लोकसभा चुनाव 2024 की आचार संहिता के बीच, होली महोत्सव 25 मार्च 2024 पर विशेष

होली के दिन दिल खिल जाते हैं, दुश्मन भी गले मिल जाते हैं
होली बुराई पर अच्छाई की जीत, आपसी सौहार्द बढ़ता तथा पुरानी शिकायतों को भूलकर प्रेम क्षमा और सकारात्मकता को अपनाने को प्रोत्साहित करता है- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर पूरी दुनियां में भारत त्योहारों के एक हब के रूप में अति प्रसिद्ध है, क्योंकि अनेकता में एकता का प्रतीक सर्वधर्म हिताय सर्वधर्म सुखाय और धर्मनिरपेक्षता के प्रतीक भारत में दिनांक 24 और 25 मार्च 2024 को होलिका दहन और रंग पंचमी रंगों का त्योहार होली मनाई जा रही है। इस बार की होली सबसे खास इसलिए भी हो जाती है कि लोकसभा चुनाव 2024 की आचार संहिता लगी हुई है और होली का महोत्सव पर भी चुनाव आयोग की पैनी नजर जरूर रहेगी कि कौन राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार आचार संहिता का उल्लंघन कर रहा है। परंतु मेरा मानना है कि इन रंगों के त्यौहार का दिन हर राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक स्तर पर पक्ष विपक्ष विरोधी, दुश्मन, दोस्त सबके दिल होली के दिन मिल जाते हैं। यहां तक कि दुश्मन भी गले मिल जाते हैं फिर तो बात ही कुछ और है! होली के दिन सिर्फ रंग बरसते हैं इसलिए लोग दोस्ती, प्यार, मोहब्बत के लिए तरसते हैं। सब कुछ भूल कर शारीरिक, मानसिक, स्वास्थ्य का को बढ़ावा देती है। चूंकि होली के दिन दिल खिल जाते हैं दुश्मन भी गले मिल जाते हैं, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे होली बुराई पर सचाई की जीत, आपसी सौहार्द बढ़ाना तथा पुरानी शिकायतों को भूलकर प्रेम, क्षमा और सकारात्मक को अपनाने को प्रोत्साहन करती है।

साथियों बात अगर हम होली महोत्सव 24-25 मार्च 2024 की करें तो होली, भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख त्योहार है जो रंगों का उत्सव मनाने के लिए माना जाता है। यह त्योहार हिन्दू पंचांग के फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है और भारत व अन्य कई देशों में धूमधाम से मनाया जाता है। होली का महत्व रंगों की भरमार, खुशियों का प्रकटीकरण और बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाने में है।, होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा के अगले दिन मनाई जाती है, जब लोग गुलाल (सूखे रंग), फूल और पानी से होली खेलते हैं। पूर्णिमा के दिन सूर्यास्त के बाद हर चौराहे, कॉलोनी, सोसायटी और मैदान में होलिका जलाई जाती है। इस साल होली सोमवार 25 मार्च 2024 को खेली जा रही है, जबकि होलिका दहन रविवार 24 मार्च 2024 को मनाया जा रहा है। होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और कहा जाता है कि इससे समृद्धि और खुशियाँ आती हैं और सभी नकारात्मकता और बीमारियाँ नष्ट हो जाती हैं। सभी त्यौहारों के साथ कुछ रीति-रिवाज और जश्न मनाने के तरीके जुड़े होते हैं, साथ ही भगवान की पूजा भी की जाती है। होली रंगों, मस्ती और उत्साह का त्यौहार है। यह नकारात्मकता और बुराई को दूर करने का भी प्रतीक है। होली के दौरान हम भगवान विष्णु की पूजा करते हैं क्योंकि उन्होंने अपने भक्त प्रह्लाद को उसके राक्षस पिता के अत्याचारों से बचाया था।

होली केवल रंगों और पानी से खेलने के बारे में नहीं है, बल्कि होली के उत्सव से जुड़े कई अनुष्ठान और समारोह हैं। लोग होली से कई दिन पहले ही होली मनाने की तैयारी शुरू कर देते हैं। वे अलाव के लिए लकड़ियाँ इकट्ठा करते हैं। वे गाय के गोबर से होलिका और प्रह्लाद की मूर्ति बनाते हैं। वे उपले (गाय के गोबर के केक) से होलिका की चिता के लिए हार बनाते हैं। होलिका दहन के दिन या छोटी होली पर लोग हर शहर के हर चौराहे पर इकट्ठी की गई लकड़ियों से होलिका की चिता बनाते हैं। वे अपनी मूर्तियों और अन्य ज्वलनशील पदार्थों को चिता में रखते हैं। यहाँ होलिका दहन पूजा में आवश्यक वस्तुओं की सूची दी गई है और होलिका स्थापना और पूजा प्रक्रिया के बारे में कुछ विवरण दिए गए हैं। होली एक महत्वपूर्ण भारतीय उत्सव है जो खुशियों और रंगों के साथ मनाया जाता है। इस उत्सव का महत्व उत्साह, खुशियाँ और सजीवता का प्रतीक है, जो समाज के साथ हमेशा जुड़ा रहता है। होली के दिन लोग एक-दूसरे के साथ खुशियों का त्योहार मनाते हैं, जिससे सामाजिक और पारिवारिक रिश्तों में मजबूती आती है। इस उत्सव में रंगों का खेल होता है, जो हमारे मन को उत्साहित करता है और सामूहिक खुशियों का माहौल बनाता है। होली के रंगों का विज्ञान भी आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इसमें खेले जाने वाले रंग और उत्साह शरीर और मन के संतुलन को बढ़ावा देते हैं। इस अद्भुत उत्सव के माध्यम से हम अपने जीवन में खुशियों की रंग भरते हैं और समाज में एकता और समरसता का संदेश देते हैं।

साथियों बात अगर हम होली महोत्सव में रंगों के महत्व की करें तो, होली भारत के प्रमुख हिंदू त्योहारों में से एक है। यह रंगों का त्योहार है, पूरे भारत में लोग अपने करीबियों को रंग लगाकर यह त्योहार मनाते हैं और शुभकामनाएं देते हैं। हमारे जीवन में रंगों का खास महत्व होता है। बिना रंग जीवन नीरस हो जाता है। रंगों के साथ दुनियां खूबसूरत दिखती है। प्रकृति और सृष्टि भी अलग अलग रंगों से सजी है, जैसे आसमान का नीला रंग, बादलों का सफेद और काला रंग, पेड़-पौधों की हरियाली, जमीन का गेरुआ रंग और न जाने कितने रंगों से सजी यह दुनियां हमें रंगों के महत्व से अवगत कराती है। रंग हमारी आंखों को सुकून भी देते हैं और जीवन में उमंग, प्यार और खूबसूरती को बढ़ाते हैं। रंगों को जीवन की खुशहाली का प्रतीक मानकर होली के मौके पर लोग अलग अलग तरह के रंग एक दूसरे को लगाते हैं।

इस होली के मौके पर हर रंग के महत्व को समझकर आइए अपने करीबियों या प्रियजनों को गुलाल लगाएं, हरे रंग को प्राकृतिकता का प्रतीक माना जा सकता है। प्रकृति की सुंदरता को बढ़ाने में हरे रंग का खास महत्व होता है। होली पर हरा रंग अपनों से बड़ों को लगा सकते हैं। यह रंग शीतलता, सुकून और सकारात्मकता का प्रतीक है। यह रंग आंखों में चुभता नहीं है और चेहरे पर खिलकर आता है। लाल रंग प्यार का प्रतीक होता है। होली में लाल रंग का गुलाल जोश और ऊर्जा को जाहिर करता है। होली पर अधिकतर लोग लाल रंग के गुलाल का उपयोग करते हैं। बच्चों से लेकर युवाओं पर लाल रंग का गुलाल शोभा देता है। यह रंग ऊर्जा, जज्बे और जोश को दर्शाता है और चेहरे की सुंदरता को बढ़ाता है। होली के मौके पर नारंगी रंग का उपयोग कर सकते हैं। नारंगी रंग दोस्तों, करीबियों और परिजनों को लगा सकते हैं। नारंगी रंग खुशियों, मिलनसारिता और खुशहाली का प्रतीक होता है। नारंगी रंग चेहरे का आकर्षण बढ़ाता है और आपके निर्मल मन को जाहिर करता है।

साथियों बात अगर हम लोकसभा चुनाव 2024 की आचार संहिता के बीच होली महोत्सव मनाने की करें तो, होली पर धमाल और हुड़दंग की तैयारी हर किसी ने की थी, लेकिन आयोग ने सभी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। आदर्श आचार संहिता में सामूहिक रूप से गुलाल उड़ाने की उम्मीद मन में ही दबी रह गई। संहिता का उल्लंघन पकड़ने को बड़े नेताओं के हर कार्यक्रम पर आयोग की नजर है। पुलिस ने खुफिया विभाग को भी निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी है। 24 और 25 मार्च को होली का त्योहार मना रहे है। चुनावी माहौल के बीच त्योहार को लेकर लोगों ने भरपूर तैयारी की थी। राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों द्वारा भी होली मिलन समारोह और सामूहिक भेंट कार्यक्रम की योजना बनाई थी। इससे पहले कि उमंग परवान चढ़ती, आयोग ने आदर्श आचार संहित लागू कर दी। आचार संहिता लागू होने के बाद होली के उल्लास पर प्रभाव दिख रहा है। सभी दलों के पदाधिकारियों ने अपने कार्यकर्ताओं को नियमों का पालन करने की सलाह दी है। उधर, आयोग ने भी सभी नेताओं के प्रत्येक कार्यक्रम पर निगरानी आरंभ करा दी है।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि होली के दिन दिल खिल जाते हैं, दुश्मन भी गले मिल जाते हैं।लोकसभा चुनाव 2024 की आचार संहिता के बीच, होली महोत्सव 25 मार्च 2024 पर विशेष। होली बुराई पर अच्छाई की जीत, आपसी सौहार्द बढ़ता तथा पुरानी शिकायतों को भूलकर प्रेम क्षमा और सकारात्मकता को अपनाने को प्रोत्साहित करता है।

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