वाराणसी । प्राचीन काल में मकान वास्तु अनुसार बनाए जाते थे और उसको अच्छे से सजाया जाता था। उनमें वास्तु दोषों के शमन के लिए वास्तु अनुसार चित्र, नक्काशी, बेल-बूटे, मनोहारी आकृतियों आदि का उपयोग किया जाता था। हालांकि अब वैसे घर तो बनते नहीं है लेकिन यदि आप वास्तु अनुसार घर में चित्र लगाएंगे तो घर में धन, सुख, समृद्धि और शांति बनी रहेगी।
* निम्नलिखित चित्र लगाने से पहले घर की दक्षिण दीवार पर उचित स्थान पर पंचमुखी हनुमान जी का चित्र लगाना चाहिए।
* घर की तिजोरी के पल्ले पर बैठी हुई लक्ष्मीजी की तस्वीर जिसमें दो हाथी सूंड उठाए नजर आते हैं, लगाना बड़ा शुभ होता है। ईशान कोण खाली रखना चाहिए और उसकी दीवार पर सुंदर हरियाली के चित्र लगाना चाहिए। वहां जल की स्थापना करना चाहिए।
1. बैठक रूम : बैठक रूम में राम दरबार का चित्र लगाएं या फिर ऐसे चित्र लेकर आएं जिसमें हंसता-मुस्कुराता संयुक्त परिवार हो। मतलब सपरिवार प्रसन्नचित्त मुद्रा वाला चित्र लगाएं।
2. शयनकक्ष : शयन कक्ष में राधा-कृष्ण का एक सुंदर-सा चित्र लगा सकते हैं। इस चित्र की आपको पूजा नहीं करना चाहिए या फिर आप हंसों के जोड़े का सुंदर-सा मन को भाने वाला चित्र लगा सकते हैं। इसके अलावा आप नाचता हुआ मोर भी लगा सकते हैं। यदि संतान की इच्छा है तो बालकृष्ण का चित्र लगाएं।
3. रसोईघर : रसोई घर में मां अन्नपूर्णा का चित्र शुभ माना गया है या फिर आप सुंदर फलों और सब्जियों के चित्र भी लगा सकते हैं। यदि आपका रसोईघर अग्निकोण में न होते हुए किसी ओर दिशा में बना है तो वहां पर यज्ञ करते हुए ऋषियों की चित्राकृति लगाएं। इससे वहां का वास्तु दोष मिट जाएगा और धन के मार्ग में रुकावट नहीं आएगी।
4. अध्ययन कक्ष : अध्ययन कक्ष में मां सरस्वती का चित्र लगाएं या फिर हंस, वीणा या महापुरुषों की तस्वीर लगाई जा सकती है। इस कक्ष में तोते का चित्र जरूर लगाएं।
5. शौचालय : यदि गलती से आपका शौचालय ईशान कोण में बन गया है तो फिर यह बहुत ही धनहानि और अशांति का कारण बन जाता है। प्राथमिक उपचार के तौर पर उसके बाहर शिकार करते हुए शेर का चित्र लगा दें।
6. स्नानघर : स्नान घर में किसी भी तरह की तस्वीर नहीं लगाना चाहिए बल्कि उचित दिशा में एक छोटासा दर्पण होना चाहिए। स्नानघर में मनी प्लांट लगाना अच्छा होता है। स्नानघर में वास्तुदोष दूर करने के लिए नीले रंग के मग और बाल्टी का उपयोग करना चाहिए।
7. दरवाजा : घर के दरवाजे के उपर अंदर और बाहर गणेशजी के चित्र लगाना चाहिए। द्वार के दाएं और बाएं शुभ और लाभ लिखें और द्वार पर वंदनवार लगाएं जिसमें बेल-बूटे, नक्काशी या सुंदर चित्र बने हों। दरवाजे की देहली भी अच्छी और मजबूत होना चाहिए जिसके आसपास स्वास्तिक बनाना चाहिए।
ज्योतिर्विद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848