तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर : ना सभा – संस्था का बैनर और न यश प्रतिष्ठा का द्वंद लेकिन सामाजिक सरोकार निष्ठा और समर्पण का भाव ऐसा कि हृदय भर आए। कोलकाता निवासी राजेंद्र पांडेय को भीड़ में खड़े ऐसी ही शख्सियत के रूप में देखा जा सकता है, जो पिछले एक दशक से आत्मप्रचार से दूर रहते हुए सेवा और आत्मनिर्भरता का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज निवासी राजेंद्र पांडेय करीब 40 साल पहले आजीविका की तलाश में कोलकाता आए और व्यवसाय शुरू कर उन्होंने खुद को आत्मनिर्भर बनाया।
इसके बाद व्यवसाय के विभिन्न क्षेत्रों में में हाथ आजमा कर आर्थिक समृद्धि हासिल की। समाज सेवा की तरफ झुकाव होने के बाद उन्होंने कंबल वितरण व नर नारायण सेवा शुरू किया लेकिन इस दौरान देश के विभिन्न भागों से गंगासागर आने वाले लाखों पुण्यार्थियों का दारुण कष्ट उन्हें विचलित कर गया और उन्होंने उनकी सहायता का प्रण किया।
तब से वे लगातार हर साल मकर संक्रांति के दौरान कोलकाता में सेवा शिविर निर्बाध रूप से लगा रहे हैं। ना मुख्य अतिथि का तामझाम ना फीता काटने की औपचारिकता, लेकिन तब से उनका गंगा सागर तीर्थ यात्रियों की मदद का अभियान लगातार अथक रूप से चल रहा है। जिसके तहत वे अपने चुनिंदा साथियों के साथ मिलकर देश के विभिन्न भागों से आने वाले तीर्थ यात्रियों के ठहरने – खाने – पीने की व्यवस्था।
माल आसबाब रखने की निशुल्क व्यवस्था तथा बस से तीर्थ यात्रियों को गंगासागर भेजने की पूरी व्यवस्था किसी मौन साधक की तरह अपने बूते कर रहे हैं। इस पुनीत कार्य में उन्हें उनके परिजनों व शुभचिंतकों का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है। पांडेय कहते हैं कि वह आजीवन इस कार्य को करते रहना चाहते हैं।केवल और केवल अपना कर्तव्य समझते हुए आत्म – सुख के लिए।