कोलकाता: पश्चिम बंगाल के बकाए के भुगतान को लेकर सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस का दो दिवसीय धरना तीन अक्टूबर की रात खत्म हो गया है। वहां से तृणमूल प्रतिनिधियों सहित पश्चिम बंगाल से गए करीब ढाई हजार मनरेगा मजदूर वापस बंगाल के लिए रवाना हो गए हैं। दिल्ली में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजी अभिषेक बनर्जी समेत अन्य नेताओं को हिरासत में लिए जाने को लेकर ममता ने नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि यह लोकतंत्र के लिए सबसे काला दिन है। दरअसल केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री से मिलने के लिए अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल प्रतिनिधिमंडल कृषि भवन पहुंचा था। यहां मुलाकात नहीं होने के बाद इन सब ने धरना दिया था।
बाद में पुलिस ने इन्हें विरासत में लेकर उत्तर दिल्ली के मुखर्जी नगर थाने ले गई थी। करीब दो घंटे तक इन्हें हिरासत में रखने के बाद देर रात रिहा किया गया। इसे लेकर ममता बनर्जी ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट एक्स पर देर रात लिखा कि आज लोकतंत्र के लिए अंधकार और शुभ दिन है। पश्चिम बंगाल के लोगों के प्रति भाजपा के घृणा और गरीबों के अधिकारों के प्रति उनके गैर जिम्मेदाराना आचरण सामने आ गया है।
लोकतांत्रिक मूल्य भी पूरी तरह से खत्म दिख रहा है। उन्होंने लिखा है कि सबसे पहले उन्होंने पश्चिम बंगाल के गरीबों का रुपया रोक दिया। हमारे प्रतिनिधि ने जब दिल्ली में शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर उनसे मुलाकात करने की कोशिश की तो हमारे साथ निर्मम आचरण किया गया। पहले राजघाट पर और बाद में कृषि भवन में दिल्ली पुलिस ने हमारे प्रतिनिधियों को निर्मम तरीके से प्रताड़ित किया है।
अपराधियों की तरह घसीट कर उन्हें हिरासत में लिया गया है। यह अहंकार की प्रकाष्ठा है। ममता ने कहा है कि हम (तृणमूल) डरेंगे नहीं। लड़ते जाएंगे।उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल में 100 दिनों की रोजगार गारंटी योजना मनरेगा का फंड रोके जाने को लेकर दिल्ली में तृणमूल कांग्रेस ने धरना प्रदर्शन किया है। पार्टी ने दो अक्टूबर को राजघाट से इसकी शुरुआत की थी और जंतर मंतर पर दो दिनों तक विरोध प्रदर्शन किया है।