बंगाल सरकार ने माना, अनीस खान के घर पर छापेमारी में कानूनी प्रक्रियाओं का पालन नहीं हुआ

कोलकाता। पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट में स्वीकार किया कि मृत छात्र नेता अनीस खान के आवास पर 18 फरवरी को पुलिस की छापेमारी उचित कानूनी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया था। छापेमारी के बाद अनीस रहस्यमय हालात में मृत पाया गया। राज्य के महाधिवक्ता सौमेंद्रनाथ मुखोपाध्याय ने न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की खंडपीठ को सूचित किया कि चूंकि छापेमारी करने में कानूनी प्रक्रियाओं में खामियां थीं, इसलिए संबंधित पुलिसकर्मी सजा के पात्र हैं।हालांकि, उन्होंने कहा कि यह आकस्मिक मौत का मामला था और यह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं था कि उस छापे में शामिल पुलिसकर्मियों द्वारा उसकी हत्या की गई थी।

इसलिए राज्य प्रशासन ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कराने की जरूरत महसूस नहीं की। उन्होंने यह भी कहा कि यह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है कि छापे में शामिल पुलिसकर्मियों ने अनीस खान को उसके आवास से भूतल पर धकेल दिया था। पुलिसकर्मियों ने जानकारी दी है कि उनके मौके पर पहुंचते ही अनीस खान खुद कूद पड़ा। महाधिवक्ता ने यह भी तर्क दिया कि अनीस खान के पिता सलेम खान को मामले में एक प्रमुख चश्मदीद गवाह नहीं माना जा सकता, क्योंकि उन्होंने सिर्फ गिरने की आवाज सुनी।

उन्होंने पुलिसकर्मियों को उनके बेटे को धक्का देते नहीं देखा। हालांकि, जस्टिस मंथा ने फिर अनीस खान के परिवार द्वारा उठाए गए सवाल को दोहराया कि पुलिस ने मृत छात्र नेता को अस्पताल ले जाने के बजाय मौके पर ही क्यों छोड़ दिया। न्यायमूर्ति मंथा ने यह भी कहा कि राज्य सरकार की रिपोर्ट में जांच की यांत्रिक प्रक्रिया के बारे में उल्लेख किया गया है, न कि इस संबंध में गिरफ्तार किए गए एक होम-गार्ड और नागरिक स्वयंसेवक द्वारा पुलिस को दिए गए बयानों का जिक्र है। यह कहते हुए कि यहां के पुलिस जांचकर्ता दुनिया में सर्वश्रेष्ठ साबित हो सकते हैं, बशर्ते वे राजनीतिक प्रभाव के आगे न झुकें।

न्यायमूर्ति मंथा ने कहा कि मौत के इस विशेष मामले में और अधिक जांच की जरूरत है। मामले में अगली सुनवाई सात जून को निर्धारित की गई है। अनीस खान के पिता सलेम खान ने हालांकि राज्य सरकार की उन टिप्पणियों को खारिज किया है कि उनके बेटे की मौत आकस्मिक थी। उन्होंने कहा, पुलिस और राज्य सरकार जानबूझकर मुख्य अपराधियों को बचाने की कोशिश कर रही है। पुलिस आई और उनमें से एक ने मुझे गोली मारने की धमकी भी दी। हम इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जांच की अपनी मांग पर कायम हैं।

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