कोलकाता। पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के राशन वितरण भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार राज्य के पूर्व खाद्य एवं वर्तमान वन मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक नगर पालिकाओं की नियुक्ति में हुई धांधली में भी संलिप्त रहे हैं। उन्हें गिरफ्तार करने वाले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों ने यह दावा किया है। एक अधिकारी ने बताया, हम अब जांच कर रहे हैं कि क्या पश्चिम बंगाल के गिरफ्तार मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक का राशन वितरण मामले में कथित संलिप्तता के अलावा नगर पालिकाओं की भर्ती अनियमितताओं में भी किस हद तक संलिप्तता रही है, क्योंकि इसके साक्ष्य मिल चुके हैं।
मामलों के पैटर्न, नगर पालिकाओं की भौगोलिक स्थिति और अनियमितताओं के चरम समय का अध्ययन करने के बाद ईडी को संदेह हुआ है। केंद्रीय एजेंसी ने 10 नगर पालिकाओं की पहचान की थी, जहां भर्ती संबंधी अनियमितताएं सबसे ज्यादा थीं। इनमें से सात उत्तर 24 परगना जिले में हैं।
भर्ती अनियमितताओं के पैटर्न को देखते हुए, ईडी ने पाया है कि ये मामले तब हुए जब मल्लिक मंत्री पद संभालने के अलावा उत्तर 24 परगना जिले के तृणमूल अध्यक्ष थे। सत्तारूढ़ दल के जिलाध्यक्ष होने के नाते, ईडी को संदेह है कि यह बहुत संभव है कि नगर पालिकाओं के कामकाज पर उनका अप्रत्यक्ष प्रभाव था और इसलिए एजेंसी इस पहलू की भी जांच कर रही है।
नगर पालिकाओं के भर्ती मामले में प्रारंभिक निष्कर्षों के अनुसार, केंद्रीय एजेंसी ने एक विशेष पैटर्न का पता लगाया है जो इन सभी 10 नगर पालिकाओं में एक समान है। अधिकांश मामलों में, भर्ती की संख्या स्वीकृत पदों से अधिक थी और इन अतिरिक्त भर्तियों में भारी मात्रा में धन का आदान-प्रदान शामिल था।
ईडी पहले ही इन 10 नगर पालिकाओं के कार्यालयों पर सिलसिलेवार छापेमारी कर चुकी है। इन नगर निकायों के अध्यक्षों और उपाध्यक्षों से भी कई बार पूछताछ की जा चुकी है। एजेंसी के एक अधिकारी के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों की पूरी शृंखला एक भूलभुलैया की तरह है, जहां एक मामले की जांच से दूसरे मामलों में अनियमितताएं सामने आ रही हैं।
स्कूल में नौकरियों के लिए करोड़ों रुपये नकद मामले में ईडी की जांच के परिणामस्वरूप नगर पालिकाओं में भर्ती का मामला सामने आया। अब यह पता लगाने के लिए नए सिरे से जांच की जाएगी कि क्या राशन वितरण मामले के मुख्य आरोपित का नगर पालिका भर्ती मामले से कोई संबंध था