जोधपुर में बनेगा अंतरराष्ट्रीय जल विश्वविद्यालय
अंकित तिवारी। खोज यात्रा 18 जुलाई 2023 को तभासं से एनआईआईटी विश्वविद्यालय, नीमराना पहुँची। यहाँ वर्ष 2023 के सत्र के प्रथम दिन पर मुख्य अतिथि के रूप में जलपुरुष राजेन्द्र ंिसह जी को सादर आमंत्रित किया गया। विश्वविद्यालय के पहले प्रवेश दिवस के अवसर पर उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि, जो शिक्षा हमें लाभ पाने के लिए मिलती है, उससे हमारी बुद्धि का विकास होता है, पर हमारी आत्मा छोटी पड़ने लगती है। इसलिए आज जो हम शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, वह हम अपने लाभ के लिए कर रहे हैं। शिक्षा हमें लाभ कमाना सिखाती है और विद्या शुभ के लिए काम करती है।
यदि इस विश्वविद्यालय ने लाभ और शुभ दोनों को संयुक्त रूप से जोड़कर, विद्यार्थी को तैयार करना चाहिए। जब आपको हिंदी में विद्यार्थी बोला जाता है, लेकिन विद्या तो नहीं पाते हैं; आप तो शिक्षा पाते तो आपको शिक्षार्थी क्यों नहीं बोला जाता? विद्यार्थियों ने खड़े होकर कहा कि, आज हम जब शिक्षा पाने आए है, तो हमें शिक्षा की डिग्री मिलती है। लेकिन भारत देश में शिक्षा से ऊपर विद्या को माना जाता है इसलिए हमें विद्यार्थी बोला जाता है। इसका अर्थ ये है कि, आज शिक्षा के युग में भी विद्या का सम्मान है।
जलपुरुष ने आगे कहा कि, यदि शिक्षा जगत में विद्या को विस्तार मिला तो भारत का भविष्य उज्जवल होगा। 18 तारीख की रात को खोज यात्रा नीमराना से रवाना होकर जयपुर पहुँची। खोज यात्रा 19 जुलाई 2023 को जयपुर पहुंची। यहां के माछुआ गांव में जलपुरुष राजेन्द्र सिंह, डॉ आशुतोष तिवारी, पृथ्वीराज सिंह, अधिराज सिंह, कनुप्रिया और जल भागीरथी कार्यकर्ताओं बैठकर सुखाड़-बाढ़ विश्व जन आयोग के भावी कार्यक्रमों पर चर्चा की गई।
सुखाड़-बाढ़ मुक्ति की युक्ति खोजने के चिंतन से एक अंतरराष्ट्रीय जल संस्थान बनाने का निर्णय निकल कर आया। इस बैठक में तय हुआ कि, अंतरराष्ट्रीय जल संस्थान जोधपुर में होना चाहिए। क्योंकि जोधपुर रेगिस्तान के केंद्र में हैं। आशुतोष जी ने प्रस्ताव रखा की अंतर्राष्ट्रीय जल संस्थान का केंद्र जोधपुर में होना चाहिए। जोधपुर थार क्षेत्र भी है , इसलिए थार क्षेत्र के केंद्र में ही ये सुखाड़-बाढ़ युक्ति की मुक्ति खोजने वाला संस्थान स्थापित होना चाहिए।
इस बैठक में सर्व सहमति से फैसला हुआ कि, विश्व सुखाड़-बाढ़ विश्व जन आयोग तथा जल भागीरथी फाउंडेशन मिलकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र बनाएं। इस केंद्र का संचालन डॉ आशुतोष तिवारी करेंगे। आशुतोष तिवारी ने कहा कि, हमारी कल्पना ये है कि अगले 5 सालों में यह संस्थान एक अंतरराष्ट्रीय महत्वपूर्ण जल का विश्वविद्यालय बने। उस दिशा में मैं काम करूंगा।
पृथ्वीराज सिंह जी ने उनके काम में हर स्तर पर सहयोग करने के लिए आश्वस्त किया और कहा कि, जल भागीरथी फाउंडेशन की जो इमारत बिजुलाई पैलेस में है , वो जल भागीरथी फाउंडेशन आपके अंतरराष्ट्रीय जल संस्थान के उपयोग हेतु देगा। इस विषय पर एक सर्वसमिति का पत्र तैयार करके पृथ्वीराज जी ने महाराज गज सिंह बाप जी को भेजा।
इस पत्र पर जलपुरुष, कनुप्रिया और आशुतोष जी की सहमति है। इसलिए एक अंतरराष्ट्रीय जल संस्थान की नीव तैयार हुई। अब यह काम आशुतोष जी जल्दी से जल्दी आरंभ करेंगे। 20 जुलाई 2023 को खोज यात्रा जयपुर से प्रस्थान करके, जोधपुर पहुंची। यहां जलपुरुष राजेंद्र सिंह जी ने जोधपुर में महाराजा गज सिंह जी और जल भागीरथी के जोधपुर में झील, बावड़ी, स्टेप वेल के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत हुई।
इस बातचीत में स्वीडन से आए सुखाड़ – बाढ़ विश्व जन आयोग के महामंत्री आशुतोष तिवारी, विश्व जन आयोग के अध्यक्ष जलपुरुष राजेंद्र सिंह और जोधपुर के महाराजा गज सिंह जी मौजूद रहे। इस बैठक में तथ्य सामने आए कि, दुनिया को सुखाड़-बाढ़ मुक्त बनाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय जल विश्वविद्यालय की जरूरत है। यह जरूरत पिछले 20 सालों से महसूस की जा रही है, लेकिन इस विश्व विद्यालय की शुरुआत करने में कई तरह की अड़चने सामने आ रही है।
उन अड़चनों पर बातचीत हुई , अंत में बाप जी महाराजा गज सिंह जी ने कहा कि, जोधपुर में स्थित जल भागीरथी संस्थान में आप अंतरराष्ट्रीय जल विश्वविद्यालय शुरू कर सकते हैं। इस बात पर आशुतोष तिवारी जी ने प्रसन्नता प्रकट करते हुए कहा, हां ये एक अच्छी विशेषताओं का अंतरराष्ट्रीय स्तर का भवन है। यहां पर ये काम अच्छे से हो सकता है।
अच्छा होगा कि ,यह काम यही आरंभ हो क्योंकि मारवाड़ दुनिया में सबसे ज्यादा जल संकट झेलने वाला राज्य रहा है। दुनिया का सबसे काम वर्षा वाला क्षेत्र है। यह सुखाड़-बाढ़ मुक्ति की युक्ति सिखाने वाला एक अंतराष्ट्रीय विश्वविद्यालय बनना चाहिए । इस पर बैठक में सर्वसहमति हुई। आगे इस पर जयपुर में हुई , वार्ता से आगे में कार्य योजना बनाई है।
वर्ष 2023 में यह काम किसी भी रूप में आरंभ होना चाहिए। विश्व विद्यालय बनने में समय लगता है लेकिन उस दिशा में काम आरंभ जल्दी होना चाहिए। इस विश्व विद्यालय को विश्व जल संस्थान के नाम से जाना जाएगा। इस संस्थान के काम की शुरुवात करने के लिए आशुतोष तिवारी जी ने जिम्मेदारी ली । आशुतोष तिवारी जी इस संस्थान का संचालन करे।
इस बातचीत के बाद जल भागीरथ की परिषद, ऑफिस , आवास आदि का भ्रमण किया। इन स्थानों को देखकर और आशुतोष जी ने अपना समर्पण दिखाया। यहां जलपुरुष राजेंद्र सिंह जी द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘सभ्यता की सूखती सरिता’’ और ‘‘जलपुरुष की जलयात्रा’’ का महाराज गज सिंह जी ने विमोचन किया। उसके बाद के बाद इस यात्रा ने उदयपुर के लिए प्रस्थान किया।
रात 11 बजे यात्रा उदयपुर पहुंची। यहाँ 21 जुलाई 2023 की सुबह जनार्दन राय नगर राजस्थान ,विद्या पीठ में 17वें दीक्षांत समारोह में पहुँची। यहां विद्यापीठ के कुलाधिपति बलवंत राय जानी , और कुलपति श्री शिवसिंह सारंग देवोत जी , रजिस्टार श्री माली जी ,आशुतोष तिवारी और जलपुरुष के बीच एक गहन संवाद हुआ । यह संवाद जनार्दन राय नागर विश्वविद्यालय में प्राकृतिक विद्या को कैसे आगे बढ़ाए?
इस पर कुलपति जी ने अपना लंबा भाषण देते हुए कहा कि , अब हमारा विश्व विद्यालय प्राकृतिक विद्या की तरफ अग्रसर होगा। कुलपति जी ने जीवन चलाने के लिए विद्या की भी जरूरत होती है , इस लिए विद्या शास्त्रों में कुछ व्यक्ति ही प्राप्त करते है। लेकिन जिनको जीवन, जीविका की चिंता होती है अविद्या की भी ग्रहण करते है । इस लिए विद्या – अविद्या का गहरा संबंध है । इस संबंध को समझकर हम लोग कैसे विद्या की ओर आगे बड़े ये हमारे सामने चुनौती है। इस चुनौती को हम स्वीकारते है, और हमारा विश्वविद्यालय अब इस दिशा में आगे बढ़ेगा।
डॉ आशुतोष तिवारी जी ने कहा कि, अविद्या को आज कल के युवा बहुत पसंद करते है। युवाओं को अब अविद्या चाहिए विद्या नहीं चाहिए। युवाओं को विद्या की ओर कैसे आकर्षित करे? यह हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती है। जलपुरुष ने अपने मुख्य वक्तव्य में विद्या कब थी और अविद्या कैसे शुरू हुई और कहां से शुरू हुई ? इसे बताते हुए कहा कि ,विद्या युद्ध कौशल लिए शुरू हुई थी।
विद्या वैदिक काल में त्याग, प्रेम, सम्मान करने के लिए होती है । तो विद्या और अविद्या का भेद जानना अत्यंत जरूरी है। आज दिल्ली में आई बाढ़ अविद्या की देन है, और इसका समाधान भी अब अविद्या से ही खोज रहे है। ये सबसे बड़ी मूर्खता होगी । हमे विद्या को बढ़ाने और अविद्या को कम करने के लिए मिलकर कुछ उपाय करने की जरूरत है।
इसके बाद उदयपुर में विश्व जल संस्थान के विषय पर जनार्दन राय नागर,राजस्थान विद्या पीठ के कुलपति, वरिष्ठ विशेषज्ञ के साथ गंभीर चर्चा हुई। कुलपति श्री एस. एस. सारंगदेव जी ने कहा कि ,काम हम मिल कर करेंगे। मैं खुद आयोग आयुक्त हूं, उस रूप में भी और यूनिवर्सिटी में काम करूंगा। इस पूरी बातचीत में उन्होंने बहुत आनंद और विश्वास कहा कि, बाढ़ – सुखाड़ हमारी विश्विद्यालय की भी प्राथमिकता है, और हमारी भी है। इस दीक्षांत समारोह में जल, जंगल और जमीन को बचाने के लिए जलपुरुष राजेन्द्र ंिसह जी को डीलिट की उपाधि प्रदान की गई।