मालदा । जिनके पास पक्का व दो मंजिला मकान है उनका नाम आवास योजना सूची में डाला गया है। जबकि मिट्टी के घरों में रहने वालों को सरकार आवास परियोजना सूची में शामिल नहीं किया गया। इससे ओल्ड मालदा प्रखंड के जतराडांगा ग्राम पंचायत के हलना मोहम्मदपुर व डकैत पुकुर गांव के निवासियों में नाराजगी है। सोमवार को ग्रामीणों में उस आक्रोश की आग भड़क उठी। दोनों गांवों के निवासियों ने अपने क्षेत्रों में आवास योजनाओं को शामिल करने में भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया। हालांकि, जतराडांगा ग्राम पंचायत प्रधान नूर हक ने अनियमितताओं के तथ्य को स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति के लिए संबंधित ओल़्ड मालदा ब्लॉक के कुछ अधिकारी जिम्मेदार हैं। आब पंचायत संकट में घिर रहा है।
गौरतलब है कि ओल़्ड मालदा प्रखंड के जतराडांगा गांव, हलाना मोहम्मदपुर और डाकतपुकुर आदिवासियों बहुल गांव में गरीब लोग ज्यादा रहते हैं। अधिकांश लोग दिहाड़ी मजदूरी कर गुजारा करते हैं। कुछ नदियों और तालाबों में मछली पकड़ने से जुड़े हैं। अधिकांश लोगों के घरों में मिट्टी, छप्पर, टीन और खपरैल की छतें हैं। आरोप है कि उन दो गांवों के अधिकांश निवासियों को राज्य सरकार की आवास योजना योजना के तहत प्रशासन द्वारा घर सौंपने की योजना में सूचीबद्ध नहीं किया गया था। सोमवार को उन दोनों गांवों के लोगों ने एकजुट होकर अपने क्षेत्र में जमकर विरोध प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारी ग्रामीण निजामुद्दीन शेख, ममनी मंडल, मुमताज बेवड़ ने कहा कि गांव में जिनके पक्के मकान और दो मंजिला मकान हैं, वे सूची में हैं। लेकिन हम टिन के बने घर में रहते हैं। कई के पास मिट्टी के घर हैं। ऐसे में हमारा नाम सूची में शामिल करने के लिए कोई पहल नहीं की गई। यात्राडांगा ग्राम पंचायत के प्रधान नूर हक ने कहा कि आवास योजना परियोजना का सर्वे कार्य प्रशासन द्वारा कराया गया था। कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों की उदासीनता के चलते असली गरीबों के नाम छूट गए हैं। मैं मामले की शिकायत उच्चाधिकारियों से करूंगा। हालांकि मालदा के ओल़्ड बीडीओ इरफान हबीब ने इस संबंध में कोई टिप्पणी नहीं की।