कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी के रिश्तेदारों की संपत्ति की बहु-एजेंसी से जांच कराने की मांग वाली एक जनहित याचिका सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय में दायर की गई। याचिकाकर्ता अरिजीत मजूमदार ने तर्क दिया कि बनर्जी के रिश्तेदारों की संपत्ति 2011 के बाद से उनके सत्ता में आने के बाद से अनुपातहीन रूप से बढ़ी है। मजूमदार के वकील तरुणज्योति तिवारी ने दावा किया,“ वर्ष 2011 से सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध दस्तावेज सुश्री ममता बनर्जी के परिवार के सदस्यों की संपत्ति के अप्रत्याशित वृद्धि की ओर इशारा कर रहे हैं।”
वकील ने दावा किया कि याचिकाकर्ता ने “ईडी (प्रवर्तन निदेशालय), सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) और आईटी (आयकर) विभाग द्वारा ममता बनर्जी के परिवार के सदस्यों की संपत्ति की जांच के लिए प्रार्थना की है।” तिवारी के अनुसार जनहित याचिका पर छह सितंबर को सुनवाई होगी। इस बीच तृणमूल कांग्रेस की छात्र इकाई के स्थापना दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सुश्री बनर्जी ने याचिका का जिक्र किया।
उन्होंने कहा,“आज ही, किसी ने मुझसे कहा कि उन्होंने मेरे खिलाफ यह कहते हुए मामला दर्ज किया है कि ममता बनर्जी और उनके परिवार के सदस्यों की संपत्ति पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ी है। मेरे सभी रिश्तेदारों के एकल परिवार हैं और हम केवल एक साथ त्योहार मनाते हैं। मेरी मां ही मेरी जिम्मेदारी थी।”
बनर्जी ने कहा कि पिछले 12 वर्षों में मैंने पूर्व सांसद के रूप में एक लाख रुपये की मासिक पेंशन छोड़ दी है। मुख्यमंत्री रहते हुए भी मैंने 3.5 लाख रुपये मासिक पारिश्रमिक छोड़ दिया है। मैं अपनी चाय के लिए भुगतान करती हूं और शायद ही कभी सरकारी वाहनों का उपयोग करती हूं। मैं अपने पैतृक स्थान पर ही रही, जो मेरे पिता ने मुझे दिया था। आप और क्या चाहते हैं।