कोलकाता। पश्चिम बंगाल में 17 फीसदी गर्भवती महिलाओं की उम्र किशोरावस्था है। सरकार के ‘मातृमा’ कार्यक्रम के हिस्से के रूप में एकत्र किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि बंगाल में विवाहित महिलाओं की संख्या महज 4 फीसदी ही है। कानूनी तौर पर बात करें तो लड़की के लिए 18 या 19 साल की उम्र में शादी करना सही है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग बार-बार इस चीज को लेकर सही ठहराता है कि इसके लिए 21 साल की उम्र बेहद मुफीद है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक गर्भावस्था के बाद मां और बच्चे दोनों के लिए 21 की उम्र में जान का जोखिम कम रहता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि राज्य में शादी की उम्र को लेकर जागरूकता बढ़ाई जानी चाहिए। स्वास्थ्य विभाग जच्चा -बच्चा की जान को लेकर जोखिम कम करने के लिए चाहता है कि गर्भावस्था के वक्त मां की उम्र 21 साल हो। विशेषज्ञों का कहना है कि किशोर माताओं को गर्भावस्था के दौरान उच्च स्वास्थ्य जोखिम और प्रसव के दौरान जीवन जोखिम का सामना करना पड़ता है। जबकि इनके बच्चों को जन्म के समय कम वजन, समय से पहले जन्म और अन्य नवजात जटिलताओं का खतरा रहता है।
मातृमा पोर्टल पर प्रकाशित डेटा से यह भी पता चलता है कि सितंबर 2022 में बंगाल में 4 लाख किशोर जोड़े थे। पिछले हफ्ते एक बैठक के दौरान स्वास्थ्य अधिकारियों को इस वर्ग की काउंसलिंग करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही जोड़ों को इस बात को मनाने के लिए कहा गया कि वे गर्भ निरोधकों का उपयोग करें। सकारात्मक पक्ष की बात करें तो सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल की तुलना में गर्भनिरोधक उपयोग में 5 फीसदी की वृद्धि हुई है।
दरअसल जनवरी 2022 में केवल 50 फीसद किशोर जोड़े ही गर्भ निरोधकों का उपयोग करते थे। वहीं जनवरी, 2023 में यह आंकड़ा बढ़कर 55 फीसद हो गया। स्वास्थ्य भवन अब किशोर गर्भावस्था को कम करने के लिए परामर्श के माध्यम से पहल को और जोर देना चाहता है। किशोर गर्भावस्था हाई ब्लड प्रेशर, प्री-एक्लेमप्सिया और नॉन मैच्योर डिलीवरी सहित कई समस्याएं पैदा करती है। यह अंतर्गर्भाशयी विकास मंदता का कारण भी बन सकती है।