कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार को राज्य में एसिड हमला पीड़ितों के लिए मुआवजे पर तुरंत दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति शेखर बी सराफ की एकल-न्यायाधीश पीठ ने कहा कि दिशानिर्देश सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के साथ-साथ राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) द्वारा निर्धारित किए जाने चाहिए। न्यायमूर्ति सराफ ने राज्य सरकार को इस संबंध में अपने आदेश की तारीख से आठ सप्ताह के भीतर इन दिशानिर्देशों को तैयार करने का निर्देश दिया है।
पश्चिम बंगाल शीर्ष अदालत के निर्देश के अनुसार एसिड हमले के पीड़ितों को मुआवजा देने के मामले में अन्य राज्यों से पीछे है। उनके मुताबिक यह किसी भी राज्य सरकार की प्रशासनिक तत्परता का अच्छा प्रतिबिंब नहीं है। पीठ ने 2015 में पश्चिम मिदनापुर जिले में एक नाबालिग लड़की और उसके भाई पर एसिड हमले के मामले पर अपना फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार को ये निर्देश दिए।
कोर्ट ने राज्य सरकार को पीड़िता को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति सराफ ने राज्य सरकार को आदेश की तारीख से चार सप्ताह के भीतर पीड़ित को मुआवजा राशि का भुगतान करने का भी निर्देश दिया।पीठ ने एसिड हमले की घटना 2015 जितनी पुरानी होने के बावजूद मुआवजे के भुगतान में देरी पर भी आपत्ति जताई।
आदेश पारित करते समय, न्यायमूर्ति सराफ ने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल जैसे राज्य में देरी दुर्भाग्यपूर्ण है, जहां सामाजिक उदारवाद और विशेष रूप से महिला स्वतंत्रता की समृद्ध विरासत है। उन्होंने याद दिलाया कि इस मामले में राज्य की उस समृद्ध विरासत को बहाल करना सभी का कर्तव्य है।