कोलकाता। पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव से पहले एक बार फिर माकपा कांग्रेस करीब आते नजर आ रहे हैं। तीन महीने पहले राहुल गांधी के नेतृत्व में शुरू हुई कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का हिस्सा पश्चिम बंगाल में माकपा बन सकती है। अगर ऐसा होगा तो यह केरल में माकपा द्वारा भारत जोड़ो यात्रा को लेकर अपनाए गए रुख के बिल्कुल विपरीत होगा। कांग्रेस से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि प्रदेश में पार्टी अध्यक्ष और लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने माकपा को राज्य में आगामी 28 दिसंबर से शुरू होने वाली पैदल यात्रा में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है।
हालांकि इसकी आधिकारिक जानकारी अभी तक नहीं दी गई है लेकिन सूत्रों ने बताया है कि माकपा के बड़े नेताओं सहित कार्यकर्ताओं को इस यात्रा का हिस्सा बनने का आमंत्रण दिया गया है। 28 दिसंबर से पश्चिम बंगाल में शुरू होने वाली भारत जोड़ो यात्रा 55 दिनों तक चलेगी और दक्षिण 24 परगना के गंगासागर से शुरू होकर उत्तर बंगाल के दार्जिलिंग की पहाड़ियों में कार्सियांग में समाप्त होगी। भले ही इस यात्रा में राहुल गांधी शामिल नहीं होंगे लेकिन प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी सहित पार्टी के कई बड़े नेता इसमें इसकी अध्यक्षता करेंगे।
माकपा के एक नेता ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि कांग्रेस का आमंत्रण मिलने पर निश्चित तौर पर उसमें शिरकत करने के बारे में सोचा जा सकता है। इसकी वजह है कि बंगाल में तृणमूल और भाजपा से मुकाबले के लिए माकपा कांग्रेस की एकजुटता जरूरी है। इसके पहले वर्ष 2019, 2021 और बाद के चुनाव में दोनों ही पार्टियों के गठबंधन का प्रदर्शन निराशाजनक रहा था।
इस बारे में पूछे जाने पर उक्त नेता ने कहा कि भले ही प्रदर्शन अच्छा या बुरा रहा हो लेकिन यह वक्त की जरूरत है कि दोनों ही पार्टियां एकजुट रहें ताकि बंगाल के लोगों को तृणमूल और भाजपा से निजात मिल सके। इसके लिए कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में अगर माकपा हिस्सा लेती है तो यह पंचायत चुनाव सहित आसन्न लोकसभा चुनाव में भी दोनों ही पार्टियों के बीच बेहतर तालमेल में मददगार साबित होगा।
उक्त नेता ने बताया कि कांग्रेस की इस यात्रा में माकपा भले ही पूरी ताकत के साथ शामिल ना हो लेकिन संकेतिक समर्थन के रूप में यात्रा में भाग लिया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि माकपा की केरल इकाई ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पर सवाल खड़े किए थे। पार्टी ने दक्षिण भारत के राज्यों में अधिक समय बिताने को लेकर भी आपत्ति जताई थी।