मुंबई। अमेरिकी फेड रिजर्व के ब्याज दर में बढ़ोतरी के आक्रामक रुख में नरमी आने की उम्मीद में बीते सप्ताह 1.4 प्रतिशत की छलांग लगा चुके घरेलू शेयर बाजार की अगले सप्ताह दिशा निर्धारित करने में खुदरा एवं थोक महंगाई के आंकड़े, कपंनियों के तिमाही नतीजे और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के रुख की अहम भूमिका होगी।
बीते सप्ताह बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 844.68 अंक की उड़ान भरकर सप्ताहांत पर 61 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर के पार 61795.04 अंक और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 220.25 अंक की छलांग लगाकर 18349.70 अंक पर रहा।
वहीं, समीक्षाधीन सप्ताह बीएसई की दिग्गज कंपनियों के विपरीत मझौली और छोटी कंपनियों में गिरावट दर्ज की गई। इससे मिडकैप 181.87 अंक टूटकर सप्ताहांत पर 25465.20 अंक और स्मॉलकैप 122.18 अंक कमजोर पड़कर 28985.06 अंक पर आ गया। विश्लेषकों के अनुसार, अगले सप्ताह अक्टूबर की उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा महंगाई और थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई के आंकड़े जारी होने वाले हैं। इसके साथ ही आखिरी बैच में कंपनियों के चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के नतीजे भी आएंगे।
अगले सप्ताह इनका असर बाजार पर देखने को मिलेगा। इसी तरह रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास के उस बयान पर भी अगले सप्ताह बाजार की प्रतिक्रिया आएगी, जिसमें उन्होंने कहा है कि अक्टूबर में खुदरा महंगाई की दर सात प्रतिशत से कम होगी। साथ ही विदेशी संस्थागत निवेशकों की लगातार जारी मजबूत निवेश धारणा की भी बाजार को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
विदेशी संस्थागत निवेश्कों (एफआईआई) ने नवंबर में अबतक कुल 84,048.44 करोड़ रुपये की लिवाली जबकि कुल 71,558.70 करोड़ रुपये की बिकवाली की है, जिससे उनका शुद्ध निवेश 12,489.74 करोड़ रुपये रहा है। वहीं, इस अवधि में घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) की निवेश धारणा कमजोर रही है। उन्होंने बाजार में कुल 50,810.78 करोड़ रुपये का निवेश किया जबकि 56,455.65 करोड़ रुपये निकाल लिए, जिससे वह 5,644.87 करोड़ रुपये के बिकवाल रहे।