आदिवासियों की सभ्यता व संस्कृति के संरक्षण की दिशा में अग्रसर है वनवासी कल्याण आश्रम : कमल पुगलिया 

सिलीगुड़ी। भारतवर्ष में आदिवासियों की एक बड़ी तादाद है जिसे वनवासी के रुप में जाना जाता है। इनकी अपनी अलग संस्कृति और सभ्यता है। हालांकि यह संस्कृति धीरे धीरे लुप्त होती जा रही है। इसलिए इस संस्कृति को बचाने और उचित संरक्षण की दिशा में काम करने की जरूरत है। इसी मिशन में लगा हुआ है वनवासी कल्याण आश्रम।

इस सम्बन्ध में संगठन के उत्तर बंगाल प्रांत के अध्यक्ष कमल पुगलिया ने न्यूज़ एशिया को बताया कि वनवासी कल्याण आश्रम एक अखिल भारतीय संगठन है, जो आदिवासी वनवासियों के बीच जाकर काम करता है। देश में इस संगठन की स्थापना 1952 में हुई जबकि उत्तर बंगाल में इसका गठन 1984 में किया गया।

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