दक्षिण कोरिया के डॉक्टरों की हड़ताल क्या नैतिकता के विरुद्ध नहींं है?
आम जनता को ज्यादा डॉक्टर और बेहतर मेडिकल फैसिलिटी देना सरकार का कर्तव्य है, इसे रोकनें या बाधित करने वाले मानवता के विरोधी हैं- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया
एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर आज हर देश ऐसा संकल्प लेता है कि वह अपने नागरिकों को बेहतर शिक्षा, प्राथमिक सुविधाएं, भरपेट भोजन व बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं, ज्यादा डॉक्टरों को उपलब्ध करवा कर दे सकें ताकि आपातकाल में या किसी महामारी से मुकाबला करने तत्पर रहे। परंतु साउथ कोरिया में पिछले माह की 20 फरवरी 2024 से जारी जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल का कारण जानकर शायद मानव जाति ही नहीं सारी दुनिया के डॉक्टर भी स्तब्ध रह जाएंगे, क्योंकि एक जमाना था जब हम डॉक्टर को ईश्वर का दर्जा देते थे, परंतु साउथ कोरिया में वहां की सरकार ने ऐसी नीति बनाई है जिसमें सरकार हर साल 2000 डॉक्टरों को तैयार करेंगे, क्योंकि साउथ कोरिया जैसे विकसित देश में मेडिकल फैसिलिटी का बुरा हाल है वहां 1000 लोगों पर सिर्फ 2.5 डॉक्टर हैं और इस देश का हेल्थ सिस्टम 90 प्रतिशत तक प्राइवेट अस्पताल पर निर्भर है, इसी वजह से डॉक्टर काफी पैसा कमाते हैं। बस! यही वजह है कि वहां के डॉक्टर प्रतिवर्ष 2000 डॉक्टरों को तैयार करने के डॉक्टर की पॉलिसी में अवरोध कर रहे हैं और 20 फरवरी से हड़ताल पर चले गए हैं जिससे मेडिकल सेवाएं ठप्प हो गई है, जो किसी भी तरह से उचित नहीं माना जा सकता और मानवता के खिलाफ है।
मेरा मानना है कि हर देश की मेडिकल एसोसिएशन दक्षिण कोरिया के इस डॉक्टरों के इस कदम का विरोध दर्ज करने की आवश्यकता है जिसकी शुरुआत भारत की इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा करने की शुरुआत की जानी चाहिए। क्योंकि मेरा मानना है कि दक्षिण कोरिया के डॉक्टरों की हड़ताल नैतिकता के विरुद्ध है। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, आम जनता को ज्यादा डॉक्टर और बेहतर मेडिकल फैसिलिटी देना सरकार का कर्तव्य है इसे रोकने हेतु या बाधित करने वाले डाक्टर मानवता के विरोधी हैं।
साथियों बात अगर कर हम दक्षिण कोरिया के डॉक्टरों की हड़ताल पर जाने की करें तो दक्षिण कोरिया में 10 हजार से ज्यादा डॉक्टरों और 80 फीसदी प्रशिक्षू स्टॉफ के हड़ताल पर चले जाने से स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई है इससे मरीज बेहाल हो उठे हैं। डॉक्टरों की व्यापक हड़ताल को देखते हुए दक्षिण कोरिया की सरकार ने उनके लिए अब गंभीर चेतावनी जारी कर दी है। सरकार ने दक्षिण कोरिया के हड़ताली डॉक्टरों से साफ कह दिया है कि या तो वह समय सीमा पर हड़ताल से वापस लौट आएं या फिर कानूनी कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहें। दक्षिण कोरिया के स्वास्थ्य मंत्री ने स्थानीय एसबीएस रेडियो को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि अगर हड़ताली डॉक्टर दिन के अंत (29 फरवरी) तक वापस नहीं लौटते हैं, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी दक्षिण कोरिया के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अधिकांश हड़ताली डॉक्टर समय सीमा के बावजूद काम पर नहीं लौटे हैं, उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म नहीं की तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों के काम बंद करने से अस्पतालों में अराजकता फैल गई है।
बता दें कि लगभग 10, हज़ार जूनियर डॉक्टरों के अलावा लगभग 80 प्रतिशत प्रशिक्षु कार्यबल ने एक नोटिस सौंपने के बाद पिछले सप्ताह नौकरी छोड़कर हड़ताल पर चले गए। डॉक्टरों ने मेडिकल स्टाफ की कमी और बढ़ती उम्र वाले समाज से निपटने के लिए मेडिकल स्कूल में प्रवेश में तेजी से वृद्धि करने की सरकार की योजना का विरोध किया। बिल के खिलाफ डॉक्टर न्यायालय में चुनौती दे सकते हैं, लेकिन मरीजों का इलाज नहीं करना उनके कर्त्तव्यों का उल्लंघन है। नैतिकता के विरुद्ध डॉक्टरों की इस हड़ताल से प्रदेश में विकट परिस्थिति उत्पन्न हो गई है। ऐसा करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ केस दर्ज किया जाए।
साथियों बात अगर हम हड़ताल के असर की करें तो बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक- 20 फरवरी को शुरू हुई हड़ताल का सबसे ज्यादा असर मेजर सर्जरीज पर होगा। पहले ही दिन सरकार के ऊपर सवालिया निशान लगने लगे और मरीजों के घरवाले हड़ताल का विरोध करने लगे। डॉक्टर्स यूनियन ने कहा- सरकार नए मेडिकल कॉलेजेस खोलकर कॉम्पिटिशन बढ़ाना चाहती है। इससे हमारी सैलरी कम हो जाएंगी। हम ये कभी नहीं होने देंगे। दूसरी तरफ, सरकार ने डॉक्टरों की मांग को बेतुका बताते हुए कहा कि लोगों को ज्यादा डॉक्टर और बेहतर मेडिकल सुविधा हर कीमत पर दी जाएंगी। अगर डॉक्टर हड़ताल वापस लेकर काम पर लौटते हैं तो ठीक रहेगा। ऐसा नहीं होने पर एक्शन लिया जाएगा। प्राईवेट हॉस्पिटल्स के भरोसे साउथ कोरिया में मेडिकल लॉबी बहुत दमदार मानी जाती है। यहां हेल्थ इंश्योरेंस के जरिए अस्पताल मोटी कमाई करते हैं। इस देश का हेल्थ सिस्टम 90 प्रतिशत तक प्राईवेट हॉस्पिटल्स के भरोसे चलता है। यही वजह है कि डॉक्टर्स भी काफी पैसा कमाते हैं। सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने कहा- जितने ज्यादा डॉक्टर्स बढ़ेंगे, उतना ज्यादा कॉम्पिटिशन बढ़ेगा और इसकी वजह से हमारी इनकम कम होती जाएगी। लिहाजा, हम नहीं चाहते कि सरकार ज्यादा मेडिकल कॉलेज खोलकर नए डॉक्टर्स तैयार करे। साउथ कोरिया के शहरों में तो हालात फिर भी ठीक हैं, लेकिन दूर-दराज के इलाकों में हालात बहुत खराब हैं। सरकार ने स्टाफ बढ़ाने का फैसला इसी तरह के क्षेत्रों को ध्यान में रखकर किया है। स्किन और प्लास्टिक सर्जरी के डॉक्टर्स तो बेहद गिने चुने हैं।
मरीजों के इलाज प्रभावित : बड़े पैमाने पर काम रुकने के परिणाम स्वरूप सर्जरी, कीमोथेरेपी और सी-सेक्शन को रद्द और स्थगित करना पड़ा। साथ ही सरकार ने अपनी सार्वजनिक स्वास्थ्य चेतावनी को उच्चतम स्तर तक बढ़ा दिया। चो ने स्वास्थ्य पेशेवरों की कमी और उभरते जनसांख्यिकीय संकट का हवाला देते हुए कहा कि सरकार अपनी सुधार योजना के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे मेडिकल स्कूल में प्रवेश में 65 प्रतिशत की वृद्धि होगी। उन्होंने कहा, अगर हम (वृद्धि का) दायरा कम करते हैं, तो इससे आवश्यक चिकित्सा कार्यबल उपलब्ध कराने में देरी होगी। मतदान से पता चलता है कि दक्षिण कोरिया की 75 प्रतिशत जनता सुधारों का समर्थन करती है और राष्ट्रपति, जिन्होंने हड़ताली डॉक्टरों पर सख्त रुख अपनाया है, ने अप्रैल 2024 के विधायी चुनाव से पहले अपनी अनुमोदन रेटिंग में वृद्धि देखी है।
साथियों बात अगर हम साउथ कोरिया सरकार के एक द्वारा उठाए गए एक्शन की करें तो, सरकार हर साल 2 हजार डॉक्टर्स तैयार करना चाहती है। आंकड़ों के लिहाज से देखें तो हर साल करीब 65 प्रतिशत ज्यादा डॉक्टर तैयार करना सरकार का लक्ष्य है। एक अनुमान के मुताबिक- 2035 तक साउथ कोरिया में 15 हजार और डॉक्टर्स की जरूरत होगी। अगर ऐसा नहीं हुआ तो देश का हेल्थ सिस्टम किसी भी वक्त चरमरा सकता है। खास बात ये है कि 90 प्रतिशत साउथ कोरियाई लोग सरकार के इस कदम का समर्थन कर रहे हैं और उन्होंने धमकी दी है कि अगर हड़ताल खत्म नहीं हुई तो वो डॉक्टरों के खिलाफ आंदोलन करेंगे। एक लोकल मीडिया नेटवर्क के मुताबिक- सरकार डॉक्टरों को यह भरोसा दिला सकती है कि नए डॉक्टर्स आने के बाद सीनियर्स की सैलरी पर कोई असर नहीं आने दिया जाएगा। दक्षिण कोरियाई कानून के तहत, डॉक्टरों को हड़ताल करने से प्रतिबंधित किया गया है और सरकार ने गुरुवार तक काम पर नहीं लौटने वाले डॉक्टरों को गिरफ्तार करने और मेडिकल लाइसेंस निलंबित करने की धमकी दी है। बिल के खिलाफ डॉक्टर न्यायालय में चुनौती दे सकते हैं, लेकिन मरीजों का इलाज नहीं करना उनके कर्त्तव्यों का उल्लंघन है। नैतिकता के विरुध डॉक्टरों की इस हड़ताल से प्रदेश में विकट परिस्थिति उत्पन्न हो गई है। ऐसा करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ केस दर्ज किया जाए।
साथियों बात अगर हम साउथ कोरिया सरकार द्वारा उठाए गए ताजा कड़े कदमों की करें तो, साउथ कोरिया में 20 फरवरी से जारी जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल पर सरकार ने सख्त रवैया अपना लिया है। शुक्रवार तड़के पुलिस की स्पेशल टीम ने कोरियन मेडिकल एसोसिएशन के दफ्तर पर छापा मारा और यहां से कुछ डॉक्यूमेंट्स बरामद किए। सरकार ने साफ कर दिया है कि अगर ये डॉक्टर जल्द ड्यूटी पर नहीं लौटे तो इनके खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज किया जाएगा और जुर्माना भी लगाया जाएगा। इसके बावजूद इन डॉक्टर्स ने झुकने से इंकार कर दिया।लोकल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 10 हजार में से अब तक सिर्फ 565 डॉक्टर्स ड्यूटी पर लौटे हैं। सरकार ने इमरजेंसी के लिए आर्मी मेडिकल टीम को काम पर लगाया है। देश के 15 अस्पतालों में सिर्फ इमरजेंसी सर्जरीज की जा रही हैं।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि क्या वह जमाना बीत गया, जब हम डॉक्टर को ईश्वर का दर्ज़ा दिया करते थे? दक्षिण कोरिया के डॉक्टरों की हड़ताल क्या नैतिकता के विरुद्ध नहींं है? आम जनता को ज्यादा डॉक्टर और बेहतर मेडिकल फैसिलिटी देना सरकार का कर्तव्य है, इसे रोकनें या बाधित करने वाले मानवता के विरोधी हैं।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च कर, फॉलो करें।