई चओ झूलेलाल-चेट्री चंड्र जूं लख लख वाधायूं
इष्टदेव झूलेलाल जयंती महोत्सव पर खुशियों की बौछार-चार राज्यों के सार्वजनिक अवकाश की घोषणा से समाज हर्षोल्लास से सराबोर हुआ- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दुनियां में सबसे अधिक आस्था के प्रतीक भारत में अब आधुनिक डिजिटल युग में भी जनवरी से शुरू होने वाले नववर्ष भले ही पश्चिमी देशों में हर तिथि को अपने-अपने अनुसार मानते हों परंतु भारत में आज भी विक्रम संवत में गहरी आस्था, मान्यता व विश्वास है जो रेखांकित करने वाली बात है। करीब-करीब हर समाज इससे प्रेरित होकर अपने त्यौहार विक्रम संवत के हिसाब से मनाते हैं, जैसे पंजाबी समाज बैसाखी, सिंधी समाज चेट्रीचंड्र महाराष्ट्रीयन समाज गुड़ी पड़वा, केरल में कोकणी पर्व जिसे पड़वो भी कहते हैं सभी नव वर्ष के रूप में मनाते हैं। 10 अप्रैल 2024 को सिंधी समाज अपने इष्ट देव झूलेलाल जयंती महोत्सव चेट्रीचंड्र के रूप में पूरी दुनियां में मनाते है, जिसकी तिथि भी हमेशा विक्रम संवत के अनुसार होती है जो हर वर्ष अलग-अलग तारीखों में परंतु समानायतः मार्च या अप्रैल माह में होती है। इस महान प्यारे पर्व को महोत्सव के रूप में मनाने की भी एक विशेष अनोखी कहानी है जिसकी चर्चा हम नीचे करेंगे।

परंतु इस वर्ष छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश ने 10 अप्रैल 2024 को अवकाश घोषित किया है। यह जानकारी मीडिया में उपलब्ध है, जो रेखांकित करने वाली बात है। सिंधी समाज इस पर्व को बड़ी आस्था व विश्वास से मानता है। इस दिन समाज अपनी दुकानें व्यवसाय बंद रखकर पर्व मनाने में शामिल होता है। इष्ट देव झूलेलाल की विभिन्न झांकियों सहित शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसमें समाज का हर नागरिक शामिल होता है जिससे समाज में एकता देखने लायक होती है। चूंकि इष्ट देव झूलेलाल जयंती क्षेत्री चंड्र व सिंधी भाषा दिवस 10 अप्रैल 2024 का एक साथ योग आया है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे इष्ट देव झूलेलाल जयंती महोत्सव पर खुशियों की बौछार चार राज्यों ने सार्वजनिक अवकाश घोषणा से समाज हर्षोल्लाह से सराबोर हुआ। आयोलाल सभी ई चाओ झूलेलाल चेट्री चंड्र जूं लख-लख करोड़-करोड़ वाधायूं।

साथियों बात अगर हम झूलेलाल जयंती महोत्सव चेट्रीचंड्र की करें तो, चेट्री चंड्र सिंधियों द्वारा मनाये जाने वाला महत्पूर्ण त्यौहार है। हर साल इसे चैत्र शुक्ल पक्ष के दुसरे दिन मनाया जाता है। इस बार ये 10 अप्रैल 2023, को मनाया जाएगी। ज्यादातर ये त्यौहार गुडी पड़वा व उगडी के दुसरे दिन पड़ता है, इसे पड़ोसी देश सहित विश्व के हर देश में में रहने वाले सिन्धी भी मनाते है। इस दिन चाँद कई दिनों बाद पूरा नजर आता है, सभी लोग जल देव की आराधना करते है। चेट्रीचंड्र त्यौहार सिन्धी समाज द्वारा अपने इष्टदेव झूलेलाल जी की याद में मनाया जाता है। इस दिन सिन्धी समाज जल देव व झूलेलाल लाल जी की पूजा अर्चना करता है, सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते है, जूलूस निकाले जाते है। इस दिन प्रसाद के तौर पर उबले काले चने व मीठा भात सबको दिया जाता है। इस बार सिंधी समाज के आराध्य देव वरुणावतार भगवान झूलेलाल की जयंती 10 अप्रैल को मनाई जा रही है। इस बार संयोग यह है कि इसी दिन सिंधी भाषा दिवस भी है। वर्ष 1967 में इसी दिन 10 अप्रैल को सिंधी भाषा को 21 वें संशोधन अधिनियम द्वारा 8 वीं अनुसूची में जोड़ा गया था जो सिंधी समाज के लिए गर्व की बात है।

साथियों बात अगर हम झूलेलाल जयंती महोत्सव चेट्रीचंड्र मनाने के कारणों की करें तो, दुनियां में जब जब अत्याचार बढ़ा है, तब तब भगवान ने अपने भक्तों के लिए धरती में जन्म लिया है। युगों से ये बात चली आ रही है, भारत देश में कई भगवान, साधू संत ने जन्म लिया और दुनियां को सही गलत में फर्क समझाया है। सभी समाज धर्म के भगवान पाप को ख़त्म करने के लिए इस धरती पर आए- राम, कृष्ण, अल्लाह, येशु ऐसे ही कुछ नाम है। ऐसे ही एक और भगवान इस धरती पर आए, जिन्हें झूलेलाल नाम से जाना जाता है। इन्हें सिन्धी समाज का इष्टदेव कहा जाता है। ये हिन्दू धर्म के भगवान वरुण का अवतार है। जिनका जन्म 10 वीं शताब्दी के आस पास हुआ था। कुछ लोग इन्हें सूफी संत भी बोला करते है, जिन्हें मुस्लिम भी काफी पूजते थे। कुछ लोग इन्हें जल देव का अवतार मानते थे। सिन्धु घाटी की सबसे पहली व पुरानी सभ्यता मोहनजोदड़ो है, यही सिंध में ही झूलेलाल जी का जन्म हुआ था।उनके जन्म को आज भी सिन्धी समाज व पड़ोसी मुल्क के कुछ हिस्सों में लोग झूलेलाल जयंती या चेट्री चंड्र नाम से मनाते है। इस दिन ने सिन्धी समाज का नया वर्ष शुरू होता है, जिसे वे बड़ी धूमधाम से मनाते है।

साथियों बात हम सिंधी समाज के इष्टदेव झूलेलाल के जन्म याने अवतरण की करें तो, सिंधी समाज पर हो रहे अत्याचार की पुकार सुन जल देवता से आकाशवाणी के 2 दिन बाद चैत्र माह की शुक्ल पक्ष में नासरपुर (पाकिस्तान की सिन्धु घाटी) के देवकी व ताराचंद के यहाँ एक बेटे ने जन्म लिया, जिसका नाम उदयचंद रखा गया। हिंदी में उदय का मतलब उगना होता है। भविष्य में ये छोटा बच्चा हिन्दू सिन्धी समाज का रक्षक बना, जिसने मिरक शाह जैसे शैतान का अंत किया और अपने नाम को चरितार्थ करते हुए उदयचंद जी ने सिंध के हिंदुओ के जीवन के अँधेरे को खत्म कर उजियाला फैला दिया। पहले उन्हें भगवान का रूप नहीं समझा गया, लेकिन अपने जन्म के बाद ही वे चमत्कार करने लगे। जन्म के बाद जब उनके माता पिता ने उनके मुख के अंदर पूरी सिन्धु नदी को देखा, जिसमें पलो नाम की एक मछली भी तैर रही थी, तब वे हैरान रह गए। इसलिए झुलेलाल जी को पले वारो भी कहा जाता है। बहुत से सिन्धी हिन्दू उन पर विश्वास करते थे, और उनको भगवान का रूप मानते थे, इसलिए कुछ लोग उन्हें अमरलाल भी कहते थे।

झूलेलाल जी को उदेरोलाल भी कहते है। संस्कृत में इसका मतलब है कि जो पानी के करीब रहता है या पानी में तैरता है। बाल्यावस्था में उदयचंद को झुला बहुत पसंद था, वे उसी पर आराम करते थे, इसी के बाद उनका नाम झूलेलाल पड़ गया। उनकी माता देवकी उन्हें प्यार से झुल्लण बोलती थी। उनकी माता का देहांत छोटी उम्र में ही हो गया था, जिसके बाद उनका पालन पोषण सौतेली माँ ने ही किया। बता दें एक अन्याई राजा द्वारा हिंदुओ पर जुल्म करना शुरू कर दिया था, सभी हिंदुओ को बोला गया, कि उन्हें इस्लाम अपनाना होगा, नहीं तो उन्हें मार डाला जायेगा, ऐसे में सिंध के सभी हिन्दू बहुत घबरा गए, तब सभी हिंदुओ को सिन्धु के नदी के पास इक्कठे होने के लिए बुलावा भेजा गया हज़ारों की संख्या में लोग वहां इकट्टा हुए, सबने मिलकर जल देवता दरिया शाह की उपासना और प्रार्थना की, कि इस विपदा में वे उनकी मदद करें। सभी ने लगातर 40 दिनों तक तप किया, तब भगवान वरुण ने खुश होकर उन्हें आकाशवाणी के द्वारा बताया, कि वे नासरपुर में देवकी व ताराचंद के यहाँ जन्म लेंगें, वही बालक इनका रक्षक बनेगा।

साथियों बात अगर हम इष्टदेव झूलेलाल जयंती के उपलक्ष में चार राज्यों में सार्वजनिक अवकाश घोषित करने की करें तो, छत्तीसगढ़ में चेट्रीचंड्र महोत्सव के अवसर पर 9 अप्रैल मंगलवार को सामान्य अवकाश की घोषणा की थी, जिसका आदेश सामान्य प्रशासन विभाग ने जारी किया था। इस आदेश में आंशिक संशोधन किया गया है, अब 9 अप्रैल के स्थान पर 10 अप्रैल बुधवार को चेट्रीचंड्र महोत्सव के लिए सामान्य अवकाश रहेगा। छत्तीसगढ़ सरकार ने चेट्रीचंड को सरकारी अवकाश घोषित करके सिंधी समुदाय की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा किया है। इससे पहले मध्यप्रदेश, गुजरात और राजस्थान में चेट्रीचंड की छुट्टी रहती है। मेरा मानना है कि चूंकि सिंधी समाज का राज्य भी उस तरफ छूट गया है, यहां समाज का कोई विशेष राज्य नहीं है, इसलिए हर राज्य में चेट्रीचंड्र उत्सव पर सार्वजनिक अवकाश पर विचार करने के साथ ही राष्ट्रीय अवकाश पर ध्यान देने की अपील सिंधी समाज द्वारा की जा रही है।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि आयोलाल सभई चओ झूलेलाल चेट्री चंड्र जूं लख-लख करोड़-करोड़ वाधायूं। इष्टदेव झूलेलाल जयंती महोत्सव चेट्रीचंड्र व सिंधी भाषा दिवस 10 अप्रैल 2024 पर्व का शुभ योग एक साथ। इष्टदेव झूलेलाल जयंती महोत्सव पर खुशियों की बौछार- चार राज्यों के सार्वजनिक अवकाश की घोषणा से समाज हर्षोल्लास से सराबोर हुआ।

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