गैंगस्टरों की गैरकानूनी आजादी पर बुलडोजर की तैयारी

गैंगस्टर लाबी में खलबली छाई – कालापानी भेजने की प्लानिंग आई
अपराध से करोगे यारी तो कालापानी भेजने की होगी तैयारी – जिंदगी नर्क बनेगी सारी – एडवोकेट किशन भावनानी

किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर आज अनेक देश आतंकवाद, अपराध, हिंसा से जूझ रहे हैं, इसका ताजा उदाहरण हम फ्रांस में भड़की हिंसा से समझ सकते हैं। बता दें हमारे पीएम 13 जुलाई को फ़्रांस जाकर 14 जुलाई 2023 को बैस्टिल डे परेड में शामिल होंगे और 26 राफेल एंड (मरीन) लड़ाकू विमानों का सौदा होने की उम्मीद है। भारत घरेलू हिंसा से अधिक बॉर्डर क्षेत्रों से हिंसा घुसपैठ आतंकी हमलों से अधिक पीड़ित है परंतु घरेलू हिंसा का मुख्य जरिया जेल में बंद बड़े-बड़े गैंगस्टर को भारतीय सुरक्षा एजेंसियां मानती है क्योंकि वह जेल में बैठे-बैठे ही अपना रैकेट चलाते हैं, वसूली हिंसा हत्याओं को अंजाम देते हैं। पिछले कुछ वर्षों का आंकलन हम चार राज्यों की जेलों का करें तो मीडिया में बात सामने आती है कि वहां गैंगस्टरों द्वारा घटनाओं को अंजाम दिया जाता है।

अगर कोई गैंगस्टर जेल में ही स्विमिंग पूल बना सकता है, मोबाइल वीडियो कॉलिंग, मनमाफिक मुलाकात, वीआईपी सुविधाएं ले सकता है तो मेरा मानना है वह उच्चस्तरीय और जेल प्रशासन से मिलीभगत के सिवाय नामुमकिन है। वैसे भी दिल्ली की नामी जेल में अनेकों वारदातें होती रहती है, परंतु पिछले महीनों एक टिल्लू नामक कैदी की हत्या जिस तरह सीसीटीवी मीडिया कैमरों में दिखाया गया उससे कानून व्यवस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसीलिए ही उस केस में अनेक जेल अधिकारियों को उनके गृह राज्य वापस ट्रांसफर कर दिया गया था परंतु समस्या जस की तस बनी हुई है। इसीलिए अब राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (एनआईए) ने अनेकों गैंगस्टरों की लिस्ट बनाकर उन्हें कालापानी जिसकी चर्चा हम नीचे करेंगे और डिब्रूगढ़ जेल स्थानांतरित करने की सिफारिश गृह मंत्रालय को की है, जो कैदियों के लिए एक नर्क का स्थान है।

हम बचपन में कालापानी की सजा का नाम सुन चुके हैं परंतु इसका मतलब मालूम नहीं था जिसकी चर्चा आज हम करेंगे। वैसे भी भारतीय जेलों में उनकी क्षमता से लगभग दोगुनी से अधिक संख्या में कैदी बंद हैं। दिल्ली के प्रतिष्ठित जेल में ही 5200 के स्थान पर 13000 से अधिक कैदी बंद है तो अन्य बाकी जिलों का अंदाजा लगाया जा सकता है। चूंकि अभी एनआईए ने गृह मंत्रालय से अनेकों कैदियों को कालापानी भेजने की सिफारिश की है, इसलिए आज हम मीडिया और एक टीवी चैनल ने बताई जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, अपराध से करोगे यारी तो कालापानी भेजने की होगी तैयारी, जिंदगी नर्क बनेगी सारी।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

साथियों बात अगर हम देश के बड़े गैंगस्टरों को कालापानी भेजने की प्लानिंग की करें तो, देश के हार्डकोर और दहशतगर्द गैंग्स्टरों को तिहाड़ जेल से निकालकर राजधानी से 3600 किलोमीटर दूर कालापानी जेल के नाम से फेमस अंडमान निकोबार की जेलों में शिफ्ट किया जाएगा। एनआईए की प्लानिंग पर अगर गृह मंत्रालय की मुहर लग जाती है तो वाकई में गैंग्स्टर्स के लिए वह काला दिन साबित होगा।हार्डकोर गैंगस्टर्स और सरकारों के नाक में दम करने वालों की अब खैर नहीं है। यह खबर सुनकर देश में गैंग्स्टर्स लॉबी के बीच खलबली मच सकती है। उनके माथे पर चिंता की लकीरें खींच सकती हैं। क्योंकि गैंग्स्टर लॉबी के नेक्सस को तोड़ने के लिए एनआईए ने एक फुलप्रूफ प्लान बनाया है। देश की सबसे बड़ी जेलों में से एक चाहे तिहाड़ जेल हो या पंजाब की कोई भी जेल या फिर मुंबई और महाराष्ट्र की बड़ी जेलें।

इन जेलों में बंद गैंग्स्टर अपना अपना कारोबार बेधड़क होकर चलाते रहे हैं। खुद एनआईए की पूछताछ में पंजाब के गैंग्स्टर ने ये बात कबूल की कि वो जेल से ही सिंडीकेट चला रहा है। इसके साथ ही वह लोगों को धमकी देने के अपने धंधे से हर महीने 12 से 15 करोड़ रुपये कमा भी लेता है। जेलों में गैंगवॉर का खतरा, टिल्लू की हत्या इसका लेटेस्ट एग्जांपल है। जेलों में यह भी देखा गया है कि जेल के भीतर अक्सर गैंगवॉर का खतरा बना रहता है। टिल्लू की हत्या के बाद से ही यह बात सिर उठाने लगी थी कि जेलों में बंद खूंखार कैदियों और गैंग्स्टरों को कैसे और कहां शिफ्ट किया जाए ताकि जेल में गैंगवॉर जैसी खतरनाक वारदातों को कम किया जा सके। कई इन्वेस्टिगेशन तमाम छानबीन का हवाला देते हुए एनआईए ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को रिपोर्ट भेजी थी और कुछ सिफारिशें भी की थी। उसी चिट्ठी में सबसे पहली और बड़ी शिफारिश ये थी कि कैदियों को पहले तो एक दूसरे से अलग अलग किया जाए ताकि गैंगवॉर का खतरा कम हो।

दूसरा इन गैंग्स्टरों की हरकतों पर लगाम लगाने के लिए भी जरूरी है कि उन्हें ऐसी जेल में भेजा जाए जहां उनके लिए अपना नेटवर्क बनाना आसान न हो ताकि जेल से हो रही वारदात और गतिविधियों पर लगाम लगाई जा सके। एनआईए ने अपनी अपील में सिफारिश की है कि अलग अलग जेलों में बंद करीब 10 से 12 हजार कुख्यात गैंग्स्टरों को दूर दराज की जेलों में शिफ्ट कर दिया जाए। इस सिफारिश में जिस जेल का नाम सबसे ऊपर आया वो था अंडमान निकोबार की जेल थी। यानी एनआईए ने गृह मंत्रालय से अपील की है कि तिहाड़ से लेकर तमाम जेलों में बंद बड़े और शातिर बदमाश और कुख्यात गैंग्स्टरों को अंडमान की जेल में शिफ्ट कर देना चाहिए, इसके अलावा कुछ नामी बदमाश कैदियों को असम की डिब्रूगढ़ जेल में भी शिफ्ट करने की सिफारिश की गई है।

साथियों बात अगर हम कालापानी जेल को समझने की करें तो, एक समय था जब अंडमान निकोबार में स्थित सेल्यूलर जेल बहुत चर्चित थी। इस जेल को लोग काला पानी सज़ा भी कहते हैं। आज भी इसे इसी नाम से जाना जाता है। इस जेल के नाम से ही कैदियों की रूह कांप जाती थी। इस जेल को अंग्रेजों ने बनवाया था, जो कि अंडमान निकोबार द्वीप की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में स्थित है। 1942 में जापान ने अंडमान द्वीप पर कब्जा कर अंग्रेजों को खदेड़ दिया था। हालांकि 1945 में दूसरा विश्वयुद्ध खत्म होने पर ये फिर से अंग्रेजों के कब्जे में आ गया था। इस जेल को अंग्रेजों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को कैद रखने के लिए बनवाया था। कालापानी का भाव सांस्कृतिक शब्द काल से बना माना जाता है, जिसका अर्थ समय या मृत्यु होता है। यानी काला पानी शब्द का अर्थ मृत्यु के उस स्थान से है, जहां से कोई भी वापस नहीं आता है।

अंग्रेजों के जमाने में काला पानी जेल की सजा दी जाती थी। ये सजा मौत से भी बदतर मानी जाती थी। क्योंकि इसमें व्यक्ति को जिंदा रहते हुए वो कष्ट सहने पड़ते थे, जो मौत से भी ज्यादा दर्दनाक होते थे और तड़पते हुए मौत होती थी। इस सजा के अंतर्गत अंग्रेजी सरकार का विरोध करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को उम्र भर के लिए काले पानी की सजा दे दी जाती थी ताकि उनके विरोध के कारण जो प्रभाव जनता पर पड़ा है वह पूर्णतः समाप्त हो सके और आगे से कोई भी व्यक्ति सरकार का विरोध करने की कोशिश न करे। सेल्यूलर जेल की नींव 1897 ईस्वी में रखी गई थी और 1906 में यह बनकर तैयार हो गई थी। इस जेल में कुल 698 कोठरियां बनी थीं और प्रत्येक कोठरी 15×8 फीट की थी। इन कोठरियों में तीन मीटर की ऊंचाई पर रोशनदान बनाए गए थे ताकि कोई भी कैदी दूसरे कैदी से बात न कर सके।

सेल्यूलर जेल अंडमान के पोर्ट ब्लेयर में स्थित है। इस जेल को बनाने में करीब 10 साल लग गए थे। इस जेल की 7 ब्रांच थीं, जिसके बीच में एक टावर बना हुआ था। यह टावर इसलिए बनाया गया था ताकि कैदियों पर आसानी से नजर रखी जा सके। संभावित खतरे को भांपने के लिए इस टावर के ऊपर एक घंटा भी था। सेल्यूलर जेल को काला पानी के नाम से भी जाना जाता है। ये जेल एक औपनिवेशिक जेल है। इस सजा के अंतर्गत अंग्रेजी सरकार का विरोध करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को उम्र भर के लिए काले पानी की सजा दे दी जाती थी ताकि उनके विरोध के कारण जो प्रभाव जनता पर पड़ा है वह पूर्णतः समाप्त हो सके और आगे से कोई भी व्यक्ति सरकार का विरोध करने की कोशिश न करे जो अंग्रेजों के अत्याचारों की गवाह है। हालांकि अब ये जेल लोगों के लिए एक स्मारक के तौर पर मशहूर है, जिसे देखने के लिए देश भर के सैलानी पोर्ट ब्लेयर आते हैं।

साथियों सेल्यूलर जेल को काला पानी कहा जाता था क्योंकि जेल के चारों तरफ समुद्र था और इसलिए कोई भी कैदी यहां से बच के जाने की उम्मीद नहीं कर सकता था। सेल्यूलर जेल का उपयोग विशेष रूप से अंग्रेजों द्वारा भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष के दौरान दूरस्थ द्वीप समूह में राजनीतिक कैदियों को निर्वासित करने के लिए किया गया था। सेल्यूलर जेल में कैदियों के साथ बीमारियों का भी घर होता था। हर कोठरी पर छप्पर था जिसमें कैदियों के लिए सिर्फ दुख और भयंकर रोग भरे हुए थे। हवा बदबूदार और बीमारियों का खजाना थी। बीमारियां, असीमित खुजली और दाद जैसा एक और चर्मरोग जिसमें बदन की खाल फटने और छिलने लगती है, जो वहां बहुत ही आम थीं। जेल में कैदियों को कोई भी बीमारी होने के बाद उसका इलाज, सेहत की देखभाल और घाव भरने का कोई उपाय भी नहीं है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन पर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि गैंगस्टरों की गैरकानूनी आजादी पर बुलडोजर की तैयारी।गैंगस्टर लाबी में खलबली छाई-कालापानी भेजने की प्लानिंग आई। अपराध से करोगे यारी तो कालापानी भेजने की होगी तैयारी, जिंदगी नर्क बनेगी सारी।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के हैं और दी गई सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई है।)

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