वाराणसी : 30 अप्रैल रविवार सुबह 03 बजकर 19 मिनट पर गुरु पूर्व में उदय होगा। विवाह- अन्य मांगलिक कार्यो के शुभ मुहूर्त के लिए अब नहीं करना होगा इंतजार। आइए जानते हैं इस वर्ष कब कब है विवाह के शुभ मुहूर्त। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरू और शुक्र तारा उदय हो एवं शुभ मुहूर्त में ही विवाह आदि मांगलिक कार्य सम्पन्न किए जाते है। विवाह एवं मांगलिक कार्यों के लिए गुरू और शुक्र तारा का उदय होना एवं शुभ मुहूर्त का होना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
इस वर्ष सन् 2023 ई. शुक्रवार 31 मार्च सुबह 06 बजकर 24 मिनट पर गुरु तारा पश्चिम में अस्त हुआ था और 30 अप्रैल रविवार सुबह 03 बजकर 19 मिनट पर गुरु पूर्व में उदय होगा। सन् 2023 ई. अप्रैल 30 के बाद ही शुभ मुहूर्त में विवाह आदि मांगलिक कार्य फिर से शुरू होंगे। सन् 2023 ई. 30 अप्रैल तारा उदय होने के बाद विवाह का पहला मुहूर्त 02 मई को है।
गुरू और शुक्र तारा अस्त के दौरान बालक के जन्म लेने के बाद के सूतक आदि संस्कार, नामकरण, पूजन-हवन, गण्डमूल शांति, सगाई समेत भूमि, वाहन, ज्वेलरी आदि की खरीद-फरोख्त की जा सकती है। तारा डूबने या चढ़ने का तात्पर्य तारा के अस्त और उदय हो जाने से होता है। जैसे सूर्य का उदय और अस्त होना। खगोल के मुताबिक सूर्य पृथ्वी के सबसे नजदीक का तारा है जो अपने ही प्रकाश से चमकता है। अन्य ग्रह सूर्य के प्रकाश से ही प्रकाशित होते हैं। भारतीय ज्योतिष में गुरु एवं शुक्र ग्रह को तारा माना गया है।
गुरु एवं शुक्र अस्त के इन दिनों में विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन संस्कार, शपथ ग्रहण करना, शिलान्यास, व्रत उद्यापन (मोख), यगोपवीत संस्कार आदि शुभ मांगलिक कार्य करना पूर्णतः वर्जित है। इसी तरह स्वयंवर के लिए भी गुरु व शुक्र के अस्त का समय त्याज्य माना गया है। कोई व्यक्ति पुनर्विवाह करे तो गुरु व शुक्र के अस्त, वेध, लग्न शुद्धि, विवाह विहित मास आदि का कोई दोष नहीं लगता।
पुराने या मरम्मत किए गए मकान में गृह प्रवेश हेतु गुरु एवं शुक्र के अस्त काल का विचार नहीं किया जाता अर्थात जीर्णोद्धार वाले मकान बनाने के लिए गुरु व शुक्र अस्त काल में प्रवेश कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि शुक्र के अस्त होने पर यात्रा करने से प्रबल शत्रु भी जातक के वशीभूत हो जाता है। शत्रु से सुलह या संधि हो जाती है। शुक्रास्त काल में वशीकरण के प्रयोग शीघ्र सिद्धि देने वाले साबित होते हैं।
यात्रा हेतु शुक्र का सामने और दाहिने होना त्याज्य है। वधू का द्विरागमन गुरु व शुक्र के अस्त काल में वर्जित है। यदि आवश्यक हो तो दीपावली के दिन ऋतुवती वधू का द्विरागमन इस काल में कर सकते हैं। राष्ट्र विप्लव, राजपीड़ावस्था, नगर प्रवेश, देव प्रतिष्ठा, एवं तीर्थयात्रा के समय नववधू को द्विरागमन के लिए शुक्र दोष नहीं लगता। वृद्ध व बाल्य अवस्था रहित शुक्रोदय में मंत्र दीक्षा लेना शुभ माना जाता है। प्रसूति स्नान के अलावा अन्य शुभ कार्यों में भी इन दोनों ग्रहों का अस्त काल वर्जित है।
अस्तकाल में गुरु में गुरु की अंतर्दशा, शुक्र में शुक्र की अंतर्दशा, गुरु में शुक्र की अंतर्दशा, शुक्र में गुरु की अंतर्दशा, शुक्र में शनि की और शनि में शुक्र की अंतर्दशा और शेष ग्रहों में गुरु एवं शुक्र की अंतर्दशाएं कष्टप्रद होती हैं। कोई विधवा स्त्री या परित्यक्ता नारी किसी अन्य पुरुष से पुनर्विवाह करे तो गुरु व शुक्र के अस्त, वेध, लग्न शुद्धि, विवाह विहित मास आदि का कोई दोष नहीं लगता।
सन् 2023 ई. 30 अप्रैल के बाद विवाह मुहूर्त इस प्रकार है :
मई : 02, 03, 10, 11, 12, 13, 16, 20, 21, 22, 26, 27, 28, 29, 30, 31 तारीख
जून : 01, 03, 05, 06, 07, 08, 11, 12, 13, 23, 26, 27, 30 तारीख
जुलाई : 01, 02, 03, 06, 09, 10, 13, 14 तारीख
अगस्त : 24, 26, 28, 29 तारीख
सितंबर : 06, 07, 8, 20, 21, 22, 23, 24, 25, 26 तारीख
अक्टूबर : 18, 19, 20, 21, 22, 23, 26 तारीख
नवंबर : 01, 06, 07, 09, 10, 14, 18, 19, 22, 23, 27, 28, 29 तारीख
दिसंबर : 07 और 08 तारीख
ज्योर्तिविद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848