आरटीआई और ग्राम सभा विषय पर आयोजित हुआ 95वां राष्ट्रीय आरटीआई वेबीनार

  • भारत में ग्राम सभाओं को सार्थक बनाने के लिए आरटीआई के साथ सहभागिता अत्यंत आवश्यक : चंद्रशेखर सिंह प्राण 
  • सूचना आयोगों को धारा 4 की पालना करवाते हुए अधिक से अधिक जानकारी करनी चाहिए सार्वजनिक :  शैलेश गांधी

शिवानंद द्विवेदी, रीवा : सूचना के अधिकार कानून और पंचायती राज व्यवस्था में ग्राम सभा के महत्व को लेकर 95 वां राष्ट्रीय आरटीआई वेबीनार का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर तीसरी सरकार अभियान के संस्थापक और वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर सिंह प्राण, मिशन ग्राम सभा के सक्रिय सदस्य पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी, पूर्व मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप, फोरम फॉर फास्ट जस्टिस के ट्रस्टी प्रवीण पटेल, मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह और उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त अजय उप्रेती जुड़े।

पंचायत राज व्यवस्था में ग्राम सभा की भूमिका विधायिका जैसी – चंद्रशेखर सिंह प्राण

95 वें राष्ट्रीय आरटीआई ग्रामसभा से संबंधित विभिन्न आर्मी तीसरी सरकार अभियान के संस्थापक डॉ चंद्रशेखर सिंह प्राण ने नागरिक शब्द की परिभाषा में बताया कि नागरिक का मतलब सिर्फ 5 साल में चुनाव में भाग लेकर वोट देना नहीं है, नागरिक से तात्पर्य उन व्यक्तियों से है जो लोकतंत्र में अपनी नियमित जिम्मेदारी भी निभातें है। उन्होंने बताया कि स्थानीय सरकार में पंचायत की भूमिका कार्यपालिका बतौर देखा जानें लगा है, जबकि ग्राम सभा की भूमिका विधायिका की होनी चाहिए और जिला व राज्य शासन को कार्यपालिका के तौर पर काम करना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि पंचायत स्तर पर आरटीआई के साथ साथ ग्राम सभा एवं वार्ड सभा की भूमिका को प्रोत्साहित किया जाना आवश्यक हैं। चूंकि जनता अगर सभाओं में अपनी भागीदारी निभाएं तभी देश का समग्र विकास और पारदर्शिता संभव है। एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी ने कहा कि इन सभाओं में कुछ दबंग लोगों के कारण ग्रामीण अपनी बातों को स्वतंत्र और निष्पक्ष तौर पर पूछने, जानने, बोलने पर डरते हैं जिस पर उन्हें सुरक्षा का विश्वास दिलाया जाना चाहिए।

ग्राम सभाओं की हो लाइव विडियो रिकॉर्डिंग, लगायें जाएँ सीसीटीवी कैमरे – शैलेश गांधी

पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त श्री शैलेश गांधीजी ने बताया गया कि इन सभाओं कि आडियो-विडियो रिकार्डिंग या लाइव के जरिए भी इन सभाओं को सशक्त किया जा सकता हैं। पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त ने कहा सूचना का अधिकार कानून आम जनता का कानून है और धारा 8, 9 अथवा 11 का हवाला देकर कोई भी जानकारी सूचना मांगने वाले से दूर नहीं रखी जा सकती। एक बार उन्होंने पुनः जोर दे कर के कहा की ऐसी जानकारी जिससे कोई देश समाज की क्षति न हो अथवा कोई ऐसी जानकारी जो डीसेंसी और मोरालिटी के विरुद्ध न हो।

वह समस्त जानकारी आवेदकों को दी जानी चाहिए। उन्होंने एक बार पुनः लोक सूचना अधिकारियों के सूचना न देने वाले एटीट्यूड पर प्रहार करते हुए कहा कि अधिक से अधिक जानकारी आम पब्लिक तक पहुंचने चाहिए और इसमें धारा 4 का रोल महत्वपूर्ण है और धारा 4 का पालन करवाना सभी सूचना आयुक्तों का काम है।

ज्यादातर कागजों पर होती हैं ग्राम सभाएं – प्रवीण पटेल

फोरम फॉर फास्ट जस्टिस के होनोरेरी ट्रस्टी प्रवीण पटेल ने कहा कि स्थिति यह है कि ग्रामीणों को ही नहीं मालूम कि कब ग्राम सभा हुई, कितनी हुई, किस विषय पर होनी है, जिस कारण लोगों को जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए जागरूक करना जरूरी है. आर टी आई कानून का महत्त्व इसलिए भी बहुत अधिक बढ़ जाता है की कब कौन ग्राम सभाएं हुईं और कौन कौन उपस्थित रहे, किन कार्ययोजनाओं पर चर्चा हुई इन सबके लिए आर टी आई कानून शसक्त हथियार है। उन्होंने अपने कुछ पिछले अनुभव का हवाला देते हुए बताया कि सरकार में बैठे हुए लोग नहीं चाहते हैं कि ग्राम सभा और ग्राम पंचायतें मजबूत बने।

उन्होंने कहा कि एक बार ऐसे ही छत्तीसगढ़ और उड़ीसा राज्य में किसी मामले को लेकर उन्हें भी उस समिति में रखा गया था लेकिन पता चला कि दूसरे लोग बिक गए हैं और उनके पास कार और फोर व्हीलर आ चुकी है। उन्होंने खा की यह सब दुर्भाग्यपूर्ण है और इससे भ्रष्टाचार बढ़ता है। उन्होंने कहा की जनता को आगे आकर अपने हक की लड़ाई लड़नी चाहिए। जनता के हक की लड़ाई जनता को ही लड़नी पड़ेगी तभी देश में वास्तविक स्वतंत्रता और ग्राम स्वराज की स्थापना हो पाएगी। इसके लिए सहभागिता आवश्यक है और वह चद्रशेखर प्राण से सहमत हैं.

स्वतंत्रता प्राप्ति के 7 दशकों बाद भी ग्रामों की स्थिति दयनीय – पिर्थीपाल सिंह ढिल्लन

कार्यक्रम में प्रारंभ में मिशन ग्राम सभा के सक्रिय सदस्य पिर्थीपाल सिंह ढिल्लन द्वारा अपने अनुभव को साझा किया गया और उन्होंने बताया कि देश में ग्रामीण स्तर पर आने वाली विकास की राशि का बंदरबांट किया जाता है और उसका उपयोग उस तरह नहीं हो पाता जिसके लिए वह जारी की जाती है। उन्होंने कहा कि यह काफी दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है और कभी-कभी ऐसा लगता है कि हम कैसे देश और कैसे वातावरण में जीवन यापन कर रहे हैं जहां देश के गरीब व्यक्ति को और भी गरीब बनाने, दबाने कुचलने का प्रयास किया जा रहा है।

उनका कहना था की इसका समाधान मात्र एक है कि जनता स्वयं ही अपने अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध हो और साथ में ग्राम सभाओं को मजबूत किया जाए। उन्होंने कहा कि न केवल ग्रामसभा बल्कि अब तो कई राज्यों में वार्ड सभा का भी प्रस्ताव चल रहा है जिससे ग्रामीण स्तर पर लोकतांत्रिक इकाई मजबूत बनेगी और वास्तविक ग्राम स्वराज की स्थापना होगी।

जानकारी स्पष्ट और एक ही मद विशेष से मागें, कंफ्यूज करने वाली जानकारी न मागें आवेदक – आत्मदीप 

कार्यक्रम में पूर्व मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने दर्जनों प्रतिभागियों के प्रश्नों के जवाब दिए जो कि सूचना के अधिकार से संबंधित थे। उन्होंने बताया कि सूचना के अधिकार के तहत धारा 8 में जो जानकारी नहीं दी जाती है उसका समाधान आयोग स्तर पर द्वितीय अपील पर हो जाता है। उन्होंने बताया कि जब वह सूचना आयुक्त थे तब उन्होंने कई ऐसे मामलों में जानकारी दिलवाई थी और साथ में लोक सूचना अधिकारियों के ऊपर जुर्माना और दंड भी लगाया था। आत्मदीप ने कहा की सूचना के अधिकार कानून में जानकारी स्पष्ट और एक ही मद विशेष से मागनी चाहिए और अधिक विस्तृत नहीं मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा की यदि जानकारी छोटी रहती है और एक ही मद से संबंधित रहती है ऐसे में लोक सूचना अधिकारी कोई बहाना नहीं बनाते हैं।

उन्होंने कहा कि जब वह सूचना आयुक्त थे और जो भी द्वितीय अपीलें उनके पास आती थी उनमें ज्यादातर वृहद और विस्तृत और एक मद से हटकर अन्य मदों की भी जानकारी मांगी जाती थी। हालांकि उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक जानकारी उन्होंने दिलवाए जाने का ही प्रयास किया है। आत्मदीप ने यह भी कहा की सूचना के अधिकार कानून की मंशा ज्यादा से ज्यादा जानकारी सार्वजनिक किए जाने की है और उसमें धारा 4 का रोल काफी महत्वपूर्ण है जिसका पालन करवाने के लिए सरकार का नोडल विभाग डीओपीटी काफी महत्वपूर्ण है और समय-समय पर वहां से सर्कुलर भी जारी होते रहते हैं।

इस विषय पर उन्होंने कहा कि वेब पोर्टल पर जाकर डीओपीटी के पोर्टल से जानकारी प्राप्त करें और इन सर्कुलर का हवाला देते हुए विभागों को लिखें और इसकी कंप्लेंट भी करें जिससे पारदर्शिता अपने वास्तविक स्वरूप को प्राप्त कर पाए और आरटीआई कानून चरितार्थ हो सके।

कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, गुजरात, असम, हरियाणा पंजाब, नई दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, तमिलनाडु, बिहार, झारखंड, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल एवं जम्मू कश्मीर आदि राज्यों से सैकड़ों प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया और अपने अपने अनुभव साझा किए और साथ में अपने प्रश्नों के जवाब भी उपस्थित विशेषज्ञों से प्राप्त किए। कार्यक्रम का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी के द्वारा किया गया जबकि सहयोगीयों में अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा, वरिष्ठ पत्रकार मृगेंद्र सिंह एवं देवेंद्र अग्रवाल रहे।

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