श्रावण दिवा एवं रात्रि पूर्णिमा 1 अगस्त मंगलवार को
वाराणसी। श्रावण पूर्णिमा सनातन धर्म में विशेष महत्व रखती है। श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को श्रावण पूर्णिमा कहा जाता है। श्रावण पूर्णिमा के विषय में पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री जी ने बताया कि श्रावण महीना इस वर्ष 59 दिन का है इसलिए इस साल सावन महीने में 2 पूर्णिमा और 2 अमावस्या पड़ेंगी। इस वर्ष अधिक श्रावण दिवा एवं रात्रि पूर्णिमा व्रत 1 अगस्त मंगलवार को होगा। इस दिन श्रीगणेश, भगवान शिव, माता पार्वती, विद्या की देवी मां शारदे, भगवान विष्णु के स्वरूप श्रीसत्यनारायण जी, चंद्रमा की पूजा जरूर करनी चाहिए और भगवान श्रीसत्यनारायण जी की कथा पढ़ना अथवा सुनना या पूजा करवाना बेहद शुभ होता है।
श्रावण पूर्णिमा को चंद्रदेव के दर्शन करने चाहिए और चंद्रदेव को दूध, गंगाजल, पुष्य और अक्षत मिलाकर अघ्र्य देने से जीवन में आ रही आर्थिक दिक्कतें दूर होती हैं। इस दिन चंद्रदेव की कृपा पाने के लिए उनके मंत्र ‘ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः’ अथवा ‘ॐ सों सोमाय नमः’ का जप अवश्य करें।
श्रावण पूर्णिमा के दिन देव, ऋषि एवं पितरों का तर्पण भी किया जाता है पूर्णिमा पर पवित्र नदियों, सरोवरों में स्नान करने का विशेष महत्व है और घर के आस पास जरूरतमंद लोगों को यथाशक्ति दान अवश्य करें ऐसा करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
शास्त्रों के अनुसार इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं। इस दिन सात्विक चीजों का सेवन किया जाता है।
ज्योर्तिविद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848