भारत में 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव 19 अप्रैल से 1 जून 2024- नतीजे 4 जून 2024 को आएंगे
भारत में होने वाले लोकसभा चुनाव 2024 पर पूरी दुनियां की नजर लगी हुई है, इसको मतदाताओं को रेखांकित करना जरूरी है- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया
एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दुनियां के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में लोकसभा चुनाव 2024 के तारीखों का पूरा शेड्यूल घोषित हो चुका है और इसके साथ ही आचार संहिता अधिसूचना जारी होते ही मॉडल ऑफ कोड आफ कंडक्ट याने आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है, जिसके तहत देश भर में अभियान चलाकर राजनितिक दलों के होर्डिग बैनर पोस्टर उतारे जा रहे हैं, यही नहीं सरकारी योजनाओं के पोस्टर भी उतार दिए जाएंगे। अब आचार संहिता उल्लंघन की जानकारी सीधे चुनाव आयोग को दी जा सकती है, जिस पर चुनाव आयोग तेज रफ्तार से कार्यवाही करेंगे।
मेरा मानना है कि यह बता देना जरूरी है कि लोगों में यह गलत धारणा समाई हुई है कि आचार संहिता केवल राजनीतिक दलों पर ही लागू होती है। मेरा मत है कि यह हम सब यानी आम आदमी पर भी लागू होती है इसका उल्लंघन करने पर जेल की हवा खानी पड़ सकती है, परंतु सरकारी काम बंद नहीं होते उन्हें हमारा काम करना पड़ता है हमारा हर सरकारी काम होते रहेगा। सड़क पानी बिजली चालू सहायता परियोजनाएं सब चालू रहेंगे मकान की परमिशन का अगर पहले आवेदन दे दिया है तो पास होगा हमें कोई पोस्ट या मेल करते समय आचार संहिता के नियम पढ़ लेने चाहिए, नहीं तो जेल जाना पड़ सकता है। आचार संहिता का हम उल्लंघन नहीं कर सकते ठीक वैसे ही हम टीवी चैनल, सोशल मीडिया पर आज से ही देख रहे हैं कि फिर राजनीतिक प्रतिक्रियाओं डिबेट आरोप प्रत्यारोप शुरू हो गए हैं। 400 प्लस का बयान, अनेक पार्टियों 00 का बयान, विपक्ष का सत्ता में आने का बयान सहित अनेक बयानों पर सोशल मीडिया और टेलीविजन चैनलों पर बयानबाजी से शब्दों का घमासान शुरू हो गया है। चूंकि लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का ऐलान हो गया है और राजनीतिक पार्टियों में घमासान शुरू हो गया है इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारत में होने वाले लोकसभा चुनाव 2024 पर पूरी दुनियां की नजर लगी हुई है, इसको हर मतदाताओं ने रेखांकित करना जरूरी है।
साथियों बात अगर हम चुनाव तारीखों की घोषणा के बाद चुनाव प्रचार के मुद्दों, बयानों, प्रतिक्रिया गांव की करें तो,
मोदी की गारंटी : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसका स्पष्ट संकेत दिया है कि इस चुनाव में उनके प्रचार अभियान का मुख्य विषय मोदी की गारंटी रहने वाला है। पीएम और पार्टी के अनुसार, ‘मोदी की गारंटी’ युवाओं के विकास, महिलाओं के सशक्तीकरण, किसानों के कल्याण और उन सभी हाशिए पर पड़े और कमजोर लोगों के लिए एक गारंटी है जिन्हें दशकों से नजरअंदाज किया गया है।
कांग्रेस की न्याय गारंटी : देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना के राज्य चुनावों में कुछ हद तक फायदा होता दिखा, जब उसने लोगों को गारंटी दी। अब लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी ने युवाओं, किसानों, महिलाओं, श्रमिकों और आदिवासी समुदाय के लिए न्याय सुनिश्चित करने के साथ-साथ ‘भागीदार न्याय’ के उद्देश्य से अपनी 5 ‘न्याय गारंटी’ की बात की है। मणिपुर से मुंबई तक युवा नेता की अगुवाई वाली भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान लोगों के सामने न्याय की गारंटी पेश की गई है। विपक्षी पार्टी का घोषणापत्र इन गारंटी के इर्द-गिर्द तैयार किए जाने की संभावना है और पार्टी अपना अभियान इन्हीं गारंटी के इर्द-गिर्द तैयार करेगी।
बेरोजगारी और महंगाई : कांग्रेस सहित इंडिया गठबंधन बेरोजगारी और आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों का मुद्दा उठाता रहा है। उन्होंने बार-बार कहा है कि नौकरियों की कमी सबसे बड़ा मुद्दा है और उन्होंने इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश भी की है। पार्टी ने रोजगार वृद्धि और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का हवाला देते हुए पलटवार किया है। इस चुनावी मौसम में रोज़ी-रोटी से जुड़े इन मुद्दों पर बहस तेज होगी। अनुच्छेद 370, सीएए और समान नागरिक संहिता तीनों मुद्दे पार्टी के लंबे समय से किए गए वादों में शामिल रहे हैं। पार्टी ने संशोधित नागरिकता अधिनियम, 2019 के क्रियान्वयन और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की अपनी उपलब्धि को पेश करना जारी रखा है। पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर ऐसा कानून तैयार करने के अपने उद्देश्य के अग्रदूत के रूप में उत्तराखंड में भी समान नागरिक संहिता पर एक कानून पारित किया है। मोदी सरकार ने इन कदमों से यह दिखाने का प्रयास किया है कि वो जो कहती है वो करती है। राम मंदिर बीते 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को पार्टी ने जबरदस्त उत्साह के साथ मनाया। विपक्षी नेता भी मानते हैं कि राम मंदिर से भाजपा को उत्तर भारत में फायदा हुआ है। विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी को कम से कम 370 सीटें मिलने का ज्यादातर भरोसा इसी राम मंदिर लहर से पैदा हुआ है।
चुनावी बॉण्ड मामला : निर्वाचन आयोग ने चुनावी बॉण्ड का आंकड़ा सार्वजनिक कर दिया है। कांग्रेस ने चुनावी बॉण्ड योजना में कथित भ्रष्टाचार के लिए सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ उच्चतम न्यायालय से उच्च स्तरीय जांच और उसके बैंक खातों को ‘फ्रीज’ करने की मांग की है। चुनाव से ठीक पहले यह मुद्दा सामने आया है और विपक्ष ने इसे हाथों हाथ लिया है, लेकिन यह जमीनी स्तर पर काम करेगा या नहीं, यह अभी भी देखना बाकी है।
अमृत काल बनाम अन्याय काल : चुनावी मौसम के दौरान भाजपा का यह दावा होगा कि मोदी सरकार ने अमृतकाल में सुशासन, तेज गति से विकास और भविष्य के लिए एक दृष्टिकोण का आश्वासन दिया है। दूसरी ओर कांग्रेस ने मोदी सरकार के 10 वर्षों को ‘बेरोजगारी, बढ़ती कीमतें, संस्थाओं पर कब्ज़ा, संविधान पर हमला और बढ़ती आर्थिक असमानताओं वाला अन्याय काल करार दिया है। किसानों के मुद्दे और एमएसपी की कानूनी गारंटी चुनाव से ठीक पहले दिल्ली के निकट किसानों का आंदोलन भी चर्चा में हावी रहने की संभावना है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने किसानों के साथ विश्वासघात किया है। एक पार्टी ने किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी देने का वादा किया है। पार्टी नेता किसान नेताओं की चिंताओं को दूर करने के लिए उनसे बातचीत कर रहे हैं और वे आरोप लगाते रहे हैं कि कई आंदोलनकारी राजनीति से प्रेरित थे।
सरकार ने इस बात पर भी जोर दिया है कि कैसे उसकी ‘पीएम-किसान योजना’ ने खेती करने वालों के जीवन को बदल दिया है। अधिकतर चुनावों की तरह किसानों के मुद्दे इस बार भी महत्वपूर्ण होंगे।विचारधाराओं का टकराव, यह चुनाव एक महत्वपूर्ण चरण का भी प्रतीक है जिसे कई लोग दोनो पार्टियों के बीच विचारधाराओं की लड़ाई’ कहते हैं। दोनों पार्टियां अपने वैचारिक सिद्धांत लोगों के सामने रखेंगी और उनसे किसी एक को चुनने के लिए कहेंगी।विकसित भारत का दृष्टिकोण। पीएम ने कहा है कि देश का लक्ष्य एक विकसित राष्ट्र बनना है। उन्होंने कहा है कि उनकी सरकार 2047 तक इस लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। विकसित भारत का दृष्टिकोण भाजपा के चुनावी अभियान में महत्वपूर्ण रहने की संभावना है, जबकि विपक्ष इसे एक और जुमला करार दे रहा है। हालांकि, चुनाव अभियान के दौरान यह एक प्रमुख विषय बना रहेगा।
साथियों बात अगर हम चुनाव आयोग द्वारा 16 मार्च 2024 को 3 बजे चुनाव तारीखों की घोषणा की करें तो, निर्वाचन आयोग ने शनिवार को लोकसभा चुनाव 2024 के तारीखों की घोषणा कर दी। इस बार चुनाव 19 अप्रैल से एक जून के बीच सात चरणों में होंगे और मतगणना चार जून को होगी। मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने यहां संवाददाता सम्मेलन में बताया कि 18वीं लोकसभा के गठन के लिए चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के साथ ही देश में आचार संहिता तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है। इसके साथ ही सरकार ऐसा कोई नीतिगत फैसला नहीं कर सकेगी, जो मतदाताओं के फैसले को प्रभावित कर सके। कुमार ने बताया कि लोकसभा चुनाव 2024 में कुल 97 करोड़ पंजीकृत मतदाता हैं। इनमें से 49.7 करोड़ पुरुष, 47.1 करोड़ महिलाएं और 48 हजार ट्रांसजेंडर शामिल हैं। साल 2019 के चुनाव में मतदाताओं की कुल संख्या 90 करोड़ थी। उन्होंने बताया कि ऐसे मतदाताओं की संख्या 1.8 करोड़ है, जो पहली बार मतदान करेंगे और मतदाता सूची में 85 साल से अधिक उम्र के 82 लाख और सौ साल से अधिक उम्र के 2.18 लाख मतदाता शामिल हैं। कुमार ने बताया कि देशभर में मतदाता लिंगानुपात 948 है और 12 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में पुरुष मतदाताओं की तुलना में महिला मतदाताओं की संख्या अधिक है। उन्होंने कहा कि देश में 10.5 लाख से अधिक मतदान केंद्र होंगे और 55 लाख इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का इस्तेमाल होगा।
अतः अगर हम अपने पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि लोकसभा चुनाव 2024 तारीखों का ऐलान राजनीतिक पार्टियों के बीच धमासान भारत में 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव 19 अप्रैल से 1 जून 2024- नतीजे नतीजे 4 जून 2024 को आएंगे। भारत में होने वाले लोकसभा चुनाव 2024 पर पूरी दुनियां की नजर लगी हुई है, इसको मतदाताओं को रेखांकित करना जरूरी है।
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