महापुरुषों के जयंती पर आभासी संगोष्ठी आयोजित

उज्जैन। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में लोकमान्य तिलक एवं चंद्रशेखर आजाद जयंती के उपलक्ष्य में आभासीय गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे, महाराष्ट्र, कार्यकारी अध्यक्ष, नागरी लिपि परिषद ने अपना मंतव्य देते हुए कहा कि- राष्ट्र को सर्वस्व अर्पण करने की भावना रखनी चाहिए। सारस्वत अतिथि- प्रो. डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा, हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशाशक, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन ने कहा- बाल गंगाधर तिलक ने संपादकीय के माध्यम से राष्ट्रीय और सांस्कृतिक चेतना से लोगों को जोड़ा। गांधीजी युधिष्ठिर हैं तो आजाद जी अर्जुन हैं।

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, अध्यक्ष, बृजकिशोर शर्मा ने कहा- बाल गंगाधर तिलक ने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया। राष्ट्रीय संयुक्त सचिव शैली भागवत ने कहा राष्ट्रीय महापुरुषों को सदैव अपने मार्गदर्शक मानेंगे। डॉ. प्रभु चौधरी, महासचिव, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा – बाल गंगाधर तिलक ने गणेश स्थापना के द्वारा हिंदुओं को एकत्रित कर अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ने को प्रेरित किया। सुरेश चंद्र शुक्ला शरद आलोक, नॉर्वे ने कहा – दोनों ही महापुरुषों के विचारों से प्रभावित हो आज के युवा कई कार्यक्रम करके राष्ट्र के लिए अपना योगदान दे सकते हैं।

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुनीता मंडल ने कहा 24 वर्षों में आजाद ने वो कर दिखाया जो युगों-युगों तक लोग याद करेंगे। डॉ. शहनाज शेख, नांदेड़ ने कहा – मानवता की सेवा को ही ईश्वर सेवा मानते थे तिलक। अरुणा शराफ, प्रदेश महासचिव, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, मध्य प्रदेश में कहा पशु-पक्षी भी आजादी से तो रहना चाहते हैं पर हमें कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।

डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद, उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, महिला इकाई ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद की सरस्वती वंदना से हुआ। अतिथि परिचय शैली भागवत, राष्ट्रीय संयुक्त सचिव, आभार डॉ. प्रभुचौधरी ने व्यक्त किया। कार्यक्रम में रमेश यादव, सोनू कुमार मिश्रा जर्नलिस्ट, आशीष रंजन बिहार, किरण अग्रवाल, प्रिया मायेकर आदि अन्य अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।

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