स्टार्टअप के दौर में स्व-सहायता समूहों के लिए खुल रहे हैं नए रास्ते: गिरिराज

नयी दिल्ली। केन्द्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि देश में स्टार्ट-अप इकाइयों के तीव्र विस्तार से स्व-सहायता समूह के लिए भी नये रास्ते खुले हैं। सिंह ने यहां प्रगति मैदान में ‘सारस आजीविका मेला, 2022’ के उद्घाटन के मौके पर कहा कि ग्रामीण विकास मंत्रालय को तीन राज्यों से उच्च स्तरीय उत्पादों के लिए और शिल्प क्षेत्रों से स्टार्ट-अप के लिए 60 हजार से अधिक आवेदन मिले हैं।

उन्होंने कहा कि देश स्टार्ट-अप पारिस्थतिकी तंत्र के मामले में दुनिया का तीसरा देश बन गया है। जल्द ही दीदी (महिला स्व-सहायता समूह की सदस्यों) का खुद की स्टार्ट-अप हो जायेगा। इस आशय का प्रस्ताव उनके मंत्रालय के विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2015 में लाल किले की प्राचीर से स्टार्ट-अप की शुरुआत की घोषणा की थी।

80 हजार से अधिक स्टार्ट-अप हैं जबकि 2014 में मात्र 400 स्टार्टअप थे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में 2.35 करोड़ स्व-सहायता समूह के सदस्य थे जो अब बढ़कर लगभग नौ करोड़ हो गये हैं। वर्ष 2024 तक इन्हें 10 करोड़ कर देने का है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने स्व-सहायता समूह की ओर से चलाये जाने वाले व्यवसाय की मदद के लिए अनेक कदम उठाये हैं।

समूह की महिलाओं के उत्पाद, हस्तकला और हैंडलूम के उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने में मिशन मदद करता है। उन्होंने कहा कि समूह की प्रत्येक महिला स्थानीय उत्पादों की बिक्री से एक-एक लाख रुपये प्रति वर्ष तक बचत कर रही है। वह दिन अब दूर नहीं कि आज की लखपति दी करोड़पति दीदी हो जायेंगी।

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