कोलकाता। कोलकाता की एक विशेष पीएमएलए अदालत के न्यायाधीश ने मंगलवार को कोलकाता नगर निगम के मेयर फिरहाद हाकिम और तृणमूल कांग्रेस के विधायक मदन मित्रा को देर से अदालत में आने पर कड़ी फटकार लगाई। हकीम, राज्य के नगर मामलों और शहरी विकास मंत्री है जबकि मित्रा राज्य के पूर्व मंत्री हैं। दोनों को 2016 के नारद स्टिंग वीडियो मामले के संबंध में मंगलवार को अदालत में पेश होना था। चूंकि वे देर से अदालत में पहुंचे, जब न्यायाधीश पहले ही अपनी कुर्सी पर बैठ चुके थे और कार्यवाही शुरू हो चुकी थी।
उनकी देरी से नाराज न्यायाधीश ने दोनों को कड़ी फटकार लगाई। न्यायाधीश को मंत्री और विधायक से कहते हुए सुना गया, “मुझे आपके लिए इंतजार करना होगा। क्या आप इतने महत्वपूर्ण वीआईपी हैं? मुझे पता है कि चीजों को कैसे ठीक करना है।” हालाँकि, मामला वहीं समाप्त हो गया क्योंकि मित्रा ने तुरंत माफी मांगी और कोलकाता की सड़कों पर अत्यधिक यातायात को अपनी देरी का कारण बताया। हालांकि, कोलकाता के पूर्व मेयर शोभन चारोपाध्याय, जिन्हें मंगलवार को अदालत में तलब भी किया गया था, मामले की कार्यवाही से पहले ही अदालत पहुंच गए थे।
2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के तुरंत बाद हकीम, मित्रा, चट्टोपाध्याय और पूर्व पंचायत मामले और ग्रामीण विकास मंत्री स्वर्गीय सुब्रत मुखर्जी को नारद स्टिंग वीडियो मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गिरफ्तार किया था। बाद में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी जांच में शामिल हो गया और उसने इन चार लोगों को अपने आरोप पत्र में नामजद किया है। इस बीच, नवंबर 2021 में दिल का दौरा पड़ने से सुब्रत मुखर्जी की मृत्यु हो गई, जिसके बाद उनका नाम मामले से हटा दिया गया था।
उल्लेखनीय है कि 2016 के विधानसभा चुनावों से पहले नारद स्टिंग ऑपरेशन का वीडियो वायरल हुआ था। इसमें स्टिंग ऑपरेशन करने वाले नारद न्यूज़ पोर्टल के सीईओ मैथ्षू सैमुअल एक फर्जी कंपनी के सीईओ बनकर तृणमूल कांग्रेस के कई आला नेताओं से मिले थे। इन नेताओं ने सैमुअल की फर्जी कंपनी के गैरकानूनी कारोबार को फैलाने में मदद के नाम पर पांच-पांच लाख रुपये नगद घूस लिया था जो स्टिंग ऑपरेशन के दौरान कैमरे में कैद कर लिया गया था।