जलपाईगुड़ी। लोटादेवी कालीपूजा जलपाईगुड़ी या उत्तर बंगाल के स्थानीय निवासियों की पारंपरिक पूजा है। माघी पूर्णिमा की रात पूजा शुरू हुई। जो आगामी 5 दिनों तक चलेगा, इस अवसर पर इलाके में पांच दिवसीय मेला भी लगेगा। जलपाईगुड़ी के अलावा उत्तर बंगाल के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु यहां पूजा देखने आते हैं। भक्तों का मानना है कि यह देवी हर मनोकामना पूरा करती हैं। मोहित नगर में करला नदी के उस पार माँ लोटादेवी का प्राचीन मंदिर है।
मंदिर परिसर में एक तालाब है जिसमें पुराने कछुए और मछलियाँ हैं। पूजा समिति के सदस्य वरुण चौधरी ने कहा कि मां लोटादेवी बहुत जाग्रत हैं। मंदिर व देवी को लेकर लोगों की कई मान्यताएं भी हैं। इस पूजा के कारण शनिवार की रात को यहां बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुई। चूंकि मंदिर करला नदी के उस पार है, इसलिए नदी के ऊपर एक अस्थायी बांस का पुल बनाया गया है।
भक्त बांस का पुल पार कर उसपार मंदिर पहुंचकर काली मूर्ति की पूजा करते हैं। इस मेले में , जलपाईगुड़ी प्रजापिता ब्रह्माकुमारी संगठन की ओर से विश्व शांति की कामना में छोटा सा आयोजन किया गया। ब्रह्मकुमारी केंद्र के भाई बहनों ने ईश्वरिया विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित आध्यात्मिक चित्रों की प्रदर्शनी के माध्यम से मेले में आए श्रद्धालुओं को विभिन्न संदेश प्रस्तुत किए।