ग्रीन हाइड्रोजन जलवायु ही नहीं, जल संकट के लिहाज़ से भी सबसे बेहतर विकल्प

Climateकहानी, कोलकाता। हाइड्रोजन ब्रह्मांड में मिलने वाला सबसे सरल तत्व और सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला पदार्थ है। जब हाइड्रोजन जलती है, तो यह ऊष्मा के रूप में ऊर्जा उत्पन्न करती है। इस प्रक्रिया में उप-उत्पाद के रूप में पानी बनता है। इसका मतलब साफ है कि हाइड्रोजन से बनी ऊर्जा वायुमंडल को गर्म करने वाली कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न नहीं करती है। इसी वजह से यह कई संभावित ऊर्जा स्रोतों में से एक बन जाती है जो कार्बन उत्सर्जन को कम करने और ग्लोबल वार्मिंग को धीमा करने में मदद कर सकती है।

लेकिन हाइड्रोजन बनाने और इसे एक उपयोगी प्रारूप में बदलने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है – और वह ऊर्जा हमेशा रिन्यूबल नहीं होती है। हाइड्रोजन उत्पादन तीन प्रकार से हो सकता है- ग्रे (सबसे ज़्यादा कार्बन सघन), ब्लू (कुछ कम कार्बन सघन), ग्रीन (रिन्यूबल ऊर्जा स्त्रोत से बना सबसे बेहतर विकल्प)। हाइड्रोजन उत्पादन में पानी का भी प्रयोग होता है और यह भी एक प्रकृतिक संसाधन है जिसका जितना कम दोहन हो उतना अच्छा।

फिलहाल दुबई में चल रही COP28 के दौरान अनावरण की गई एक रिपोर्ट में, इंटेरनेशनल रिन्यूबल एनर्जी एजेंसी (IRENA) और ब्लूरिस्क के विशेषज्ञों ने रिन्यूबल एनर्जी से प्राप्त हरित हाइड्रोजन को क्लीन हाइड्रोजन के सबसे जल-कुशल रूप के रूप में उजागर किया है। रिपोर्ट जल सुरक्षा खतरों को कम करने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर जोर देती है।

ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन में पानी काफी प्रयोग होता है। लेकिन फिर भी ब्लू हाइड्रोजन की तुलना में, जो आंशिक कार्बन कैप्चर और भंडारण (सीसीएस) के साथ प्राकृतिक गैस से उत्पन्न होती है, प्रति किलोग्राम उत्पादित हाइड्रोजन के मामले में ग्रीन हाइड्रोजन में लगभग एक तिहाई कम पानी का उपयोग होता है।  हाइड्रोजन, जिसे अक्सर फ़ोस्सिल  फ्यूल का एक वैकल्पिक ऊर्जा समाधान माना जाता है, वर्तमान में काफी मात्रा में पानी की खपत करता है, और हाइड्रोजन उत्पादन के लिए वैश्विक पानी की मांग 2040 तक तीन गुना और 2050 तक छह गुना बढ़ने का अनुमान है।

‘हाइड्रोजन उत्पादन के लिए पानी’ शीर्षक वाली रिपोर्ट हरित हाइड्रोजन उत्पादन के पक्ष में फ़ोस्सिल फ्यूल से संचालित हाइड्रोजन उत्पादन संयंत्रों को बंद करने का आग्रह करती है। यह बदलाव स्थानीय जल संसाधनों पर प्रभाव को कम करने और जल जोखिमों के प्रति क्षेत्र के जोखिम को कम करने के लिए प्रस्तावित है।

आईआरईएनए के ज्ञान, नीति और वित्त केंद्र के कार्यवाहक निदेशक उटे कोलियर कहते हैं, “हमारा विश्लेषण एनेर्जी ट्रांज़िशन में हाइड्रोजन की भूमिका के अक्सर नजरअंदाज किए गए पहलू पर प्रकाश डालता है। और यह पहलू है क्लीन हाइड्रोजन उत्पादन का जल पर प्रभाव।”

वो आगे बताते हैं कि “हाइड्रोजन उत्पादन के कुछ रूप, जो वैसे तो ग्रीनहाउस गैस एमिशन से निपटने का प्रयास करते हैं, वास्तव में, स्थानीय स्तर पर पानी का संकट पैदा कर सकते हैं। इसलिए हमें याद रखना चाहिए कि अपेक्षाकृत रूप से कम पानी प्रयोग करने वाली ग्रीन हाइड्रोजन दुनिया के लिए बेहतर विकल्प है।”

इलेक्ट्रोलिसिस के लिए पानी पर ग्रीन हाइड्रोजन की निर्भरता के बावजूद, रिपोर्ट ग्रीनहाउस गैस एमिशन को कम करने के उद्देश्य से अन्य सभी प्रकार के हाइड्रोजन की तुलना में इसकी बेहतर जल दक्षता पर प्रकाश डालती है। ब्लू हयडोरगेन, जिसमें सीसीएस के साथ कोयले से हाइड्रोजन का उत्पादन होता है, असल मायने में सबसे अधिक जल-गहन विकल्प के रूप में उभरता है, जिसमें पानी की ज़रूरत ग्रीन हाइड्रोजन की तुलना में दोगुनी से भी अधिक है।

ब्लूरिस्क के निदेशक तियानयी लुओ ने पानी की मांग को बढ़ाने में कार्बन कैप्चर और भंडारण प्रणालियों की भूमिका पर जोर दिया। उन्होने कहा, “सालाना लगभग 230 किलोटन हाइड्रोजन का उत्पादन करने वाले कोयला संयंत्र में सीसीएस जोड़ने के लिए इतनी मात्रा में पानी की आवश्यकता होगी जो लंदन की पूरी आबादी की ज़रूरत को आधे साल के पूरी कर सकती है।” 

मुख्य क्षेत्रीय और देश संबंधी निष्कर्ष: 
  • कोयले से उत्पादित चीन का 80% से अधिक हाइड्रोजन जल संकटग्रस्त येलो रिवर बेसिन में स्थित है, जो चीन के कुल जल संसाधनों का 4% से भी कम है।
  • यूरोप की 23% ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाएँ और 14% ब्लू हाइड्रोजन परियोजनाओं का साल 2040 तक उच्च या अत्यधिक उच्च जल तनाव वाले क्षेत्रों में होने की संभावना है।
  • भारत की 99% मौजूदा और नियोजित ग्रीन और ब्लू हाइड्रोजन क्षमता का साल 2040 तक अत्यधिक जल-तनावग्रस्त परिस्थितियों में होने की संभावना है।

रिपोर्ट एक सकारात्मक बात से समाप्त होती है। इसमें बताया गया है कि ग्रीन हाइड्रोजन में एयर कंडिशनिंग और बेहतर इलेक्ट्रोलिसिस दक्षता को अपनाने के साथ पानी पर निर्भरता को और कम करने की क्षमता है। अगर इसकी इलेक्ट्रोलिसिस दक्षता में 1% की वृद्धि होती है तो पानी की आवश्यकताओं में 2% की कमी हो सकती है।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च कर, फॉलो करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

2 × one =