कोलकाता। हिन्दू पंचांग का आखिरी महीना फाल्गुन 6 फरवरी से शुरू हो चुका है और यह 7 मार्च को होलिका दहन के साथ समाप्त हो जाएगा। धर्मग्रंथों में इस माह को धर्म-कर्म के लिए विशेष माना गया है। पुराणों में फाल्गुन माह को भगवान शिव की पूजा के साथ श्रीकृष्ण की पूजा करने का भी विधान बताया गया है। मान्यता है कि फाल्गुन माह में शिव पूजा करने से उम्र बढ़ती है। शारीरिक बीमारियों से मुक्ति मिलती है। शिवजी का रूद्राभिषेक करने से हर तरह की परेशानियाँ दूर होती हैं। शिवजी को चंदन चढ़ाने से समृद्धि बढ़ती है।
फाल्गुन माह में किए गए दान का भी अपना एक विशेष महत्त्व है। फाल्गुन माह में शिवरात्रि के बाद हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्यौंहार माह के अन्तिम दिन होली का आता है। इस दिन होलिका दहन होता है। होलाष्टक 8 दिनों का होता है। इसमें शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। पौराणिक कथा के मुताबिक कामदेव द्वारा भगवान शिव की तपस्या भंग करने के कारण शिवजी ने फाल्गुन शुक्ल अष्टमी पर कामदेव को भस्म कर दिया था।
दूसरी कथा के मुताबिक राजा हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका के साथ मिलकर अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति से दूर करने के लिए 8 दिनों में कई यातनाएं दी थीं, इसलिए होलाष्टक काल को विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन समारोह जैसे अधिक शुभ कार्यों को करने के लिए अशुभ माना गया है। धर्म ग्रंथों में फागुन को बीमारियों से छुटकारा पाने का महीना माना जाता है। फाल्गुन मास में शुद्ध घी, तेल, सरसों का तेल, मौसमी फलों का दान करने से सुख और समृद्धि बढ़ती है।
मान्यता है कि रोगों से मुक्ति के लिए फाल्गुन महीना उत्तम है। इस महीने में भोले शंकर को सफेद चंदन अर्पित करने से स्वास्थ्य लाभ होता है। मां लक्ष्मी की पूजा करने से आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन देवताओं को अबीर और गुलाल अर्पित करना चाहिए। फाल्गुन में दान का ज्यादा महत्व है। इस महीने में अपनी क्षमता के अनुसार जरूरतमंद लोगों को दान देने और पितरों के लिए तर्पण जरूर करना चाहिए।
Note ; आलेख में दी गई जानकारियों को लेकर हम यह दावा नहीं करते कि यह पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।