मालदा। मकर संक्रांति के अवसर पर बाउल गान और पंच काली मां की पूजा गाजोल करकच क्षेत्र के अहरा पंच काली मां मंदिर प्रांगण में मकर संक्रांति के अवसर पर श्रीमति नदी तट पर गंगा पूजा स्नान मेला आयोजित हुई। श्री श्री गंगा पूजा स्नान मेला और पचकाली मां पूजा समिति की पहल पर सदस्य रमानी राय, परी राय, शिवाजी भक्त और हाराधन सिंह ने कहा कि इस पंच काली मां की पूजा कब से शुरू हुई यह कोई नहीं कह सकता। हमारे माता-पिता दादाजी यह पूजा करते रहे हैं। हमारा मानना है कि इस मां की पूजा 500 साल से भी ज्यादा पुरानी है। यहां पांच पत्थर जमीन में घुसे हुए हैं और इन पांच पत्थरों को सभी भक्त पंच काली के रूप में पूजते हैं। यह आयोजन भव्य तरीके से हर साल होता है।
हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी गंगा पूजा स्नान, 5 दिवसीय मेला व बाउल गान व पंच काली मां की पूजा धूमधाम से हो रही है। यह पंच काली मां पूजा करीब 500 साल पुरानी है। यहाँ पहले लुटेरों का गिरोह पंचकली माँ की पूजा करता था, फिर कुछ समय के लिए बंद कर दिया गया, फिर श्रीमति नदी में मछली पकड़ने आए मछुआरे पंचकली माँ की पूजा करने लगे। उन्होंने कई दिनों तक उनकी पूजा की। बाद में वह पूजा सार्वभौमिक हो गई। स्थानीय लोगों की पहल पर 5 दिनों तक सार्वजनिक श्री श्री गंगा पूजा स्नान होगा। पांच दिनों तक यहां मेला बाउल गान और पंच काली मां की पूजा होगी।
मकर संक्रांति के दिन हजारों श्रद्धालु गंगा स्नान करने के लिए एकत्रित होते हैं। भक्तों में प्रसाद वितरण किया जाएगा यह आयोजन संगठन की ओर से यह 19वां वर्ष आयोजन है। पश्चिम बंगाल के विभिन्न क्षेत्रों से यहां काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। कई श्रद्धालु पश्चिम बंगाल के बाहर अन्य राज्यों से भी आते हैं। ये पांच काली मां बहुत ही जाग्रत मां हैं जो भी मन्नत मांगते हैं उसे पूरा करती हैं इसलिए भक्त बड़ी संख्या में इकट्ठा होते हैं।