वाराणसी। पुखराज एक बहुमूल्य रत्न होता है। बृहस्पति ग्रह से संबंधित रत्न, पुखराज को संस्कृत में पुष्पराग, हिन्दी में पुखराज कहा जाता है। चौबीस घंटे तक दूध में रखने पर यदि क्षीणता एवं फीकापन न आए तो असली होता है। पुखराज चिकना, चमकदार, शुद्ध पानीदार, पारदर्शी एवं व्यवस्थित किनारे वाला होता है। यह एल्युमिनियम और फ्लोरीन सहित सिलिकेट खनिज होता है जिसका रासायनिक सूत्र है। Al2SiO4(F,OH)2। स्पष्ट पारदर्शी (पानीदार शुद्ध), नीला, भूरा, नारंगी, स्लेटी, पीला, हरा, गुलाबी और लालिमा गुलाबी nα = 1.606–1.629
nβ = 1.609–1.631
nγ = 1.616–1.638
हर रत्न किसी न किसी ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए कुंडली में ग्रहों की स्थिति के आधार पर रत्न पहनने की सलाह दी जाती है। हालांकि कुछ रत्न ऐसे हैं, जिनके बारे में लोग ज्यादा जाने बिना धारण कर लेते हैं और फिर नुकसान उठाते हैं।
पुखराज पहनने के फायदे : पुखराज बृहस्पति ग्रह का रत्न होता है इसलिए यह रत्न धारण करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है। बृहस्पति की प्रतिकूल स्थिति के कारण जिनके विवाह में रुकावटे आ रही हैंं, उनके लिए पुखराज धारण करना फायदेमंद रहता है। इस रत्न को धारण करने से कमजोर पाचन में भी फायदा मिलता है। इसके अलावा आध्यात्मिक व धार्मिक विषयों में रुचि रखने वालों के लिए भी पुखराज फायदेमंद रहता है।
रत्न शास्त्र में मोटे तौर पर कुछ राशियों के लिए पुखराज को शुभ और कुछ के लिए अशुभ बताया गया है। फिर भी पुखराज या कोई भी रत्न पहनने से पहले अपनी कुंडली किसी विशेषज्ञ को दिखाकर सलाह जरूर ले लेनी चाहिए। रत्न शास्त्र के मुताबिक मेष, वृषभ, सिंह, धनु और मीन राशि के जातकों को पुखराज पहनने से कई लाभ हो सकते हैं।
वहीं मिथुन, कर्क और वृश्चिक राशि के लोग कुछ खास परिस्थितियों में पुखराज पहन सकते हैं। लेकिन कन्या, तुला और कुंभ राशि के जातकों को गलती से भी पुखराज धारण नहीं करना चाहिए। इन लोगों के लिए पुखराज पहनना खुद मुसीबत को बुलावा देने जैसा है।
विशेष सूचना : आप बिना कुंडली समाधान के रत्न धारण न करे नुकसान हो सकता है सावधान। अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे।
ज्योतिर्विद् वास्तु दैवग्य
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848