कोलकाता। पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने गुरुवार को कहा कि राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस को राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में मुख्यमंत्री की जगह राज्यपाल को नियुक्त करने के महत्वपूर्ण विधेयक को नहीं रोकना चाहिए और शीघ्र निर्णय पर पहुंचना चाहिए। विधेयक को फिर से पारित करने के लिए राज्य सरकार को वापस भेज सकते हैं या राष्ट्रपति के कार्यालय में उनके विचार के लिए भेज सकते हैं लेकिन वह विधेयक को अनिश्चित काल तक रोक नहीं सकते। बसु ने यह भी दावा किया कि नियमों के अनुसार, राज्यपाल किसी भी विधेयक को छह महीने से अधिक समय तक रोक नहीं सकते हैं लेकिन इस विशेष विधेयक के मामले में लगभग एक वर्ष बीत चुका है।
उन्होंने अंतरिम कुलपतियों के चयन को लेकर राज्यपाल पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्त सेना अधिकारियों और सेवानिवृत्त पुलिसकर्मियों को अंतरिम कुलपति के रूप में नियुक्त किया जा रहा है। हम अब भी चर्चा में विश्वास करते हैं। राज्य के लोगों को इस तरह के एकतरफा एकालाप की आदत नहीं है। वर्तमान राज्यपाल राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति के संबंध में मनमौजी तरीके से काम कर रहे हैं।
वह ऐसे लोगों के बीच से कुलपतियों की नियुक्ति कर रहे हैं, जिनका अकादमिक जगत से कोई लेना-देना नहीं है। उनके पूर्ववर्ती जगदीप धनखड़ के साथ हमारे मतभेद थे लेकिन वह वर्तमान राज्यपाल की तरह कभी भी मनमाने फैसले नहीं लिए। नियमों के मुताबिक, राज्य सरकार कुलपति पद के लिए तीन नामों की सिफारिश करेगी और वह उनमें से एक का चयन करेंगे। लेकिन वर्तमान राज्यपाल को ऐसे मानदंडों की परवाह नहीं है।