90 के गोल्डन पीरियड की एक्शन ड्रामा और म्यूजिकल फिल्म -‘चट्टान’

मानवीय संवेदनाओं को उजागर करती एक्शन ड्रामा और म्यूजिकल फिल्म -‘चट्टान’ 22 सितंबर को रिलीज होगी 

काली दास पाण्डेय, मुंबई। 1990 के बैकड्रॉप पर घटित एक मार्मिक घटनाक्रम पर आधारित एक्शन युक्त म्यूजिकल फिल्म ‘चट्टान’ की वजह से लेखक निर्देशक सुदीप डी. मुखर्जी इन दिनों बॉलीवुड में चर्चा का विषय बने हुए हैं। 90 का दशक हिंदी सिनेमा का स्वर्णिम दौर रहा है। लव स्टोरी, प्रतिशोध, भावप्रवण या फिर म्यूजिकल सिनेमा हो, उस दौर की फ़िल्में ऑडियंस और सिनेमाई जगत में सर चढ़कर बोलती थी। यही वजह है कि बदलते प्रतिमानों के बीच आज भी कुछेक संवेनशील और सजग फ़िल्मकार 90 की फिल्मों का मोह छोड़ नहीं पाते। स्टोरी अप्रोच, स्क्रिप्ट एंगल और डायलॉग्स का नजरिया और तकनीकी क्रांति के बीच भी उनमें वैसे ही कलेवर की फ़िल्में बनाने की चाह बरकरार है। उन्हीं फिल्मकारों में से एक हैं सुदीप डी. मुखर्जी।

90 दशक के सिनेमा में रचे बसे अपनी आँखों में वैसा ही नेचुरल सिनेमा बनाने की सोच रखते हैं फ़िल्मकार सुदीप डी. मुखर्जी। तभी तो जब उन्होंने रंजन कुमार सिंह, लेख टंडन और प्रकाश मेहरा जैसे फिल्मकारों से डायरेक्शन की विधिवत ट्रेनिंग लेकर स्वतंत्र रूप से निर्देशक के रूप में अपनी पहली फिल्म का बीड़ा उठाया तो फिल्म का प्रारूप 90 के सिनेमा को ही चुना। प्रतिफल स्वरूप  रियल स्टोरी के साथ ‘चट्टान’ का निर्माणकार्य मुक़म्मल किया। एक कर्तव्यनिष्ठ जांबाज़ पुलिस अफसर और उसके परिवार को सच्चाई और अपने फर्ज़ के खातिर सिस्टम के खिलाफ जाकर कितना संघर्ष करना पड़ता है, किन-किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है साथ ही साथ इस टकराव में उसे क्या कुछ गंवाना पड़ता है। इन्हीं सब बातों का खुलासा बड़े ही कलात्मक ढंग से स्क्रीन पर फिल्मकार सुदीप डी. मुखर्जी ने किया है।

उनके दिलो दिमाग में यह विजन आईने की तरह साफ रहा कि स्क्रिप्ट के अनुसार सभी किरदार सहज और स्वाभाविक लगे। मध्य प्रदेश के कस्बे देवपुर के पुलिस थाने में तैनात पुलिस इंस्पेक्टर रंजीत सिंह के रोल के लिए उन्होंने कई अभिनेताओं से संपर्क किया, उन्हें एक ऐसा अभिनेता उस जांबाज़ इंस्पेक्टर के रुप मे चाहिए था जो कि समाज के लिए खतरा बने डॉन और उनकी गैंग के खिलाफ शंखनाद करे। बिना किसी समझौते के और वो भी अपनी पत्नी परिवार के दायित्व के साथ। इस अहम रोल के लिए हिंदी, गुजराती, राजस्थानी, मलयालम, तमिल फिल्मों में अपने अभिनय कौशल का लोहा मनवा चुके जीत उपेंद्र का चयन किया।

परिवारिक जवाबदेही सँभालने के साथ अपने जांबाज़ इंस्पेक्टर पति के साथ उसकी नौकरी और फर्ज निभाने में बराबर की साझेदारी करने वाली पत्नी रजनी की मुख्य भूमिका में ‘तहकीकात’, ‘अधिकार’, ‘साँस’, ‘आशीर्वाद’, ‘बंधन’, ‘सिसकी’, ‘आहट’, ‘शांति’, ‘मोहनदास बी.ए. एल.एल.बी’ जैसे कई सफल धारावाहिकों में अपनी एक्टिंग की धाक जमा चुकी अभिनेत्री राजनिका गांगुली को अनुबंधित किया। जिन्होंने एम.पी. की टिपिकल गर्भवती पत्नी दिखने के लिए 20 किलो अपना वजन बढ़ाया और अपने रोल के साथ न्याय किया।

‘चट्टान’ का सबसे चैलेंजिंग रोल है गलत सलत काले धंधों में लिप्त डॉन मुन्ना भाई का। जिसका कदम-कदम पर इसंपेक्टर रंजीत से टकराव होता है। इस रोल में बहुत शेड्स हैं, वह धाकड़ पर्सनॅलिटी का मालिक तो है ही साथ ही कूटनीति के बल पर अपने काम निकलवाने में भी माहिर है। इस फुल फलेश विलन का रोल 300 से भी अधिक फ़िल्में कर चुके तेज सप्रू को सौंपा है। वह पहली बार चट्टान में स्वतंत्र रूप से खलनायक बने हैं। उन्होंने अपना किरदार बेहतर निभाया है। ‘चट्टान’ में सब इंस्पेक्टर अजय कुमार का चरित्र भी काफी महत्वपूर्ण है इसका पूरा मैनरिज़्म, इंस्पेक्टर रंजीत के साथ सहयोगी अपने सिद्धांतों पर काम करने वाले पुलिस सहकर्मी का है।

इस किरदार को आत्मसात किया है ‘कयामत से कयामत तक’, ‘शिवा’, ‘पापी’, ‘जो जीता वही सिंकदर’, ‘नरसिम्हा’, ‘बेटा’, ‘दिल’ आदि 400 फिल्मों में विलन का किरदार करने वाले अभिनेता ब्रिज गोपाल ने। उनके लिए भी यह रोल चुनौतीपूर्ण रहा। अपने पूरे कैरियर में ब्रिज गोपाल ने पहली बार पोजेटिव रोल किया है। रंजीत की मुन्नाभाई के हाथों मारे जाने के बाद एक मात्र शेष रहे अजय कुमार और उसकी पत्नी की भुमिका इस कहानी का अहम हिस्सा है। उन दृश्यों में ब्रिज गोपाल का अभिनय देखते ही बनता है।

90 के स्टाइल का म्यूजिक : चट्टान में नृत्य निर्देशन, संपादन, लेखन और निर्देशन के अतिरिक्त सुदीप डी. मुखर्जी ने गीतकर और संगीतकार की भी जिम्मेदारी का निर्वाह कुशलता से किया है। उन्होंने सांग्स राइटिंग सिचुएशनल, मीनिंगफुल और म्यूजिक अरेंजमेंट इंटीलीयूड, सिंगर्स की वॉइस क्वालिटी बिलकुल 90 के एरा की रखी है। कुमार सानू, प्रिया भट्टाचार्य, देवाशीष दासगुप्ता, प्रीथा मजुमदार, आबिद जमाल और अनन्या बासु ने गायिकी का बेहतरीन रंग जमाया है।

नयनाभिराम लोकेशंस : बहुचर्चित एक्शन ड्रामा म्यूजिकल फिल्म ‘चट्टान’ का सबल पक्ष इसके नयनाभिराम बेहद खूबसूरत लोकेशंस हैं – कालिकापुर राजबाड़ी, आमार कुटीर, आदुरिया फारेस्ट, बोलपुर शांति निकेतन (पश्चिमबंगाल), बृंदावन गार्डन, कावेरी नदी वेशिन मैसूर (कर्नाटक), सूचक बंगला, सुतार वाड़ी, बी.बी. हाउस, बलबंत विला, (मढ आईलैंड), फिल्म सिटी (मुंबई), संक्रमण चम्पक स्टूडियो (मुंबई) इत्यादि।

नृत्य निर्देशन, गीत, संगीत, संपादन कथा पटकथा-संवाद और निर्देशक  सुदीप डी. मुखर्जी, छायांकन : राजेश कनौजिया, कार्यकारी निर्माता के.वी. गुरु प्रसाद, एक्शन : हीरा यादव, बैक ग्राउंड म्यूजिक : कमल सिंह भुनावत। एन.एन. गांगुली और बेला गांगुली द्वारा प्रस्तुत सर्वमंगला इंटरनेशनल और के.बी. इंटरप्राइजेज के संयुक्त तत्वाधान में फिल्म निर्मात्री रजनिका गांगुली द्वारा सेवन स्टार क्रिएटिव इंटरनेशनल के बैनर तले निर्मित मानवीय संवेदनाओं को उजागर करती फिल्म ‘चट्टान’ 22 सितंबर को रिलीज होने वाली है।IMG_20230831_190224

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