लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा के पहले अर्द्ध में कोरोना के इस विश्वव्यापी महामारी के दौर में छठ व्रतियों ने भारी संयम का परिचय देते हुए लगभग 75 प्रतिशत छठ पूजा करने वाले अपने मकानों के छतों के ऊपर कृतिम जलाशय बना कर डूबते सूर्य को अर्द्ध दिया, मुश्किल से 25 प्रतिशत लोगों ने आज गंगा घाटों पर हाईकोर्ट के निर्देश के मुताबिक अर्द्ध दिया। इनमें से भी ज्यादातर लोगों के पास छतों की व्यवस्था नहीं होने के कारण मजबूरी बस घाटों में आना पड़ा।
कहीं-कहीं तो मोहल्लों में सार्वजनिक रूप से कृतिम जलाशय का निर्माण भी किया गया है जिससे कि सामूहिक रूप से लोग छठ पूजा कर सके।
पूर्वांचल के हिंदी भाषा भाषी लोगों की समझदारी एवं अनुशासित भीड़ के कारण प्रशासन को भी आज बहुत ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी होगी और इसका अंदाजा पुलिस प्रशासन को भी सम्भवतः नही होगा। हालांकि प्रशासन की व्यवस्था चुस्त दुरुस्त थी मध्य हावड़ा के विधायक और मंत्री अरूप राय भी प्रति वर्ष की भांति इस बार भी गंगा घाटों पर व्यवस्था का निरीक्षण कर रहे थे।
कोरोना की वजह से ही सही इस बार जो कृतिम जलाशयों की व्यवस्था अपने-अपने मकानों या मोहल्लों में की गई है, हो सकता है आनेवाले वर्षो में यही मिसाल बन जाए और लोग दुबारा इसे ही आजमा कर घाटों पर भीड़-भाड़ से बचने की कोशिश करें। जो भी हो हावड़ा में ज्यादातर लोग इस व्यवस्था से खुश नजर आए।
इस बार स्वयंसेवी कैंपों की संख्या भी पहले के अपेक्षा कम थी और सभी कैंपों पर पूजन सामग्री के साथ-साथ मास्क का भी वितरण किया जा रहा था, साथ ही लोगों को सेनेटाइज भी किया जा रहा था एवं कोरोना के प्रति लोगों को जागरूक भी किया जा रहा था।
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छठ पूजा की परम्परा अक्षुण्ण रहे और कोरोना प्रकोप से सुरक्षा भी बनी रहे इस मद्देनजर बंगाल में निवासरत बिहार के अनुशासित श्रद्धालुओं ने जिस खूबसूरत ढंग से नवाचार को अपनाया है वो निश्चय ही बेहद प्रसंसनीय और अभिनन्दनीय है।
हर देशवासी चाहे तो इस तरह त्योहार पर्वो की आनन्दाभूति को बनाये रख सकता है।
छट पूजा की सभी को हार्दिक शुभकामना और बधाई।
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