जानिए, आबकारी नीति का वह मामला, जिसने सिसोदिया को सीबीआई के शिकंजे में उतारा

नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) को बड़ा झटका लगा, जब सीबीआई ने आबकारी नीति मामले और एफआईआर में उल्लिखित दिनेश अरोड़ा और अन्य आरोपी व्यक्तियों के साथ संबंध में आठ घंटे की पूछताछ के बाद रविवार को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया। सोमवार को दिल्ली की एक अदालत ने आप के वरिष्ठ नेता को 4 मार्च तक पांच दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया। हालांकि, उनकी गिरफ्तारी का आधार पिछले साल जुलाई से तैयार किया जा रहा था, जब दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना को एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें सिसोदिया पर ‘कमीशन’ के बदले शराब के लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया गया था।

एक सूत्र ने कहा, “आबकारी नीति मामले पर सतर्कता विभाग की जांच रिपोर्ट मनीष सिसोदिया और आबकारी विभाग के अधिकारियों द्वारा लिए गए मनमाने और एकतरफा फैसलों से संबंधित है, जिसके परिणाम स्वरूप सरकारी खजाने को भारी वित्तीय नुकसान हुआ है। विदेशी शराब के मामले में आयात पास शुल्क और लाभ मार्जिन, शुष्क दिनों की संख्या में कमी और उत्पाद शुल्क नीति के अवैध विस्तार से भी पता चलता है कि नीति ने भारी राजस्व अर्जित करने में मदद की थी।” हालांकि, काफी विवाद के बाद अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली कैबिनेट ने पिछले साल जुलाई में आबकारी नीति 2021-22 को वापस ले लिया था।

मामले में सीबीआई की प्राथमिकी में कहा गया है कि सिसोदिया, तत्कालीन आबकारी आयुक्त अरवा गोपी कृष्णा और उत्पाद शुल्क विभाग के दो अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना वर्ष 2021-22 के लिए आबकारी नीति से संबंधित सिफारिश करने और निविदा के बाद लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने के इरादे से निर्णय लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। एलजी सचिवालय के एक बयान में कहा गया है, “हालांकि, अनियमितताओं के संबंध में सतर्कता रिपोर्ट की टिप्पणियां एक अलग कहानी बताती हैं। यह सिसोदिया थे, जिन्होंने वास्तव में लाइसेंसधारियों को अप्रत्याशित लाभ के लिए जगह दी और सरकार को राजस्व की हानि हुई।” रिपोर्ट के अनुसार, सरकार को होने वाली भारी राजस्व हानि ‘विदेशी शराब के मामले में निमार्ताओं के लिए बीयर पर आयात पास शुल्क और प्रति यूनिट लाभ मार्जिन’ के कारण हुई थी।

सूत्र ने कहा, “आबकारी विभाग के अधिकारियों ने विदेशी शराब की दरों की गणना के फार्मूले को संशोधित करने और आयात पास शुल्क को हटाने के लिए 8 नवंबर, 2021 के आदेश को जारी करने से पहले न तो मंत्रिपरिषद की मंजूरी ली, न ही एलजी की राय यह देखा गया कि थोक कीमतों में इस तरह की कमी करने से खुदरा लाइसेंसधारियों को बीयर और विदेशी शराब की इनपुट लागत कम हो गई थी।”

एयरपोर्ट जोन के मामले में 30 करोड़ रुपये की ईएमडी की वापसी : आबकारी विभाग के अधिकारियों का विचार था कि यदि ईएमडी को जब्त नहीं किया जाता है, तो बोली लगाने वाले अवास्तविक वार्षिक रिजर्व लाइसेंस शुल्क उद्धृत कर सकते हैं, जिससे निविदा प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हो सकती है और पटरी से उतर सकती है। इन अधिकारियों ने 30 दिनों के भीतर भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) से एनओसी प्राप्त करने में विफल रहने की स्थिति में ईएमडी की जब्ती/वापसी के संबंध में मंत्रियों के समूह से दिशा-निर्देश मांगे और फाइल को वित्त विभाग को भेज दिया। हालांकि, सिसोदिया ने अन्य बातों के साथ-साथ यह निर्णय लिया कि ईएमडी को एच1 बोलीदाता को वापस किया जाना चाहिए जो एएआई से एनओसी प्राप्त करने में विफल रहता है।

तीसरा बिंदु है, शराब तस्करों को राहत के तौर पर कोविड पाबंदियों के बहाने जनवरी 2022 के लिए 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस की छूट। आबकारी नीति के तहत लाइसेंसधारियों ने कोविड प्रतिबंध अवधि के लिए लाइसेंस शुल्क माफी के लिए दिल्ली सरकार से संपर्क किया था। जब उन्हें सरकार से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो लाइसेंसधारियों ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसने लाइसेंसधारियों को नए सिरे से अभ्यावेदन दाखिल करने का निर्देश दिया और आबकारी विभाग को सात दिनों के भीतर इसका निपटान करने को कहा। प्रभारी मंत्री, सिसोदिया ने 1 फरवरी, 2022 को निर्देश दिया कि 28 दिसंबर 2021 से 27 जनवरी 2022 की अवधि के दौरान बंद दुकानों के लिए प्रत्येक लाइसेंसधारी को यथानुपात लाइसेंस शुल्क राहत प्रदान की जाए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि मंत्रिपरिषद की मंजूरी के बिना या उपराज्यपाल की राय लिए बिना 2022 में शुष्क दिनों की संख्या को भी एक कैलेंडर वर्ष में 21 से घटाकर केवल तीन दिन कर दिया गया था। आबकारी नीति के विस्तार के संबंध में प्रतिवेदन में यह भी रेखांकित किया गया है कि विभाग के अधिकारियों द्वारा लाइसेंस की अवधि बढ़ाने से पहले निविदा लाइसेंस शुल्क में कोई वृद्धि किए बिना ऐसी कोई कवायद नहीं की गई। इसलिए, निविदा लाइसेंस शुल्क में बिना किसी वृद्धि के इस तरह के विस्तार से प्रथम दृष्टया ऐसे लाइसेंसधारी को अनुचित लाभ होगा।

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