वाराणसी । वर्तमान समय में कालसर्प योग को लेकर विभिन्न प्रकार की भ्रांतियां प्रचलित है। किसी जातक की जन्मपत्रिका में यदि कालसर्प योग होता है तो वह जातक उस कालसर्प योग को लेकर ही मन में निराशावादी भावना उत्पन्न कर लेता है। परंतु इस प्रकार के कई योग जन्मपत्रिका में पाए जाते हैं जिनसे की व्यक्ति की उन्नति होना संभव नहीं होती है। जैसे कि केमद्रुम योग, कालसर्प योग, ग्रहण दोष, यह योग होने पर भी जातक की उन्नति होने में बाधाएं आती है। कालसर्प योग एक निश्चित समय में ही अपना प्रभाव दिखाता है। इसके अतिरिक्त जीवन में जब राहु व केतु के अंतर अन्य ग्रहों की महादशा में आते हैं उस समय भी कालसर्प योग अपना प्रभाव दिखाता है।
कालसर्प योग की शांति : जन्मपत्रिका में कालसर्प योग होने की स्थिति में शराब वह मांस से दूर रहे, उपरोक्त दोनों ही वस्तुओं का सेवन करने से – कालसर्प योग और अधिक बलवान होता है और जातक को पग-पग पर बाधाएं पहुंचाता है।
कालसर्प योग होने के मुख्य कारण : पूर्वजन्म में सर्पों को अधिक मारा हो या तो परिवार के कुछ सदस्यों द्वारा सर्पों को अधिक मारा गया हो। परिवार में किसी की अल्प आयु में मृत्यु हुई हो और वे नागयोनि में हो उपरोक्त स्थिति में जन्मपत्रिका में कालसर्प योग पाया जाता है।
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ज्योतिर्विद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
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