नई दिल्ली । सभी देश व उस राष्ट्र के सभी व्यक्ति के लिए नए साल का अपना महत्व होता है। नया साल हमें नए काम करने के लिए प्रेरित करता है; यह हमें नए उत्साह और आनंद के साथ जीवन जीने की ऊर्जा देता है। नए साल में हम पिछले साल की गलतियों से सीखते हैं और फिर एक नया संकल्प लेते हैं और पूरी ऊर्जा के साथ काम को पूरा करना शुरू करते हैं, जिससे हमें सफलता मिलती है। यह पर्व की तरह ही है जो हमारे अंदर नई ऊर्जा लाता है, जिससे हमारे जीवन में नए साल का महत्व बढ़ जाता है, कहते भी हैं न की महान से महानतम बनने के बीज हमारे ही अंदर पहले से ही मौजूद हैं।
देखिए न उसैन बोल्ट, एलन मस्क, रूसो, स्टीव जॉब्स, अब्राहम लिंकन आदि जैसे सफल व्यक्तियों के सैकड़ों उदाहरण है जिन्होंने अपने कठिन परिस्थितियों में भी सफलता अर्जित किए। ऐसे सफलता के मूल में देखे तो स्वीकारोक्ति का साहस एवं सुधार करने की निष्ठा ही है। यहां मैं दुष्यंत कुमार के पंक्तियों को कहना चाहूंगा जो हमे प्रेरित करती है –
“इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है,
नाव जर्जर ही सही, लहरों से टकराती तो है,
एक चिंगारी कहीं से ढूंढ लाओ दोस्तों,
इस दिये में तेल से भीगी हुई बाती तो है”
जी हां मेरे आत्मीय साथियों स्पष्ट है कि सुधार करने की निष्ठा एवं स्वीकारोक्ति का साहस किसी संस्था व राष्ट्र की सफलता के लिए भी उतना ही जरूरी है जितना कि किसी व्यक्ति के लिए इसलिए यहां आज इस नए साल में आप खुद से संकल्प करे की खुद के साथ ही परिवार व अपने राष्ट्र को बुलंदी पर ले जाने के लिए पूरे वर्ष इमानदारी से नेक कार्य करते हुए कर्तव्य पथ पर डटे रहेंगे। कहते भी है ना की –
“तुम्हारे दिल की चुभन भी जरूर कम होगी,
किसी के पांव से कांटा निकालकर तो देखो।”
यहां मेरा कहने का तात्पर्य है कि आप इस वर्ष संकल्प ले की खुद के साथ ही दूसरों के भी जीवन में रोशनी लाने के लिए तत्पर रहेंगे, तन मन धन चाहे जैसे भी अपने सामर्थ्य अनुसार किसी के घरों में रोशनी लाने के लिए एक कोशिश तो कर सकते ही हैं। हम वसुधैव कुटुंबकम में विश्वास करने वाले हैं पूरी दुनियाँ के इंसान हमारा अपना है। हम सभी से प्यार स्नेह रखने वालों में है। हम जैसे पिछले वर्ष में थे, इस वर्ष वैसा ही नहीं रहना है। यह सच है कि इंसान गलतियां करता है लेकिन जो अपनी गलतियों से सीखता है वही आगे भी तो बढ़ता है। इसलिए इस वर्ष को जानदार व शानदार बनाने के लिए आज से ही दृढ़ संकल्प लेकर अपने कर्तव्य पथ पर जुट जाओ।
मेरे आत्मीय साथियों आपसे एक विनम्र निवेदन है कि आज से ही ये भी एक संकल्प लीजिए की सकारात्मक और प्रेरक भाषण प्रतियोगिता में भाग लेना है। यदि आपके पास बोलने का अच्छा और प्रभावशाली कौशल है, तो कृपया उसे लोगों की भलाई के लिए उपयोग करें। इस दुनियां में ऐसे अनगिनत लोग हैं जिन्हें बस जीवन के लिए कुछ बेहतर करने के लिए उन्हें जगाने की जरूरत है। प्रमुख सामाजिक मुद्दों जैसे युवाओं में बढ़ती नशे की लत , बेरोजगारी, लैंगिक भेदभाव, देर से विवाह, मौलिक अधिकार, घरेलू हिंसा, यौन शोषण, बलात्कार पर अधिक से अधिक बोलें, ये न केवल आपके आत्मविश्वास को बढ़ावा देगा बल्कि आपको एक आंतरिक शांति भी देगा, जिसकी हम सभी को तलाश है।
चिंतक/आईएएस मेंटर/दिल्ली विश्वविद्यालय/ इंटरनेशनल यूनिसेफ काउंसिल दिल्ली