नई दिल्ली। अडानी-हिंडनबर्ग (Adani-Hindenberg) मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक हलफनामा दाखिल किया है, जिसमें दावा किया गया है कि भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (SEBI) सिर्फ अडानी समूह को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों में कई संशोधन किए। बाजार नियामक के पास अडानी समूह द्वारा किए गए कानून के उल्लंघन की जांच करने में हितों का टकराव है। अनामिका जयसवाल द्वारा दिए गए हलफनामे में आरोप लगाया गया है कि सेबी ने न केवल सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण तथ्यों को छुपाया है और DRI (राजस्व खुफिया निदेशालय) के अलर्ट पर सोई रही, बल्कि सेबी द्वारा अडानी की जांच कराने में हितों का स्पष्ट टकराव भी है।
हलफनामे में कहा गया है, “श्री सिरिल श्रॉफ मैनेजिंग पार्टनर, सिरिल अमरचंद मंगलदास कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर सेबी की समिति के सदस्य रहे हैं, जो इनसाइडर ट्रेडिंग जैसे अपराधों को देखती है… सिरिल श्रॉफ की बेटी की शादी गौतम अडानी के बेटे करण अडानी से हुई है। दिलचस्प बात है कि अडानी समूह की कंपनियों पर सेबी की 24 जांच रिपोर्टों में से 5 अंदरूनी व्यापार के आरोपों पर हैं।”
हलफनामे में आगे दावा किया गया कि नियमों और परिभाषाओं में लाए गए लगातार संशोधनों ने “अडानी समूह को एक ढाल और एक बहाना प्रदान किया है, जिसके कारण उनके नियामक उल्लंघन और मूल्य हेरफेर का पता नहीं चल पाया”।
इसमें कहा गया है कि सेबी द्वारा तैयार की गई सभी 24 जांच रिपोर्टें सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति और सभी याचिकाकर्ताओं को उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
यह कहते हुए कि बाजार नियामक समय पर उल्लंघनों का पता लगाने या उनके खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहा है और इससे छोटे निवेशकों को करोड़ों रुपये का वित्तीय नुकसान हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध विवरण के अनुसार, अडानी-हिंडनबर्ग मामले की सुनवाई सीजेआई डी.वाई.चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा 15 सितंबर को किए जाने की संभावना है। बाजार नियामक ने 25 अगस्त को एक ताजा स्थिति रिपोर्ट में कहा कि उसने शीर्ष अदालत के आदेशों के अनुपालन में 24 मामलों की जांच की थी, और कहा कि सेबी अदानी-हिंडनबर्ग में जांच के नतीजे के आधार पर उचित कार्रवाई करेगा।